आत्म ज्ञानी संतों द्वारा योगी मनीष भाई विजयवर्गीय को कर्म योगी उपाधि

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प्रथम गुरु माता-पिता, गुरुजन एवं संत बने प्रेरणा

जयपुर. श्रीमद्भागवत गीता पर महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में चले तीन दिवसीय प्रवचन कार्यक्रम “तत त्वम असि” के समापन अवसर पर शिक्षा, चिकित्सा, कला, योग आदि विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से सनातन धर्म, संस्कृति, अध्यात्म एवं श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर कार्य करते हुए जन-जन को प्रेरित करने वाले राजस्थान के चुनिंदा व्यक्तित्वो को कर्म योगी सम्मान से अलंकृत किया गया।
समारोह के मुख्य संरक्षक विश्व हिन्दी साहित्य परिषद के चांसलर वरिष्ठ कानूनविद डॉ. एच.सी. गणेशिया एवं संयोजक पवन टांक ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर राजयोग, ज्ञान योग, ध्यान योग, भक्ति योग एवं कर्म योग के साथ-साथ योगाभ्यास, प्राणायाम एवं ध्यान के माध्यम से जन जन के जीवन में सुख, शांति एवं आनंद के लिए कर्म कर रहे योगापीस संस्थान के योग निदेशक आध्यात्मिक वक्ता एवं लेखन योगी मनीष भाई विजयवर्गीय को ऋषिकेश से जयपुर पधारे ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती, हाथोज धाम के पीठाधीश्वर स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज, भारतीय हिंदी साहित्य परिषद के चांसलर डॉ. एच.सी. गणेशिया, समारोह के आयोजक आचार्य ईश्वरनंदा ने प्रदान किया। इस अवसर पर समारोह स्वागत समिति के अध्यक्ष पूर्व जयपुर उपमहापौर मनोज भारद्वाज, विशिष्ट अतिथि समाजसेवी जे.डी महेश्वरी, योगिनी हेमलता शर्मा भी उपस्थित रहे।

समारोह में स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती ने कहा कि निष्काम कर्म फल ईश्वर को अर्पित करना ही कर्म सन्यास है, वरिष्ठ कानूनविद डा. एच सी गनेशिया ने कहा कि कर्म ही महान है और कर्म से ही व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ बन सकता है।बालमुकुंदाचार्य महाराज ने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता एवं रामायण से जुड़े उसे नियमित पढ़ने और पढ़ाने से ही उनका कल्याण होगा। कर्म योगी उपाधि से अलंकृत किए जाने पर योगी मनीष भाई विजयवर्गीय ने अपने विचार इन लाइनों के माध्यम से बयां किए कि “हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं, कराने वाला करा रहा है करण और हम किए जा रहे….मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया और नाम भक्तों का हो रहा है, उन्होंने कहा की इस सम्मान की असली हकदार कर्म योग के प्रति हमारी प्रेरणा हमारी प्रथम गुरु मां पुष्पा पिता रमेश चंद्र विजयवर्गीय एवं विगत 9 वर्षों से श्रीमद् का ज्ञान राज योग मेडिटेशन के माध्यम से प्रदान करने वाली राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सुषमा दीदी, बी.के. चंद्रकला दीदी, बी.के. अनामिका दीदी, हठयोग का ज्ञान देने वाले गुरुजी योगाचार्य ढाकाराम एवं इंदौर के ओशो सन्यासी परम आलय, भक्ति योग का ज्ञान देने वाले स्वामीनारायण अक्षरधाम वैशाली के प्रमुख कोठारी स्वामी एवं कर्म योग का ज्ञान देने वाले इंदौर से हमारे सामाजिक गुरु मातृ भक्त विजय कुमार विजयवर्गीय है, यह सभी जीवंत गुरुजन एवं संत हमारे जीवन में आदि योगी भगवान शिव, योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं महर्षि पतंजलि के आशीर्वाद स्वरूप है।

समारोह के अंतिम पायदान पर स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती के शिष्य आचार्य ईश्वरनंदा और कार्यक्रम संयोजक पवन टांक ने सभी अतिथियों कथा उपस्थित धर्म प्रेमियों का आभार प्रकट किया।

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