JOBS IN GERMANY: भाषा कौशल से मिलेंगे रोजगार के कई अवसर

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जर्मन भाषा विशेषज्ञ देवकरण सैनी से बातचीत, भाग दो —

प्रश्न: हमारे देश में अंग्रेजी का प्रभाव अधिक है ऐसे में जर्मन भाषा सीखते समय क्या परेशानी आई ? क्या परिवार ने समर्थन किया और कुछ लोगों ने विरोध भी किया।

उत्तर: अंग्रेजी का माहौल होना इसमे बाधक नहीं अनुकूल ही बना क्योंकि अंग्रेजी के बहुत से शब्द जर्मन भाषा में है और कई समान शब्द भी है। हमारे लोगों का एटीट्यूड भाषाओं के प्रति पॉजीटिव है वे 3 से 4 भाषाएं समझ लेते है। इसलिए जर्मन भाषा में नई अपर्चुनिटी दिखी तो धीरे धीरे जुड़ते चले गए। मैंने तो जर्मन इसलिए सीखी थी कि मैं जर्मनी जाकर पत्रकारिता की पढ़ाई करना चाहता था इसलिए परिवार से समर्थन ही मिला। यहीं जर्मन भाषा का ज्ञान बाद में कॅरिअर का हिस्सा बन गया।

प्रश्न: जर्मन भाषा सिखाने का संस्थान चलाते समय और इसको स्थापित करते समय क्या कठिनाइयां सामने आई। छात्रों को कैसे जर्मन भाषा के महत्व की जानकारी दी जबकि हमारे देश में तो अंग्रेजी पढ़ने, बोलने और लिखने वाले को ही बड़ा माना जाता है।

उत्तर: लगभग 12 वर्ष पहले अंग्रेजी भाषा सिखाने के संस्थान बहुत थे। जर्मन भाषा को केवल एक हॉबी और सीवी का हिस्सा ही अधिक माना जाता था। जैसे जैसे युवाओं को कंपनियों में अवसर मिलते गए वैसे वैसे ही इंस्टीट्यूट में आने वालों की संख्या बढ़ती गई। युवाओं को जर्मन भाषा से जोड़ने के लिए स्कूल, कॉलेज और बुक फेयर में प्रचार प्रसार किया। जर्मन भाषा सिखाने के लिए रामायण, महाभारत और अन्य नाटक जर्मन में प्रस्तुत किए। जर्मनी के विशेषज्ञों को बुलाकर उनके व्याख्यान कराए गए। इसके परिणाम 2 से 3 साल में मिलने लग गए। संस्थान को स्थापित करने के लिए रोज 12 घंटे से अधिक काम करना पड़ता था। मैं डॉयचे बैंक व एमिटी युनिवर्सिटी में नौकरी करता और बाकी समय में इंस्टीट्यूट में छात्रों को पढ़ाता। इस तरह से यह संस्थान स्थापित हुआ। आज यहां से पढ़े हुए छात्र छात्राएं पूरी दुनिया में काम कर रहे है।

प्रश्न: जर्मन भाषा में कॅरिअर की कितनी बेहतर संभावनाएं हैं क्या केवल एक विदेशी भाषा जैसे कि जर्मन सीखने से ही बेहतर कॅरिअर बन जाता है या और भी कुछ करना पड़ता है ?

उत्तर: निश्चित ही फॉरेन लैंग्वेज फील्ड में बहुत अधिक संभावनाएं है। अगर युवा खुद इस बारे में रिसर्च करे कि कहां कहां विदेशी भाषाओं से जॉब लगती है और साथ ही यह भी पता लगाए कि वह किस भाषा व कल्चर को अपने नजदीक पाते है। इस बारे में वह सोचेंगे तो पाएंगे कि यहां अनंत संभावनाएं हैं। लैंग्वेज तो बहुत है और हम कई लैंग्वेज पढ़ाते भी है। केवल जर्मन भाषा की ही बात करें तो जर्मनी दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यस्था और रिसर्च के क्षेत्र में कहीं कहीं दूसरे और कहीं तीसरे नंबर पर है। दो हजार से ज्यादा जर्मन कंपनियां भारत में कार्यरत हैं और उनमे से सैंकड़ों कंपनियां ऐसी है जिनको जर्मन भाषा एक्सपर्ट चाहिए होते है। उनके लिए काम किया जा सकता है। अनुवाद, गाइड वर्क और शिक्षण का बहुत बड़ा क्षेत्र है। लैंग्वेज सर्विस का काम चला सकते है जिसमे इंटरप्रिटेर का काम भी है। आजकल तो आईटी कंपनियां भी है। जर्मनी में ह्यूमन रिर्सोस की डिमांड इतनी अधिक है कि अगर आप केवल कक्षा 12 पास कर चुके है और जर्मन भाषा के तीन लेवल आते है तो वहां आप काम करते हुए पढ़ भी सकते है और आपको पैसा भी मिलेगा। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारा आउसबिल्डुंग प्रोग्राम अवश्य देंखे जिसमे स्टूडेंट्स लगातार आसानी से जर्मनी जा रहे हैं।

मल्टीनेशनल में काम करने के अलावा आप जर्मनी में सीधे कानूनी तरीके से अपना प्लेसमेंट पा सकते है। पढ़ते पढ़ते भी काम कर सकते है। भारत में जर्मन कंपनियों ( केपीओ, बीपीओ ) इंश्योरेंस, बैंकिंग आदि कंपनियों में काम करते सकते है। वही नर्सिंग में तो इतनी अधिक डिमांड है कि अगर आपने नर्सिंग कर रखी है तो आपको जॉब मिलेगी ही और नहीं भी कर रखी तो वह आपको नर्सिंग करवाएंगे और पैसे भी देंगे। इस तरह के लगभग 300 कोर्सेज होंगे जहां वह जर्मनी में ट्रेनिंग देने को तैयार है वह इसे आउसबिल्डुंग प्रोग्राम बोलते है। इसमे कक्षा का और व्यवहारिक प्रशिक्षण भी शामिल है।  

प्रश्न: वर्तमान समय में युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। इस समस्या के समाधान के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?

उत्तर: मैं युवाओं को यह कहना चाहूंगा कि आप अपने को इंफार्म करो बेरोजगारी जब तक ही है तब तक साल्यूशन के बारे में नहीं सोचा जाएगा। आप यह सोचना शुरू करेंगे कि आपकी रूचि किसमे है और आपको काम करना है तो अपने आप रास्ता दिख जाएगा। जैसा कि मैने बताया कि आपने कक्षा 12 भी पास कर रखी है और जर्मन भाषा के तीन कोर्स कर लिए तो यूरोप के दरवाजे आपके लिए खुले हैं। ग्रेजुएशन कर रखी है तो लैंग्वेज के दम पर आप वहां जा सकते है या भारत में ही अपार संभावनाएं हैं। स्विटजरलैंड, आस्ट्रिया, जर्मनी इन देशों की कई कंपनियों ने मुझसे संपर्क किया कि आप जर्मन सिखाकर युवाओं को हमारे पास भेज सकते हैं। वहां युवा आसानी से रोजगार पा सकता है अगर वह वेल इंफार्मड हैं और उनमें कुछ सीखने की लगन हो। इसमे कुछ अधिक खर्च भी नहीं है। 

प्रश्न: ई लैंग्वेज स्टूडियो संस्थान संचालित करने के साथ भविष्य को लेकर आपकी क्या योजना है ?

उत्तर: मैं इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हूं। जैसा कि स्टार्ट अप इंडिया अभियान के अंतर्गत नौकरी करने की बजाय स्वयं का व्यवसाय शुरू करने की बात की जाती हैं। इसीलिए मैं भी अपने संस्थान को लैंग्वेज के फील्ड में स्टार्टअप मानता हूं। मेरा मन है कि विदेशी भाषाएं सिखाने के लिए संस्थान की शाखाएं अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की जाए। अभी हमारी दो ब्रांच हैं। हम क्वालिटी एजुकेशन के माध्यम से, लैंग्वेज ट्रेनिंग के फील्ड में विस्तार करेंगे। इसके अलावा लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और साफ्टवेयर के माध्मय से युवाओं को प्रशिक्षण देकर देश विदेश में रोजगार दिलाने की योजना है। युवाओं को टीचर्स ट्रेनिंग देकर विदेशों में और भारत में विभिन्न स्थानों पर भेजने का लक्ष्य है। हम युवाओं को टेक्निकल सपोर्ट जैसे कंप्यूटर क्लाउडिंग आदि और लैंग्वेज के माध्यम हाईली स्किल्ड बनाना चाहते हैं। इससे युवा अपना शानदार कॅरिअर बना सकेंगे।

प्रश्न: आप अपने संस्थान के माध्यम से आप कितने युवाओं को रोजगार दिला चुके है।

उत्तर: हमारे यहां से स्किल्ड बनकर लगभग 10 हजार युवा देश विदेश के सैंकड़ों संस्थानों में लग चुके है। इनमे स्विटजरलैंड, जर्मनी, आस्ट्रिया मुख्य रूप से और पौलेंड, स्वीडन, इटली, फ्रांस, अमरीका और खाड़ी देशों में भी काम कर रहे है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के 50 से अधिक देशों में हमारे संस्थान से प्रशिक्षित छात्र-छात्राएं है। अपने देश में भी बड़ी संख्या में ये युवा कई बड़ी कंपनियों से लेकर अनेक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर रहे है।

प्रश्न: आपके यहां जो युवा जर्मन और दूसरी विदेशी भाषाएं सीखने के लिए आते है। उनको आप कैसे प्रेरित करते है ?

उत्तर: सफल युवा अपने आप आगे बताता है। इस माउथ पब्लिसिटी से काफी लाभ मिलता है। हमारे यहां से जब युवा देश विदेश में जॉब पाते है तो मैसेज लाउड एंड क्लीयर होता है। इसके अलावा पिछले दो साल से सोशल मीडिया पर विशेषकर यूट्यूब पर भी (जर्मन स्पीकर्स क्लब ) क्लास अपलोड की और बहुत से लोगों से इंटरेक्शन किया उससे भी बहुत सारे लोगों से संपर्क हुआ। सबसे पहले तो क्वालिटी एजुकेशन फिर माउथ पब्लिसिटी और सोशल मीडिया अपना काम करते है। अभी हमारे यहां 10 राज्यों के युवा जैसे बिहार, झारखंड, यूपी, एमपी, गुजरात, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा आदि से आए हुए है और कमरा किराए पर लेकर या हॉस्टल में रहकर हमारे संस्थान से जर्मन भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं। अभी लगभग 300 बच्चे हमारे संस्थान से प्रशिक्षण ले रहे है।  

प्रश्न: जर्मन भाषा और बेरोजगारी के संदर्भ में आप सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे।

उत्तर: अगर विदेशी भाषाएं सभी विद्यालयों में शुरू की जाए तो निश्चित ही लाभ मिलेगा। बच्चों को छठी या नवीं कक्षा से जर्मन, स्पेनिश, जापानी, फ्रेंच आदि भाषाएं सिखाई जाए तो उनके पास एक ऑप्शन रहेगा। वे पेशेवर कोर्स करके आसानी से देश विदेश में बेहतर कॅरिअर बना पाएंगे। उन बच्चों का बड़ी कंपनियों में प्लेसमेंट आसानी से हो जाएगा। इस कार्य में हमारी टीम भी सरकार की पूरी तरह से सहायता के लिए तैयार है। अपनी सरकार को यह भी देखना चाहिए कि दिल्ली और दूसरे राज्यों में सरकारें पहले से ही ऐसा कर रही हैं राजस्थान में भी पहल होनी चाहिए। जब बच्चा विदेशी भाषा सीखता है तो और भी इंटरनेशनल डायमेंशन उसके मन में आते है। भाषा आपको एक ग्लोबल सिटीजन बनाती है। इससे आपके व्यक्तित्व का विकास होता है। आप लोगों से संवाद करना जानते है। अपूर्चनिटी, नॉलेज और कनेक्शन बढ़ते है व उनमे आपसी संपर्क और संवाद बढ़ता है। इस तरह भाषा व्यक्तित्व के निखार में बड़ी भूमिका निभाती है।   

प्रश्न: आप युवाओं को और कोई सुझाव देना चाहेंगे।

उत्तर: बस यही कि आप स्किल्ड बनो। हुनर ही बेरोजगारी की समस्या का समाधान है। आप किसी के पास नौकरी मांगने जाओगे तो शायद नौकरी मिल जाए लेकिन अगर आप स्किल्ड है तो लोग आपको ढूंढेंगे। एक स्किल मैंने ले ली इसलिए मुझे नौकरी मांगने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि आप एक स्किल ले लो वह भाषा या कोई और भी हो सकती है। अपनी रूचि को पहचानकर दूसरों को जॉब देने की सोचो। इससे आपका भी विकास होगा और देश का भी विकास होगा। इसके बाद नौकरी या पैसा कमाना कोई मुद्दा ही नहीं रहेगा।

जर्मन भाषा सीखने के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां संपर्क किया जा सकता है-

मोबाइल — 07597559400 https://youtube.com/@ELanguageStudio?si=MwRA8KtVRs8aC86i

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