लेजर से मार गिराएगा स्वदेशी एंट्री ड्रोन सिस्टम

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करेगा देश की सीमाओं की सुरक्षा
डीआरडीओ ने किया है विकसित


जयपुर.
देश की सीमाओं पर तैनात होगा स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम लेजर का उपयोग कर दुश्मन के और आतंकियों के ड्रोन को मार गिराएगा। वर्तमान में बीएसएफ पंजाब और जम्मू की सीमाओं पर पाकिस्तानी ड्रोन की हरकतों से परेशान है। अब स्वदेशी एंट्री डे्रान सिस्टम इस हमले को विफल करेगा। यहीं नहीं बल्कि देश के नेतृत्व की सुरक्षा में भी काम आएगा।
देश की सीमाओं पर ड्रोन के खतरों के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम जल्द ही लॉन्च करने वाला है। हैदराबाद में ईसीआईएल के निदेशक डॉ. अनीस कुमार शर्मा ने बताया कि एंटी ड्रोन सिस्टम को सीमाओं पर स्थापित किया जाएगा ताकि ड्रोन की गतिविधियों का आसानी से पता लगाया जा सके। आधुनिक तकनीक से लैस एंटी ड्रोन सिस्टम को इस साल के अंत तक लॉन्च किया जाएगा। जासूसी ड्रोन के खतरे को देखते हुए हाल ही में एंटी ड्रोन सिस्टम सेना के बेड़े में शामिल करने की शुरुआत की गई है। डीआरडीओ की एंटी ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रणाली भारतीय सशस्त्र बलों को तेजी से सामने आते हवाई खतरों से निपटने के लिए सॉफ्ट किल और हार्ड किल दोनों का विकल्प प्रदान करती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक मजबूत स्वदेशी क्षमता उत्पन्न करने की दृष्टि से 11 अप्रैल 1967 को परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत ईसीआईएल की स्थापना की गई थी। ईसीआईएल तीन प्रौद्योगिकी लाइनों पर जोर देने के साथ कई उत्पादों के डिजाइन, विकास, निर्माण और विपणन में लगा हुआ था। कंप्यूटर नियंत्रण प्रणाली और संचार। इन वर्षों में ईसीआईएल ने बिना किसी बाहरी तकनीकी सहायता के जटिल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के विकास का बीड़ा उठाया है और इन क्षेत्रों में कई उपकरणों का विकास किया है। इनमें प्रमुख हैं -पहला डिजिटल कंप्यूटर,
पहला सॉलिड स्टेट टीवी, पहली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन।
आधुनिक तकनीक से लैस मिसाइल को रोकने के लिए जिस रडार तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। उसी तकनीक का इस्तेमाल कर एंटी ड्रोन सिस्टम विकसित किया गया है। इस साल के अंत तक इस सिस्टम को लॉन्च किया जाएगा। एंटी ड्रोन सिस्टम सेना के तीनों बलों को दिया जाएगा ताकि ड्रोन के खतरों से निपटा जा सके। लेजर तकनीक पर आधारित ये सिस्टम ड्रोन को जाम कर मार गिरा सकता है। एंटी ड्रोन सिस्टम माइक्रो ड्रोन का पता लगाने और जाम करने के लिए रडार इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड (ईओआईआर) सेंसर और रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) डिटेक्टरों की मदद का उपयोग करता है। डीआरडीओ का ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम उस आवृत्ति का पता लगाता है जिसका उपयोग नियंत्रक द्वारा किया जाता है और इसका उपयोग कर सिग्नल जाम हो जाते हैं।
दरअसल इस ड्रोन का उपयोग 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए किया गया था। इस सिस्टम का पहला इस्तेमाल पिछले साल राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में किया गया था। वहां डीआरडीओ द्वारा तैयार एंटी ड्रोन सिस्टम की तैनाती की गई थी जो कि छोटे से छोटे ड्रोन को तीन किलोमीटर के दायरे में आने से रोकता है। साथ ही यह ड्रोन एक से ढाई किलोमीटर के दायरे में उसे लेजर की मदद से मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम 360 डिग्री कवरेज प्रदान करता है
डीआरडीओ ने दुश्मन के ड्रोन हमले को बेअसर करने के लिए एंटी.ड्रोन सिस्टम विकसित किया है। स्वदेशी ड्रोन प्रौद्योगिकी दुश्मन के ड्रोन का पता लगानेए सॉफ्ट किल ड्रोन के संचार लिंक को जाम करने के लिएद्ध और हार्ड किल ड्रोन को नष्ट करने के लिए लेजर आधारित हार्ड किल सहित जवाबी हमलों में सक्षम है। इस प्रणाली को सशस्त्र सेवाओं और अन्य आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को पहले ही प्रदर्शित किया जा चुका है। स्वदेशी डीआरडीओ काउंटर ड्रोन प्रौद्योगिकी मेसर्स बीईएल को हस्तांतरित कर दी गई है। इसके साथ ही काउंटर ड्रोन सिस्टम का ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) अन्य कंपनियों को ऑफर किया जाता है।
भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने वाला एंटी ड्रोन सिस्टम डीआरडीओ द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा निर्मित पहला स्वदेश विकसित एंटी ड्रोन सिस्टम है। बीईएल की कई इकाइयों ने भारतीय सेना के साथ करीबी सहयोग से देश विरोधी ड्रोन खतरों का मुकाबला करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत इस पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली को बनाया है। एंटी ड्रोन सिस्टम माइक्रो ड्रोन का तुरंत पता लगा सकता है और जाम कर सकता है और लक्ष्यों को समाप्त करने के लिए लेजर आधारित मारण प्रणाली का उपयोग करता है। यह सेना के लिए बढ़ते ड्रोन खतरों के लिए एक प्रभावी सर्वव्यापी काउंटर होगा।

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