भारत का कपड़ा निर्यात पहुंचा 44 बिलियन डॉलर तक

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टैक्सटाइल क्षेत्र के लिए कई नई योजनाएं


जयपुर.
भारत ने 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का वस्त्र निर्यात किया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में हस्तशिल्प सहित कपड़ा व परिधान में 44.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर निर्यात किया है। यह आंकड़ा का अब तक का सबसे अधिक है। इसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 और वित्तीय वर्ष 2019-20 में संबंधित आंकड़ों की तुलना में क्रमश: 41 फीसदी और 26 फीसदी की पर्याप्त बढ़ोतरी का संकेत है।
कपड़ा मंत्रालय ने 7 मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल यानि पीएम मित्रा पार्कों की स्थापना करने जा रही है। इसके तहत देश में 4445 करोड़ रुपये की कुल लागत वाले सात मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित किए जाएंगे। इस कदम से करीब एक लाख प्रत्यक्ष और दो लाख अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे। इसके तहत नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर 29 में नोएडा में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 150 एकड़ भूमि आवंटित कर दी है। सरकार के इस फैसले से अब उत्तर प्रदेश का पहला टेक्सटाइल पार्क नोएडा में बनने का रास्ता साफ हो गया है।
इन पार्कों में एक ही स्थल पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण एवं रंगाई और छपाई से लेकर परिधान निर्माण तक एक एकीकृत वस्त्र मूल्य श्रृंखला बनाने का अवसर प्रदान करेगा। एक स्थल पर एकीकृत वस्त्र मूल्य श्रृंखला से उद्योग की लागत में कमी आएगी। प्रति पार्क से 1 लाख प्रत्यक्ष और 2 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए हाल ही में पीएलआई योजना के जरिए टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत कदम बढ़ा रहा है। साथ ही मैन मेड फाइबर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। दरअसल हाल के वर्षों में बांग्लादेश, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश प्रमुख कपड़ा उत्पादकों के रूप में उभरे हैं। ऐसे में अब भारत को भी इस ओर आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के विजन की दिशा में अहम कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने 10683 करोड़ रुपये के पीएलआई योजना की शुरुआत की है। इसमें मैन मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना के तहत टियर 3, टियर 4 शहरों या कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी गई है। इसके मद्देनजर इस उद्योग को पिछड़े क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा इत्यादि राज्यों पर सकारात्मक असर होगा। इसके अलावा वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के तहत भी कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं।
वस्त्र उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। देश का करीब 2.3 प्रतिशत जीडीपी वस्त्र उद्योग से आता है। माना जाता है कि कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोग इसी उद्योग के रोजगार से जुड़े हैं। करीब साढ़े चार करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग के रोजगार से जुड़े हुए हैं।
कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। वस्त्र उद्योग में सबसे ज्यादा महिलाएं ही जुड़ी हुई हैं। इस पीएलआई योजना के तहत टीयर 2, 3 और 4 में ही उद्योग लगाने की बात की गई है। ऐसे में घर के पास ही अपना खुद का काम करते हुएए वस्त्र उद्योग में भी अपना योगदान दे सकेंगी। दरअसल टेक्सटाइल उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए पीएम मोदी ने 5 एफ का विजन दिया था। जिसका अर्थ है. फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्ट्री, फैक्ट्री टू फैशन और फैशन टू फॉरेन। यह एकीकृत विजन अर्थव्यवस्था में टैक्सटाइल क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

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