
दवा उद्योग में चीन पर निर्भरता खत्म करने की तरफ केंद्र सरकार का बड़ा कदम
नई दिल्ली. पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत 12 मई 2020 को की थी। इस अभियान का उद्देश्य भारत को सिर्फ विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर ही बनाना नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर निर्यात के लिए प्रोत्साहित करना भी था। महज दो साल ही बीते हैं लेकिन पीएम के इस अभियान का असर विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलने भी लगा है।
Bulk Drug Park भी पीएम के आत्मनिर्भर भारत की ही एक कड़ी भर है। फार्मास्युटिकल API के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारत से एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। आनेवाले समय में अन्य देशों पर से एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट्स की निर्भरता कम होगी, फिलहाल जिस तरह की स्थिति देखी जा रही है, उसके आधार पर यही कहा जा सकता है।
चीन पर निर्भरता होगी नगण्य
जंबूसर (भरूच, गुजरात) में जिस तरह से पीएम मोदी ने बल्क ड्रग पार्क (BDP) की नींव रखी है, उसे देख कर यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आनेवाले समय में चीन पर से इन चीजों को लेकर निर्भरता कम होगी। इन पार्कों की स्थापना से API के मामले में भारत आत्मनिर्भर होगा। गुजरात, आंध्रप्रदेश और हिमाचल प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क को डेवलप करने की अनुमति दी गई थी। जिसमें से गुजरात में देश के पहले बल्क ड्रग पार्क की नींव रख दी गई है। सरकार की योजना है कि तीन बल्क ड्रग पार्क पर कुल तीन हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बल्क ड्रग पार्क की जरूरत क्यों
दवाओं को तैयार करने के लिए जो तत्व यानि एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स की जरूरत होगी, उसे इसी पार्क में बनाया जाएगा। पहले हम चीन जैसे देशों पर इसके लिए निर्भर रहते थे लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इन पार्कों की स्थापना के बाद हम इन्हें अपने देश में ही बना सकते हैं। केंद्र सरकार चाहती है कि इन पार्कों की स्थापना कर घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जाए ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवाओं के मेकिंग, प्रोडक्शन के मामले में भारत शीर्ष पर आ जाए।
35 API का देश में निर्माण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में कहा था कि चीन पर भारत की निर्भरता दवा बनाने के लिए कुल 53 प्रकार के API के लिए थी। अब 35 तरह के API को देश में ही निर्मित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी थी कि बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि बाकी बचे हुए 18 API के साथ हर एक API को यहीं बल्क ड्रग पार्कों में ही निर्मित किया जाए।
बल्क ड्रग पार्क और आत्मनिर्भर भारत
फार्मास्युटिकल उत्पाद में प्रोडक्शन के लिए कच्चे माल यानि API की उपलब्धता इस उद्योग के विकास की पहली शर्त होती है, जबकि पहले की सरकारों ने इस बात को नहीं समझा। और समय के साथ चीन पर एपीआई के मामले में भारत की निर्भरता बढ़ती गई। हालांकि बल्क ड्रग पार्कों को लेकर जिस तरह से केंद्र सरकार गंभीर है, उससे आनेवाले दिनों में या तो चीन पर से निर्भरता नगण्य हो जाएगी या भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा। अभी के ही आंकड़ों को देखें तो
पीएलआई स्कीम के तहत लगभग 35 एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स (API) का देश में ही उत्पादन शुरू कर दिया गया है।
खुलेंगे रोजगार के अवसर
बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना से आत्मनिर्भरता के साथ ही साथ रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। अनुमान है कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में इन पार्कों के बन जाने से गुजरात में लगभग 40 हजार, हिमाचल प्रदेश में लगभग 50 हजार और आंध्र प्रदेश में लगभग 60 हजार रोगजार का सृजन होगा।