भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार

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जर्मनी को पछाडकऱ पहुुंचा चौथे स्थान पर


जयपुर.
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया है। यानि न्यू इंडिया की प्रगति अब और तेज गति से होगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीते 8 साल में भारत कई बड़े कीर्तिमान स्थापित करने की झड़ी लगा चुका है। याद हो हाल ही में ब्रिटेन को पछाडकऱ भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था और अब भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार भी बन गया है।
ऑर्गनाइजेशन इंटरनेशनल डेस कंस्ट्रक्टर्स डी ऑटोमोबाइल्स के आंकड़ों के मुताबिक भारत जर्मनी को पछाडकऱ चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार बना है। भारत ने साल 2021 में करीब 37.6 लाख वाहन बेचे जबकि जर्मनी में लगभग 29.7 लाख वाहनों की बिक्री हुई।
कोविड .19 महामारी के बावजूद भारत ने जर्मनी में 2973319 वाहनों की तुलना में 2021 में 3759398 वाहन बेचे। यह इस क्षेत्र में लगभग 26 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है और शीर्ष 5 देशों में दहाई अंकों की वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र देश है। इससे एक बात तो साफ होती है कि भारतीय वाहन उद्योग अब देश में उभरते क्षेत्रों में बड़े अवसरों से भरपूर लाभ उठा रहा है जिसके नतीजे पूरी दुनिया के सामने आ गए हैं।
वाहन उद्योग का विकास पीएम मोदी द्वारा दिए गए पंचामृत मंत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता को हासिल करने में मदद कर रहा है और साथ ही साथ भारतीय युवाओं को रोजगार के बड़े अवसर भी प्रदान कर रहा है। गाडयि़ों के प्रोडक्शन से जुड़े कामगारों को काम मिल रहा है। इससे व्यापक स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो रहा है।
वहीं भारत इलेक्ट्रिक वाहन प्रणाली की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। इस दिशा में भारत की प्रगति से 2030 तक केवल तेल आयात पर 20 लाख करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। यानि भारत वैश्विक मंदी के दौर में धन की बचत करने के मार्ग तैयार कर विकास पथ पर और आगे बढऩे की चाह में है। इस दिशा में भारत ने काम भी शुरू कर दिया है।
ऑटोमोटिव सेक्टर या मोटर वाहन क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक रहा है और विनिर्माण क्षेत्र में यह सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। मोटर वाहन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 6.4 प्रतिशत और विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में 35 प्रतिशत का योगदान देता है और यह एक प्रमुख रोजगार प्रदाता है।
दरअसलए भारत का विकास इस समय पूरे विश्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। गौर करें तो इस समय विश्व की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी कोविड महामारी के बाद आई आर्थिक मंदी से उभर नहीं पाई हैं।
ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के साथ विश्व अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान अदा कर रही है। पिछले आठ वर्षों में भारत ने अपने साथ साथ पूरी दुनिया की आर्थिक प्रगति को मजबूती दी है। आंकड़ों के अनुसारए वर्ष 2013 के अंत में भारत का विश्व की जीडीपी में योगदान महज महज 2.4 प्रतिशत था जो अब करीब 9.4 फीसदी हो गया है।
आईएमएफ के विश्व आर्थिक आउटलुक वृद्धि अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी के 9 प्रतिशत की दर से और 2023-24 में 7.1 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान लगाया गया है। यह भारत को इन तीनों वर्ष में पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में पेश करता है।
गौरतलब हो 2014 से पहले जो दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था को संदेह की दृष्टि से देखती थी। आज वही भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की चर्चा कर रही है। यानि अब दुनिया भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है।
भारत के 2025 तक तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बनने की उम्मीद है हालांकि इसके लिए भारत को जापान से आगे निकलने की आवश्यकता है जिसने 2021 में 4448340 इकाइयां बेचीं। फिलहाल भारत बड़ी मात्रा में ई-व्हीकल लाने की तैयारी में है। आंकड़े खुद इस बात की पुष्टि करते हैं। दोपहिया उत्पादन में भारत पहले और कार उत्पादन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। वहीं कारों की बिक्री के मामले में भारत चौथा बड़ा देश बन गया है। यही नहीं भारत दुनिया के सौ से अधिक देशों को कार निर्यात भी कर रहा है।

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