
अजमेर, 1 जनवरी। अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित किए जाने के लिए केन्द्र के तैयार होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का प्रस्ताव नही भिजवाने को लेकर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। पत्र में बाजरे की प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अविलम्ब खरीद प्रारंभ करवाने की मांग की है।
सांसद चौधरी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में खरीफ फसल 2021 के अन्तर्गत बाजरें का लगभग 50 लाख टन उत्पादन की संभावना है। हमारा प्रदेश देश का सर्वाधिक बाजरा उत्पादन करने वाला प्रदेश है। जहां प्रदेश के बुवाई क्षेत्र का 66 प्रतिशत हिस्से में बाजरें की बुवाई प्रदेश के किसान करते है। अर्थात् देश का लगभग 44 प्रतिशत बाजरा हमारे प्रदेश में ही पैदा होता है। इसलिये बाजरा हमारे प्रदेश के अन्नदाताओं का ’’सोना’’ भी माना जाता है। सर्वविदित है कि ज्वार, बाजरा, जौ व रागी आदि मोटे अनाजों में पौष्टिक क्षमता सर्वाधिक होने के कारण संयुक्त राष्ट्र महासंघ’ ने भी हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुये आगामी वर्ष 2023 को विश्व में ’इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’ अर्थात् ’’अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’’ घोषित किया है। स्वतंत्रता दिवस 2021 के अपने राष्ट्र के नाम उद्बोधन में माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश में कुपोषण से लड़ने के लिये पोषक अनाजों की महत्वता के बारे में बताया था। बाजरा पोषक आहार की श्रेणी में आज अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये तय भी किया है। लेकिन राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों से बम्पर पैदावार के बावजूद बाजरें की खरीद अभी तक प्रारम्भ नहीं की है। और न ही कोई रोडमैप तैयार किया गया है। जिससे प्रदेश का किसान एवं अन्नदाता चिंतित और बैचेन हो रहा है। जबकि केन्द्र सरकार खरीदे गये बाजरें को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरण कराने को तैयार हैं। लेकिन गत वर्ष 2020 में भी कांग्रेस सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव केन्द्र को नहीं भेजा था। जिसके चलते प्रदेश के अन्नदाताओं को मजबूरीवश घाटा खाकर मण्डी में लागत से भी कम दाम यानी औनपोने दामों पर अपनी बाजरा फसल को बेचना पडा। जबकि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 रुपये तय किये थें। अकेले बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से प्रदेश के अन्नदाताओं को लगभग 5000 करोड का नुकसान हुआ था। प्रदेश का किसान अपने आप को लूटा एवं ठगा सा महसूस कर रहा था।
अतः जल्द से जल्द प्रदेश के अन्नदाता, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भिजवानें और बाजरा खरीद को सुगम बनाने के लिये ’’स्थायी खरीद केन्द्र’’ पंचायत स्तर पर ही स्थापित कराने हेतुु संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करावें। ताकि प्रदेश के अन्नदाताओं को अपनी फसल का पूर्ण मूल्य मिल सकें एवं उनके आर्थिक शोषण को रोका जा सकें। और इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से जन-जन तक बाजरे जैसे मोटे अनाज के रुप में पोषक आहार को पहुचायां जा सकें।