हाइड्रोजन से चलने वाली बस का पुणे में संचालन शुरू

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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने किया शुभारंभ


जयपुर.
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉण् जितेंद्र सिंह ने 21 अगस्त को पुणे में केपीआईटी-सीएसआईआर द्वारा विकसित भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा आत्मनिर्भर और सुलभ स्वच्छ ऊर्जा जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करने और नए उद्यमियों और नौकरियों के सृजन को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का हाइड्रोजन विजन भारत के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ ऊर्जा वेक्टर है जो रिफाइनिंग उद्योग, उर्वरक उद्योग, इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग और भारी वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र से भी कठिन से कम उत्सर्जन के गहरे डीकार्बोनाइजेशन को सक्षम बनाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ईंधन सेल बस को शक्ति प्रदान करने में बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन और वायु का उपयोग करता है और बस से केवल पानी का प्रवाह होता है इसलिए यह संभवत: परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल साधन है। तुलनात्मक दृष्टि से लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर सालाना 100 टन कार्बनडाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करती है और भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं। ईंधन सेल वाहनों की उच्च दक्षता और हाइड्रोजन की उच्च ऊर्जा घनत्व यह सुनिश्चित करती है कि ईंधन सेल ट्रकों और बसों के लिए प्रति किलोमीटर परिचालन लागत डीजल चालित वाहनों की तुलना में कम है और यह भारत में माल ढुलाई के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। इसके अलावा ईंधन सेल वाहन शून्य ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करते हैं। उन्होंने केपीआईटी और सीएसआईआर-एनसीएल के संयुक्त विकास प्रयासों की सराहना की और कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का प्रौद्योगिकी कौशल दुनिया में सर्वश्रेष्ठ और बहुत कम लागत की है।
डा. सिंह ने बताया कि हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन इस क्षेत्र से सडक़ पर होने वाले उत्सर्जन को खत्म करने के लिए एक उत्कृष्ट साधन प्रदान करते हैं। भारत माल ढुलाई और यात्री परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों में वृद्धि करने का भी लक्ष्य बना रहा है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करके, भारत जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बन सकता है और इस तरह हरित हाइड्रोजन उत्पादक और हाइड्रोजन के लिए उपकरणों का बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर भारत को हाइड्रोजन अंतरिक्ष में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बाद में सीएसआईआर-एनसीएल में बिस्फेनॉल पायलट संयंत्र का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इन पायलट संयंत्रों ने सीएसआईआर के कोविड-19 मिशन कार्यक्रम और बल्क केमिकल्स मिशन कार्यक्रम के तहत एनसीएल द्वारा विकसित नवीन प्रक्रिया प्रौद्योगीकियों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बिस्फेनॉल बीपीए पॉक्सी रेसिन पॉली कार्बोनेट और अन्य इंजीनियरिंग प्लास्टिक के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण फीडस्टॉक है। उन्होंने कहा कि बिस्फेनॉल के लिए वैश्विक बाजार 2027 तक 7.1 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है जो विश्लेषण अवधि 2020-2027 में 2 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है। आज भारत में 135000 टन की कुल अनुमानित वार्षिक मांग का आयात किया जाता है। मंत्री महोदय ने आशा व्यक्त की कि सीएसआईआर-एनसीएल की तकनीक इस महत्वपूर्ण कच्चे माल के आयात विकल्प को सक्षम करेगी और भारत की आत्मानिर्भर पहल में सहायता करेगी।

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