Heilstorm: बेमौसम बारिश और ओलों ने मचाई ऐसी तबाही कि किसान के थम नहीं रहे आंसू

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जयपुर। राजस्थान में पिछले दो सप्ताह से रुक-रुककर हो रही बारिश-ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। खेतों में लहलहाती फसल पककर तैयार हो चुकी थी। इस बार फसल भी अच्छी थी, ऐसे में किसानों ने खुशहाली के सपने संजोना भी शुरू कर दिया था। परिवार के लोग भी फसल कटाई का समय नजदीक आने के साथ ही सपने बुनने में लग गए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि होनी को कुछ और ही मंजूर है। उनके अरमानों पर प्रकृति का प्रकोप ऐसे कहर बनकर बरपा की पलभर में सारी खुशियां काफूर हो गई। अब हालात ऐसे हैं कि न तो खेतों में फसलें बची हैं और ना ही आंखों में कोई अरमान। इस बर्बादी के बाद किसान और उसके परिवार में बचे हैं तो सिर्फ आंसू, जो कई दिन से अविरल बह रहे हैं, जिन्हें न कोई पोंछने वाला है और ना कोई देखने वाला। दर्द के जरिए आंसुओं का ऐसा दरिया बह रहा है कि जैसे कोई पहाड़ टूटकर खेतों में कुछ दिन पहले तक फसलों की तरह लहलहाती खुशियों पर गिर गया हो। हालांकि अब मौसम विभाग कह रहा है कि शनिवार से ये बेमौसम की मार थम जाएगी, लेिकन आसमान में छाए बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि अभी कुछ राहत मिलने वाली है। प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में हुई बेमौसम बारिश और अोलों ने ऐसी तबाही मचाई कि कई जिलों में बर्बादी का मंजर किसी की भी आंखों में आंसू ला सकता है। वहीं विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदेश में अब एक सप्ताह तक मौसम साफ रहेगा। इसके साथ ही दिन में तेज धूप निकलने लगेगी। लोगों को गर्मी का अहसास होने लगेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि अप्रेल के पहले सप्ताह में एक नया सिस्टम आने की संभावना है, जिसके बाद मौसम फिर से बदल सकता है।

अलवर व झुंझुनूं में जबरदस्त ओलावृष्टि

इससे पहले शुक्रवार देर शाम राजस्थान के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में कई जगह आंधी चलने के साथ ओले गिरे। अलवर, झुंझुनूं, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर में कई जगहों पर जबरदस्त ओलावृष्टि हुई। गंगानगर, हनुमानगढ़ में तो कई जगह 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली। इस कारण यहां कई जगह फसलों को भारी नुकसान हुआ। झुंझुनूं के बुहाना, गंगानगर के हिंदूमलकोट समेत कई जगहों पर एक इंच से ज्यादा बरसात हुई। झुंझुनूं में जबरदस्त ओलावृष्टि होने से वहां खाली जमीन पर सफेद ओलों की चादर बिछ गई। अलवर के राजगढ़, टहला व थानागाजी के आस-पास कई जगहों पर शुक्रवार रात एक-एक फीट तक ओले जम गए हैं। दिन में ओले गिरने के बाद रात को बारिश हुई। खेतों में कटी और खड़ी दोनों तरह की फसल चौपट हो गई। राजगढ़ एमएलए जौहरी लाल मीणा ने भी कहा- कई जगहों पर फसल में 100 पर्सेंट नुकसान है। कुछ नहीं बचा। ओलों इतने गिरे हैं कि अगले दिन भी खेतों में मिले हैं।
मौसम केंद्र जयपुर और सिंचाई विभाग से जारी रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को अलवर के राजगढ़ में 35, टपूकड़ा में 14, थानागाजी में 13, किशनगढ़बास में 12, कोटकासिम में 10, जयपुर के चौमूं में 12, पावटा में 16, भरतपुर के डीग और उच्चैन में 10-10, गंगानगर के हिंदूमलकोट में 47, गंगानगर में 13.5, मिर्जेवाला 26.8, करणपुर 14, केसरीसिंहपुर 17, चूरू के तारानगर में 17, बनीपुरा 10, हनुमानगढ़ के टिब्बी में 22, भादरा में 10, संगरिया में 12, हनुमानगढ़ शहर में 12, झुंझुनूं 19, बुहाना 34, चिड़ावा 15 एमएम बारिश दर्ज हुई है।

अब अगले सात दिन मौसम शुष्क

मौसम केंद्र जयपुर के मुताबिक राज्य में आज से मौसम शुष्क होने लगेगा। अगले 7 दिन तक बारिश-ओलावृष्टि नहीं होगी। वहीं 31 मार्च तक प्रदेश में आसमान साफ रहने के साथ धूप निकलेगी और तापमान भी बढ़ेगा। संभावना है कि अप्रेल के पहले सप्ताह में एक नया सिस्टम फिर से एक्टिव हो सकता है, जिससे फिर बारिश व ओलावृष्टि के आसार बन सकते हैं।

बीकानेर में 3 बार ओलावृष्टि, 80 फीसदी फसल खराब

बीकानेर के लूणकरनसर में पिछले दिनों में तीन बार ओले गिरे। इसने किसान की हालत खराब कर दी है। चने और सरसों की करीब अस्सी फीसदी फसल खराब हो गई है। किसानों ने कहा कि बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से सरसों की फसलों में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। बेर के आकार के ओले गिरने से सरसों की फलियों के दाने बिखर गए। वहीं, बीकानेर जिले के मनाफरसर एक किसान ने कहा कि ओलों की बारिश से फसल नुकसान पहुंचा है। गेहूं की फसल आड़ी पड़ गई है। दाने काले पड़ने का डर है। जौ, चना और सरसों की फसल को भी नुकसान हुआ है। ऐसे में राज्य सरकार को गिरदावरी करवाकर मुआवजा दिलवाना चाहिए।

सही नहीं सका बर्बादी की दर्द, छोड़ दी दुनिया

मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल का दर्द बूंदी जिले का एक किसान सह नहीं सका और उसने मौत को गले लगा लिया। किसान का नाम पृथ्वीराज बैरवा था, जो बूंदी जिले के बाजड़ गांव का रहने वाला था। बारिश और ओलावृष्टि से उसके 3 बीघा खेत में बोई गई गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी। किसान ने दोनों बेटों और एक बेटी की शादी के लिए 8 लाख रुपए का कर्ज लिया था। उसने सोचा था कि 3 बीघा में गेहूं बोया है, अच्छी फसल होगी तो कुछ कर्ज तो उतर ही जाएगा। पिछले दिनों आई बरसात ने अरमानों पर पानी फेर दिया। ओले, बारिश और तेज हवा के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गई। खेत में गया तो देखा, जिस फसल के भरोसे कर्ज चुकाने का सपना पाला था वो पसरी हुई थी। समझ नहीं आ रहा था कर्ज कैसे चुकाऊंगा? इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी? परिवार कैसे पालूंगा?’ इसे उधेड़बुन के चलते उसने मौत को गले लगा लिया। यह तो प्रदेश के एक किसान की दर्दभरी दास्तां हैं। प्रदेश में एेसे और भी बहुत से किसान हैं, जो प्रकृति के कहर के कारण बर्बादी का शिकार हुए हैं। कोई अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने का सपना पाले हुए था तो कोई किसान इसलिए खुश था कि अब वह फसल बेचकर अपने बेटी को खुशी-खुशी डोली में बैठाकर विदा कर पाएगा। बर्बादी का शिकार हुए किसानों में बहुत से किसान ऐसे थे, जो इन फसलों को बेच या तो अपने बेटा-बेटी की शादी करवाना चाहते थे या फिर अपने बच्चों के कॉलेज या कोचिंग की फीस भरना चाहते थे। बेमौसम हुई बारिश ने किसानों को कर्जदार बना दिया है।

आपदा राहत मंत्री का ये जवाब

फसल खराबे पर किसानों की आवाज विपक्ष ने भी विधानसभा में उठाई। जहां बीजेपी विधायकों ने खराबे के आकलन पर सवाल उठाते हुए हंगामा किया। आपदा राहत मंत्री गोविंद मेघवाल ने बताया कि मार्च तक पाला, शीतलहर और ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों में 33 फीसदी से ज्यादा खराबा हुआ है। उन्हें जल्द स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड से इनपुट सब्सिडी के तौर पर सहायता दी जाएगी। इसके साथ ही नुकसान की विशेष गिरदावरी करवाई जा रही है। 
बीते तीन दिन हुई बारिश से प्रदेश में प्रदेश के दो दर्जन जिले में बारिश और ओलावृष्टि से फसलें ख़राब हुई है। इनमें से सात जिलों में 40 फीसदी तक खराबा हुआ है। जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा और भरतपुर संभाग में गेंहूं की फसल में 15 से लेकर 40 फीसदी तक नुकसान हुआ है। वहीं चने की फसल में 30 फीसदी तक नुकसान हुआ है। इसके अलावा जौ, सरसों की जहां कटाई नहीं हुई है, वहां 50 फीसदी से अधिक नुकसान है। ओलावृष्टि से सब्जियों में भी 35 फीसदी तक खराब हुई है।
 

ओलावृष्टि से इन क्षेत्रों में अधिक खराबा 

बारिश और ओलावृष्टि के अधिक मामले जयपुर, सीकर, दौसा, अलवर समेत झुंझुनूं, हनुमानगढ़ और हाड़ौती के बूंदी और मारवाड़ के बाड़मेर से सामने आए है। जयपुर के आमेर, चौमूं क्षेत्र में ओलावृष्टि से गेहूं की फसल में 40 फीसदी तक नुकसान हुआ है। वहीं सब्जियों में भी भारी नुकसान देखने को मिला। इसके अलावा  दौसा के लालसोट, रामगढ़ पचवारा, चांदराना और भांडारेज सहित कई जगह फसलें 30 फीसदी तक खराब हुई है। भरतपुर में भी 40 प्रतिशत से ज्यादा फसलों में नुकसान हुआ है।  सीकर के रींगस में बारिश के साथ ओले गिरे वहीं झुंझुनू के चिड़ावा में भी ओलावृष्टि से फसलों में भारी नुकसान हुआ है। कोटा, बारां, बूंदी, झालवाड़ में बारिश और ओलावृष्टि से 30 से 40 फीसदी फसलें खराब हुई है।  इधर जोधपुर, बाड़मेर, पाली में गेहूं, चना के साथ जीरे की फसल में भी नुकसान देखा गया है।

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