राजस्‍थान केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में 77वें स्‍वतंत्रता दिवस का भव्‍य आयोजन

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अजमेर. स्वतंत्रता दिवस केवल ध्वजारोहण या केवल हमारे राष्ट्रगान के गायन का दिन नहीं अपितु यह अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन संघर्ष की याद दिलाता है जिन्होंने एक स्वतंत्र और लोकतान्त्रिक भारत की खोज में उत्पीड़न का सामना किया और अपने जीवन का बलिदान दिया।“ यह बात विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने भारत के 77 वें स्वतन्त्रता दिवस पर अपने उदबोधन में कही।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में देश का 77वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाया गया।
विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो.आनंद भालेराव ने सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और परेड की सलामी ली । इस समारोह में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्‍यों, अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने पूरे उत्‍साहपूर्वक भाग लिया।

समारोह का मुख्य आकर्षण था, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) जो कि शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की एक स्वायत्त संगठन है, के सहयोग से “भारत का स्वतंत्रता संग्राम, 1757-1947” पर आयोजित प्रदर्शनी, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विगत 200 वर्षों की उल्लेखनीय यात्रा को दर्शाया गया । प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने किया । यह राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी आज़ादी का अमृत महोत्सव के आदर्श वाक्य को प्रतिध्वनित करती है और 22 अगस्त तक आस पास के स्कूलों, कॉलेजों और गाँव वालों के लिए अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
प्रो. भालेराव ने राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गाँधी, नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस, भगत सिंह, अशफाक उल्‍लाह खान, रामप्रसाद बिस्‍मिल, वीर सावरकर, अनंत कान्‍हेरे, रानी लक्ष्‍मीबाई, रानी चेन्‍नम्‍मा कित्‍तूर, सरदार बल्‍लभभाई पटेल आदि के त्‍याग एवं समर्पण की चर्चा करते हुए कहा कि देश सदा उनका ऋणी रहेगा ।
प्रो. भालेराव ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस आत्मनिरीक्षण का भी अवसर है। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें खुद से सवाल करना चाहिए कि हम अपने देश के लिए कैसे योगदान दे सकते है। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक जागरूक होने और न्यायसंगत समाज बनाने कि दिशा में काम करने का संकल्प लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना योगदान देने में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नैक द्वारा A++ मान्यता प्राप्त करने के बाद और यूजीसी द्वारा केटेगरी 1 विश्वविद्यालय घोषित होने के बाद हमारा उद्देश्य यही है कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस राष्ट्र के एक अंशदायी (contributory) नागरिक बने। हमारा प्रयास रहता है कि विद्यार्थी और अध्यापक आपसी सहयोग एवं विमर्श के द्वारा ज्ञान एवं विज्ञान की साधना करेंगे तो उज्ज्वल भविष्य की कामना साकार हो। हमारा उदेश्य यह भी है कि इस विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण में पवित्रता तथा सबके आचरण में शुचिता का भाव हो। आत्मविश्वास से परिपूर्ण जीवन ही शिक्षा का लक्ष्य है और वह हमें प्राप्त हो यही हमारी कोशिश है।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो भालेराव ने कहा कि विद्यार्थियों का मुख्य धर्म पाने पढ़ाई के दिनों में अधिकतम ज्ञान अर्जित करना है। शिक्षकों से अधिकतम संभव चीजें सीखना है। यह उनके भविष्य को सुंदर बनाने के लिए उनके लिए उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का धर्म है वे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें, उनके व्यक्तित्व का विकास करें, जीवन पर्यंत सीखने की आदत डाले और उन्हे हमारे राष्ट्र, समाज और संस्थान के प्रति संवेदनशील बनाए। कर्म ही धर्म है और यदि हम धर्म के मार्ग पर चलेंगे तो स्वाभाविक रूप से वसुधैव कुटुंबकम की भावना मन में बनी रहेगी।
प्रो भालेराव ने अंत में यह संदेश दिया कि हम अतीत के बलिदानों को याद करें और देशभक्ति और अपने देश के लिए प्यार की भावना को फिर से जागृत करें। आइए हम ऐसे भारत की कल्पना करें जो समावेशी, समृद्ध और स्नेहमय हो, एक ऐसा राष्ट्र जो सभी के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता के आदर्शों को बनाए रखता है। आइए हम महान क्रातिकारियों के बलिदान को याद कर माँ भारती की सेवा के लिए उनसे प्रेरणा ले।


77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अमृतकाल में वन महोत्सव के अंतर्गत विश्वविद्यालय में हर्बल गार्डन का उद्घाटन भी कुलपति प्रो आनंद भालेराव द्वारा किया है। यह हर्बल गार्डन 10 एकड़ जमीन में रीजेनल कम फसिलिटेशन सेंटर वेस्टर्न रीजन और रीजेनल सेंटर ऑफ नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष, भारत सरकार के योगदान से तैयार किया जा रहा है । इस परियोजना के तहत एक सामूहिक पौधरोपण अभियान भी चलाया गया।
अन्त में 77 वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों व अतिथियों के मध्‍य मिष्ठान्न का वितरण किया गया ।

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