
मेले में 700 से ज्यादा घोड़े-घोड़ी आए बिकने
यूपी, महाराष्ट्र, हरियाणा व पंजाब से आए खरीदार
भावगढ़ बंध्या में लग रहे चार दिवसीय खलकानी माता के मेले का समापन
जयपुर। राजधानी जयपुर के भावगढ़ बंध्या में चल रहे चार दिवसीय श्री खलकाणी माता के गर्दभ मेले का समापन हो गया। मेले में इस बार घोड़े-घोड़ी अच्छी तादाद में पहुंचे। वहीं खरीदार ज्यादा आने से मेला अपने चरम पर रहा। मन माफिक कीमत मिलने से पशु पालक भी खुश नजर आए। इस बार मेले में सात सौ से अधिक घोड़े-घोड़ी आए। महाराष्ट्र, उतर प्रदेश से आए खरीदारों ने खरीदारी की। मेेले में पहले दिन पांच हजार से ढाई लाख रुपए तक के घोड़े-घोड़ी और खच्चरों की अच्छी बिक्री हुई। नायला से आए चंदा मीणा ने बताया कि इस बार मेले में अच्छी नस्लों के घोड़े-घोड़ी आए जिसके कारण मेला थोड़ा महंगा है। केकड़ी से आए छोटूलाल ने बताया कि मेला इस बार महंगा है। उन्होंने एक लाख रुपए की हेमा नामक घोड़ी खरीदी है। उदयपुरिया के रामेश्वर सेवदा मेले में सात घोड़े-घोड़ी लेकर आए है। उसमें एक 11 महीने की रानी 2.5 लाख रुपए में बिकी है। जबकि पायल और कोमल को कोई खरीदार नहीं मिला।
श्री खलखाणी माता मानव सेवा संस्थान के संरक्षक ठाकुर उम्मेद सिंह राजावत का कहना है कि दूसरे मेलों से यह मेला कई मायनाें में अच्छा है, लेकिन कुछ सालों प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं देने से व्यवस्थाएं बिगड़ गई है। सरकार इस पर थोड़ा ध्यान दे तो मेले की रौनक के साथ सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
मेले में मारवाड़ी नस्ल का 65 इंची ऊंची कद काठी का घोड़ा लेकर आए शौकत अली ने बताया कि वे हर साल बादल को मेले में लेकर आते हैं। कई खरीदार आए लेकिन उन्होंने कीमत नहीं बताई। उन्होंने बताया कि बादल लगाम से नहीं आवाज से कंट्रोल होता है। मेले में सेवापुरा टोडी से आए मोहन लाल गुर्जर ने बताया कि मेले में सब व्यवस्थाएं ठीक है लेकिन व्यापारियों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। दो दिन में एक भी पुलिस कर्मी मेले में नहीं दिखा। वहीं मेले में खूंटा पर्ची व रवाना काटने की कोई व्यवस्था नहीं है। वे मेले में दस पशु लेकर आए है। उनके 12 लाख के नुकरे घाेड़े सुल्तान को खरीदार नहीं मिला। हाथरस से आए नईम खान ने बताया कि उन्होंने 50 हजार में सलमान नामक खच्चर खरीदा है।
