जयपुर। प्रदेश के पशुओं में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज के बीच सोमवार से विभिन्न मांगों को लेकर पशु चिकित्साकर्मी भी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार द्वारा पशु चिकित्सा कर्मियों की मांग की ओर ध्यान नहीं दिए जाने पर पशु चिकित्सा कर्मियों ने यह कदम उठाया है। मामला राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ की 11 सूत्रीय मांगों से जुड़ा हुआ है। मांगें पूरी नहीं होने के विरोध में पशु चिकित्सा अधिकारियों ने यह कदम उठाने का निर्णय लिया है।
चार माह पूर्व भी किया था आंदोलन
संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने बताया कि कार्मिकों ने अपनी मांगों को लेकर चार माह पूर्व आंदोलन किया था, मुख्य सचिव से 11 अप्रेल को हुई वार्ता में तीन माह में मांगों पर लिखित आदेश जारी करने पर सहमति बनी थी। इसके बाद 29 दिन तक चले आमरण अनशन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। मांगें पूरी नहीं हुई तो फिर आंदोलन शुरू किया गया। इसके बाद 20 अगस्त को पशुपालन मंत्री और शासन सचिव ने मांगों के निस्तारण के लिए सात दिन का समय मांगा था और वह भी पूरा हो चुका है। लेकिन कार्मिकों की मांगों पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ।
पशुओं के इलाज पर पड़ेगा असर
ऐसे में अब प्रदेश के 10 हजार पशु चिकित्साकर्मियों ने सोमवार से सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय किया है। अजय सैनी ने कहा कि पूरे प्रदेश में पशुधन लम्पी से संक्रमित है और इसकी रोकथाम के लिए अभियान चल रहा है। यदि कार्मिक आंदोलन पर जाते हैं तो इस अभियान पर असर पड़ेगा। कार्मिकों के सामूहिक अवकाश पर जाने से प्रदेश की 6500 पशु चिकित्सा संस्थाओं पर ताले लग जाएंगे।