नहाए खाए के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू

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गंगा नदी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़


जयपुर.
देश भर में नहाए खाय के साथ रविवार से चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू हो गया है। इसको लेकर देश के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरे देश की तरह ही सुल्तानगंज में नहाए खाए को लेकर सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर छठ व्रतियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। पर्व को लेकर हर चौक चौराहे पर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर अजगैबीनाथ गंगा घाट पर एसडीआरएफ की टीम को लगाई गई है। छठ व्रतियों की भीड़ के कारण हर जगह रौनक बनी हुई है।
सुबह से ही गंगा स्नान के लिए छठ व्रती गंगा घाट पहुंचकर गंगा स्नान कर रहे हैं। जाम की समस्या को लेकर सीओ शंभु शरण रायए बीडीओ मनोज कुमार मुर्मूए थानाध्यक्ष लाल बहादुर जगह जगह मॉनिटरिंग कर रहे हैं। छठ व्रतियों की भीड़ एवं जाम की समस्या से निजात दिलाने में प्रशासन लगातार लगा हुआ है। विधि व्यवस्था प्रतिनिधि एएसआई अशोक सिंह ने बताया कि रात 2 बजे से ही गंगा स्नान करने के लिए भारी संख्या में छठ व्रती अपनी निजी वाहन तथा प्राइवेट वाहन लेकर गंगा स्नान करने पहुंच रहे हैं। जगह जगह पुलिसकर्मी एंव चौक चौराहों पर ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र को भी तैनात किया गया है। जिससे जाम से छुटकारा मिल सके।
8 नवंबर 2021 को नहाय. खाय किया जाएगा। नहाय खाय के दिन पूरे घर की साफ. सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना 9 नवंबर 2021 से किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अघ्र्य देती हैं। इस साल 10 नवंबर 2021 को शाम को सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा
खरना के अगले दिन छठ का समापन किया जाता है। इस साल 11 नवंबर को इस महापर्व का समापन किया जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अघ्र्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है।

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