रिकार्ड स्तर पर पहुंचा फास्टैग कलेक्शन

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बना डिजीटल इंडिया की मजबूत पहचान


मदनगंज-किशनगढ़.
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर देश भर में कम हो रहा है और आर्थिक गतिविधियां वापस से लय पकडऩे लगी हैं। लॉकडाउन में ढील और राजमार्गों पर यातायात की आवाजाही में वृद्धि होने के साथ फास्टैग के जरिए होने वाला टोल संग्रह रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। 1 जुलाई 2021 को 63.09 लाख रुपये के लेनदेन के साथ देशभर में फास्टैग के जरिए होने वाला टोल कलेक्शन 103.54 करोड़ रुपये हो गया है। आपको बता दें फास्टैग के जरिए इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह देशभर में 780 सक्रिय टोल प्लाजा पर संचालित हो रहा है। जून 2021 में टोल संग्रह बढकऱ 2576.28 करोड़ रुपये हो गया जो कि मई 2021 में वसूले गए 2125.16 करोड़ रुपये से लगभग 21 प्रतिशत अधिक है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी पहल डिजिटल इंडिया आज जन आंदोलन में बदल गया है। डिजिटल इंडिया को 1 जुलाई 2021 को 6 साल पूरे हो गए हैं। इसके तहत सरकार ने टोल प्लाजा पर होने वाला लेनदेन को डिजीटल करने के लिए इस साल फरवरी में फास्टैग को अनिवार्य रूप से लागू किया। इससे न सिर्फ समय की बचत हुई बल्कि ईंधन की बर्बादी पर भी रोक लगी।

96 प्रतिशत हो रहा फास्टैग का इस्तेमाल

लगभग 3.48 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथए देशभर में फास्टैग का इस्तेमाल करीब 96 प्रतिशत तक हो रहा है और कई टोल प्लाजा पर इसका इस्तेमाल 99 प्रतिशत तक होता है। एक अनुमान के मुताबिक फास्टैग प्रतिवर्ष ईंधन पर लगभग 20000 करोड़ रुपये की बचत करेगा जिससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के साथसाथ पर्यावरण संरक्षण मे भी मदद होगी। राजमार्ग का उपयोग करने वालों द्वारा फास्टैग अपनाने से और इसकी निरंतर वृद्धि से सभी राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर प्रतीक्षा समय में काफी कमी आई है।

पिछले महीने आई थी गिरावट

मई के महीने में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन में गिरावट आई थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसारए राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह मई के महीने 25.30 फीसदी गिरने की आशंका जताई थी। मार्च के मुकाबले अप्रैल महीने में भी टोल कलेक्शन में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए लगे लॉकडाउन को बताया गयाए जिसकी वजह से आवाजाही बड़े स्तर पर प्रभावित हुई थी।

फास्टैग कैसे करता है काम

देश के सभी नेशनल हाइवे पर टोल 15 फरवरी से कैशलेस हो गए हैं। वाहनों पर फास्टैग अनिवार्य है। यह एक स्टीकर है जो आपकी गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। वाहन चालक जब किसी भी नेशनल हाइवे पर यात्रा के दौरान टोल से गुजरते हैं तो वहां पर लगे स्कैनर गाड़ी पर लगे स्टीकर को डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक के जरिए स्कैन कर लेते हैं। दूरी के हिसाब से पैसे काट लिए जाते हैं। फास्टैग को रिचार्ज करना पड़ता इसकी वजह से वाहन को टोल पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसकी वजह से टोल पर वेटिंग टाइम में भी कमी दर्जी की गई है।

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