तपस्या से ही संभव है ज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्धि

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रचनात्मकता पर देना होगा जोर
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय और रिसर्च फॉर रिसर्जेस फाउंडेशन के बीच एमओयू

जयपुर.
ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में संपूर्ण प्रसिद्धि मात्र तप से ही संभव है। तप के बिना अनुसंधान, अन्वेषण और प्रवेशन असंभव है और आत्मनिर्भरता के लिए स्व का ज्ञान जरूरी हैं। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय आयोजन सचिव मुकुल कटनिकर ने आत्मनिर्भर भारत पर चर्चा करते हुए कही। कटनिकर राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा स्थापित स्वयंसेवी संगठन रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन नागपुर के मध्य दिनांक 14 जून 2022 को विश्वविद्यालय परिसर में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हेतु आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि शोध का मूल है कि जो भी आप पाना चाहते हैं जैसे मुक्ति, ज्ञान, आनंद पद इत्यादि वो सब तप से प्राप्त हो सकता हैं। मुकुल कटनिकर ने कहा कि तप के शिक्षाशास्त्र को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना ही रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत प्राचीन काल से ही विश्व गुरु हैं और हमें शोध के माध्यम से पुन: विश्व गुरु की ख्याति प्राप्त करनी होगी। आत्मनिर्भरता के लिए पुराने शोध का संदर्भ ग्रहण कर नकलची बनने के बजाए नए शोध पर बल देना होगा। सडक, रेल, हीरा, गेहूँ इत्यादि में भारत की सफलता का उदाहरण देते हुए मुकुल कटनिकर ने कहा कि हम ये गलतफहमी निकाल दें कि सब अच्छा विदेश में ही हैं। आत्मनिर्भर भारत स्वप्न नहीं है क्योंकि हम आज भी कई क्षेत्रों में नंबर 1 हैं। उन्होंने ताइवान और जापान जैसे समृद्ध देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे चमत्कार भारत में भी हो सकते हैं और उसके लिए अपने रचनात्मकता पर जोर देना होगा।
उन्होंने शोध एवं शिक्षा पद्धति तथा पीएचडी पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता बताई। साथ ही स्वयं के संस्मरण को सुनाते हुए गुरु के महत्व का वर्णन किया। कबीर दास की उक्ति चन्दरिया झीनी रे झीनी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने अंदर मौजूद मैली चादर को पारदर्शी बनाने पर कार्य करना होगा ताकि अंदर का प्रकाश बाहर निकल सके क्योंकि बिना स्व अनुभूति के वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती।
इससे पूर्व कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल की उपाध्यक्ष डॉ. अरुणा सारस्वत ने कहा कि संस्कृति ये कहती है कि जहां से जो अच्छा मिले उससे ग्रहण करें नया मिले स्वीकार करें पर स्वयं को भी याद करें और इसी उदेश्य की प्राप्ति के लिए रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन नागपुर की स्थापना हुई। संगठन का उद्देश्य देश का पुनरुत्थान करना है क्योंकि हम पहले से विश्व गुरु रहे हैं। डॉ. सारस्वत ने इस बात पर जोर दिया कि जो अनुसंधान हो वो संस्कृति के अनुरूप हो उसमें भारतीयता का पुट हो और देश के लिए हो। साथ ही यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है जब विश्वविद्यालयों और उद्योगों में सामंजस्य हो।
राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय में शोध, प्रकाशन, अनुदान आदि के आँकड़े साझा करते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। कुलपति भालेराव ने इस दिशा में किए गए सकारात्मक प्रयासों से सबको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा स्थापित स्वयंसेवी संगठन रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन नागपुर के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर से शिक्षा एवं उद्योग के बीच सहयोग स्थापित होगा, अकादमिक सहयोग बढ़ेगा व साथ ही शोध के क्षेत्र में प्रगति होगी। इस एमओयू से विश्वविद्यालय को काफी लाभ होगा।
प्रो. आनंद भालेराव ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य प्रभावी और कुशल सहभागिता के साथ भारत में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में अनुसंधान को सशक्त और सुव्यवस्थित करना है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो डी सी शर्मा और भारतीय शिक्षण मंडल की उपाध्यक्ष अरुणा सारस्वत ने किए।
समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों संस्थान अनुसंधान एवं सुविधाओं के क्षेत्र में एक.दूसरे को समृद्ध करने हेतु मिलकर काम करेंगे जिससे विद्यार्थियों तथा संकाय सदस्यों को अनुसंधान, नवाचार और रचनात्मकता की दिशा में पारस्परिक रूप से लाभ प्राप्त होगा। यह समझौता ज्ञापन संस्थानों के बीच ज्ञान और संसाधनों को साझा करने और उत्कृष्टता, अनुसंधान, संसाधन इत्यादि क्षेत्र में संयुक्त जिम्मेदारियों और गतिविधियों के माध्यम से एक सशक्त शैक्षणिक सहयोग स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।
भारतीय शिक्षण मंडल के कई गणमान्य व्यक्ति जैसे डॉ. अमित दशोरा, प्रो. अनिल कोठारी, जगदीश प्रसाद साहू, डॉ. आर के मोटवानी, अजय सिंह राजपूत आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. संदीप रणभिरकर ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हेमलता मंगलानी ने किया।

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