
टैक्स ऑडिट के व्यावहारिक पहलू पर हुआ सेमिनार का आयोजन
किशनगढ़ सीए संसथान की ओर से आज एक हाफ डे सेमिनार का आयोजन किया गया जो की एक निजी होटल जैन रेस्टोरेंट पर आयोजित किया गया। यह सेमिनार टैक्स ऑडिट के व्यावहारिक पहलू पर आयोजित किया गया। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि आरसीएम सीए अंकित सोमानी थे । इस सेमिनार के मुख्य वक्ता सीए अनूप भाटिया थे जिनका स्वागत उद्बोदन सीए संसथान कमेटी ने किया और दुपट्टा पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेट कर स्वागत किया गया सीए अनूप भाटिया ने बताया की टैक्स ऑडिट के व्यावहारिक पहलू को विस्तार से समझाया और बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 की टैक्स ऑडिट जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। इस वर्ष भारत सरकार द्वारा रिपोर्ट में कई बदलाव किए हैं, जिसकी जानकारी दी। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट के प्रश्न 44 को इस वर्ष से क्रियान्वित किया गया है, जिसमें व्यापारी द्वारा किए गए सभी खर्चों को जीएसटी चुके, कम्पोजीशन व्यापारी से प्राप्त अथवा गैर पंजीकृत व्यापारी से ख़रीदे गए में विभाजित कर दर्शाना है। साथ ही कंपनी ऑडिट के केस में जमा होने वाली सीएआरओ रिपोर्ट में भी वृहद बदलाव किए गए हैं।
इस साल से प्रविधानों में किए गए बदलावों के कारण व्यापारियों को अपने लाभ व हानि के खाते से किए गए खर्चे का मिलान अपने जीएसटी रिटर्न से करना होगा। इसे लेकर व्यापारी थोड़े से उलझे हुए हैं
जिसके चलते टैक्स आडिट कराना और कठिन हो चुका है। पिछले साल में यह प्रविधान लागू नहीं था। इस साल से यह स्पष्ट कर के देना होगा कि व्यापारी द्वारा किए गए खर्च में से कौन सा खर्च जीएसटी में कार योग्य है और कौनसा नहीं, जिससे वे आसानी से प्रक्रिया पूर्ण कर सकें। जानकारी क मुताबिक उन व्यापारियों के सामने परेशानी अधिक खड़ी हो चुकी है जो बिना साफ्टवेयर के हाथ से ही खाता तैयार किए हुए थे। विभाग सीधे तौर पर मांगेगा जानकारी टैक्स आडिट रिपोर्ट में बिंदु 44/1/ में खर्चे का ब्यौरा व्यापारी के द्वारा नहीं दिया जाता है। ऐसे में आडिटर को यह घोषित करना होगा कि जानकारी के अभाव में आडिटर इन बिंदुओं पर अपना मत देने में असमर्थ है। ऐसी स्थिति में संभव है कि आयकर विभाग उक्त डिस्क्लेमर के आधार पर उक्त जानकारी सीधे नोटिस देकर करदाता से मांग ले। ज्ञात हो कि टैक्स आडिट रिपोर्ट में इस साल जीएसटी संबंधी बहुत सारी जानकारी मांगी जा रही है। जिसको लेकर टैक्स आडिट रिपोर्ट बनाने में पसीना आ रहा है। कई व्यापारी लगातार सीए के संपर्क कर इस उलझन से बाहर निकालने की जुगत लगा रहे हैं। बड़ी परेशानी तो यह है लगभग व्यापारियों के पास पुराना डाटा नहीं है। वे अपने स्टाफ से पूछकर जानकारी जुटा रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है।
जानकारी जुटाने में निकल रहा पसीना
पहली बार नए प्रविधान लागू होने पर जो जानकारी मांगी जा रही है। उसको लेकर व्यापारियों के पसीने छूट रहे हैं। जो जानकारी मांगी जा रही है उसका संधारण करने के लिए जिम्मेदारी करदाता की होती है। यह प्रविधान एक अप्रैल 2022 से लागू होने के चलते पिछले वर्षों का काफी सारा रिकार्ड करदाताओं के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे में खर्च की गई राशि की लिखापढ़ी उपलब्ध करा पाना मुश्किल है।
व्यापारियों से यह मांगी जा रही जानकारी
- वर्ष के दौरान खर्च किया गया कुल खर्चा़ ऐसा खर्चा जो कि जीएसटी में करमुक्त है।
- ऐसा खर्च जो जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में आते हैं।
- ऐसे खर्च जो अन्य रजिस्टर्ड यूनिट से जुड़े हों।
- जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत यूनिट को किया गया कुल भुगतान।
- ऐसे लोगों को किया गया भुगतान जो बिना जीएसटी के हैं।
किशनगढ़ ब्रांच के अध्यक्ष सीए मोहित जैन ने सभी अथिति एवं वक्ता और सेमिनार में आये सभी श्रोतागण का आभार व्यक्त किया । इस सेमिनार में सचिव सीए प्रवीण जैन, सिकासा अध्यक्ष सीए अखिलेश शर्मा, उपाध्यक्ष सीए आशीष गुप्ता सीए धर्मेंद्र काकानी, सीए अनिल गौड़, सीए नरेंद्र सोनी, सीए अमित चौधरी, सीए विपिन पारीक, सीए अनिरूद्ध बियानी, सीए राधिका अजमेरा, सीए नेहा बेनावत, सीए सज्जन बागरेचा 35 से अधिक मेम्बेर्स ने भाग लिया। मंच का संचालन सीए अखिलेश शर्मा ने किया।