नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों व विभिन्न संस्थानों में प्रवेश के लिए दिया जाने वाला आरक्षण जारी रहेगा। EWS को दिए जाने वाले 10% आरक्षण पर सोमवार को पांच जजों की खंडपीठ ने मुहर लगा दी। हालांकि पांच में से तीन जजों ने EWS आरक्षण के पक्ष में फैसला दिया। वहीं मुख्य न्यायाधीध यूयू ललित सहित एक अन्य जज ने EWS आरक्षण के खिलाफ फैसला दिया। ऐसे में अब EWS वर्ग को विभिन्न सरकारी नौकरियों में व शिक्षण संस्थानों में प्रवेश सहित अन्य सरकारी योजनाओं में मिलने वाला आरक्षण जारी रहेगा।
ऐसे फंसा था पेंच 10% आरक्षण में
वर्ष 2019 में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए की सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए संविधान में 103वां संशोधन किया किया था। कानूनन, आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में देशभर में SC, ST और OBC वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50% सीमा के भीतर ही है। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
CJI यूयू ललित, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस रवींद्र भट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने EWS को आरक्षण पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस और जस्टिस भट्ट ने EWS के खिलाफ रहे, जबकि जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पक्ष में फैसला सुनाया।