जयपुर में डेढ़ लाख पेड़-पौधे लगा चुका है पर्यावरण गतिविधि संगठन

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किचन गार्डन, हरित घर सहित कई योजनाओं पर चल रहा है कार्य


जयपुर.
बढते प्रदूषण के चलते लोगों को वृक्षों का महत्व समझ आने लगा है। पेड़ न केवल हमारे पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कार्य करते है बल्कि हमे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी देते है। यही कारण है कि हरियाली और खुले माहौल में रहने वाले लोग अधिक स्वस्थ्य और दीर्घजीवी रहते है।
इन्ही सब बातों को लेकर पूरे देश भर मेें पर्यावरण गतिवधि संगठन कार्यरत है। अकेले जयपुर में ही यह संगठन लगभग डेढ़ लाख पेड़-पौधे लगा चुका है। मुख्य बात यह है कि इनमे से 60 प्रतिशत पेड़-पौधे जीवित है और इनका नियमित रखरखाव किया जा रहा है। संगठन का जोर भी इसी बात पर रहता है कि उतने ही पेड़ लगाए जाए जिनका रखरखाव किया जा सके।
संगठन के जयपुर महानगर संयोजक हनुमान प्रसाद शर्मा ने बताया कि पर्यावरण को लेकर वर्ष 2016 में अमृता देवी नागरिक संस्थान (अपना संस्थान) की स्थापना हुई तो उसके संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे। उसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के कार्य किए गए। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की शुरूआत हुई। इसके प्राथमिक कार्य में फलदार और औषधीय पेड़-पौधे लगाना शामिल है। इनमे जामुन, आम और अमरूद आदि मुख्य रूप से है। फलदार पौधे मनुष्यों के भी उपयोगी रहते है तो पक्षियों के भी भोजन में काम आते है। पेड़ लगाने में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि मकान से अधिकतम 2 फीट की दूरी पर ही लगे, रोड पर नहीं लगे। पेड़ों के माध्यम से अतिक्रमण का भागी नहीं बने।
संस्थान पेड़ लगाना, पानी बचाना, पक्षी रक्षा और पॉलीथिन हटाना इन उद्देश्यों को लेकर कार्य करता है। इसके लिए प्रोफेशनल और पब्लिक से संपर्क किया जाता है और धार्मिक, शिक्षण संस्थाएं, नारी शक्ति और एनजीओ का सहयोग लिया जाता है। यह संगठन फरवरी से मई तक पानी बचाने, जून से सितम्बर तक पेड़ लगाने और अक्टूबर से जनवरी तक कूड़ा प्रबंधन के लिए कार्य करता है।
हरित घर पर जोर
संगठन की ओर से लोगों से संपर्क कर हरित घर पर जोर दिया जाता है। इसमे पांच पेड़ अगर जमीन नहीं हो गमले में लगाने, जल संरक्षण और बिजली बचत के उपाय, कूड़ा प्रबंधन जिसमे घर के कूड़ा का घर में ही निस्तारण, पक्षियों के संरक्षण के उपाय करना शामिल है। इन घरों को 5 स्टार हरित घर का दर्जा दिया जाता है। संगठन का लक्ष्य
हरित घरों की संख्या अधिक से अधिक बढ़ाना है।
पंचवटी और नवग्रह वाटिका
इसके अंतर्गत बड़, पीपल, आंवला, अशोक और बील के पेड़ लगाए जाते है। वहीं नवग्रह वाटिका के अंतर्गत रवि के लिए आकड़ा, सोम के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए खेजड़ी, राहु के लिए दूब और केतु के लिए कुशा लगाई जाती है। संगठन का प्रयास रहता है कि जहां जगह मिले वहां पंचवटी या नवग्रह वाटिका लगाई जाए।
कूड़ा प्रबंधन
वहीं कूड़ा प्रबंधन के अंतर्गत रियूज, रिडयूज, रिफ्यूज, रिकवर, रिसाइकिल की नीति अपनाई जाती है। इसके अंतर्गत ही प्लास्टिक की बोतलों में पॉलीथिन की थैलियों को भरकर इको ब्रिक्स बनाई जाती है। यह इको ब्रिक्स पेड़-पौधों की चारदीवारी और अन्य कामों में उपयोग में ली जाती है।
किचन गार्डन
घरों में किचन गार्डन लगाकर प्राकृतिक खाद से सब्जियां उगाई जाती है। रूक्मणी देवी शर्मा ने बताया कि प्लास्टिक बैग में मिट्टी भरकर सब्जियां उगाने का प्रयोग काफी सफल रहा है। इसमे भिंडी, तुरई, फली, गोभी, ब्रोकली आदि सब्जियां उगाकर घर में ही उपयोग में ली गई। घर पर बड़े गमलों और प्लास्टिक की टंकियों में भी यह प्रयोग किया जा सकता है।

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