सेना की रसद जल्द पहुंचाने पर जोर

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लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार से डिफेंस सेक्टर होगा मजबूत, किए गए कई नीतिगत बदलाव

नई दिल्ली. वर्तमान समय में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तेजी से आगे बढ़ते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत में तेजी से हो रहे इस इस आर्थिक बदलाव के भविष्य में चाहे युद्ध क्षेत्र हो या नागरिक क्षेत्र लॉजिस्टिक का महत्‍व बढ़ने वाला है। केंद्र सरकार भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक मजबूत, सुरक्षित, त्‍वरित और आत्‍मनिर्भर लॉजिस्टिक्‍स प्रणाली का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रक्रिया के मद्देनजर भारतीय सेना के पहले लॉजिस्टिक्‍स सम्‍मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेनाओं के बीच आपसी तालमेल स्थापित कर तेजी से लॉजिस्टिक्‍स उपलब्धता पर ध्यान दिया जा रहा है।

क्यों खास है पहला भारतीय सेना लॉजिस्टिक्‍स सम्मेलन

नई दिल्‍ली में आयोजित पहले भारतीय सेना लॉजिस्टिक्‍स सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और आत्मनिर्भर लॉजिस्टिक्‍स प्रणाली बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस प्रणाली को अधिक मजबूत बनाने तथा भविष्य के खतरों के लिए तैयार रहने के निमित्त असैन्य-सैन्य सहयोग का आह्वान किया। साथ ही सम्मेलन में राष्ट्रीय महत्व के इस मुद्दे पर अपना मत साझा करने के अवसर की भी प्रतिभागियों ने सराहना की। सरकार ने विगत कुछ वर्षों में अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए तेजी से कदम आगे बढ़ाए हैं।

कई नीतियों में हुआ बदलाव

दरअसल, आज के समय में देश की सुरक्षा का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। सुरक्षा से जुड़े मामलों और भविष्य के युद्धों में लॉजिस्टिक्स की अहम भूमिका होगी। इसीलिए सेनाओं के बीच तालमेल की जरूरत को देखते हुए नीतियों में कई बदलाव किये गए हैं। राजनाथ सिंह ने देश में लॉजिस्टिक्‍स को एकीकृत करने और इसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तैयार की गई कई नीतियों के बारे में भी जानकारी दी। इन नीतियों में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, पीएम गति शक्ति और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के अन्य उपाय शामिल हैं। देश में एक मजबूत लॉजिस्टिक्स प्रणाली स्थापित करने के लिए नींव रखी गई है, जो सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि सही गुणवत्ता और मात्रा के साथ सही वस्तुएं सेना को सही समय और सही जगह पर उपलब्ध हो सकें।

तीनों सेनाओं के बीच तालमेल पर दिया जा रहा जोर

डिफेंस सेक्टर में लॉजिस्टिक्स की भूमिका को देखते हुए पिछले तीन वर्षों में बदली गईं नीतियों में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल पर ज्यादा जोर दिया गया है। तीनों सर्विसेज के बीच ट्रेनिंग के संदर्भ में भी तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। रक्षा मंत्री ने तीनों सेवाओं के बीच संयुक्त जुड़ाव को पिछले कुछ वर्षों में रक्षा मंत्रालय में किए गए प्रमुख नीतिगत परिवर्तनों में से एक बताया, जिससे अनेक क्षेत्र विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स के कई क्षेत्रों में काफी लाभ हुआ है।

डिफेंस सेक्टर में अनेक जगहों पर कुछ सामान्य रसद की जरूरत होती है, इसकी पूर्ति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के साथ तीनों सेनाएं तेजी से आगे बढ़ रहीं हैं। पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के अलावा भी सरकार ने लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्व समझते हुए इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया है।

सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी

आज देश में विश्व स्तरीय सड़कें, हाइवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है। ऐसे में देश में लॉजिस्टिक्स को एक साथ करने और देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण नीतियां तैयार की हैं। इसमें नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म एवं अन्य प्रयासों से बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना शामिल हैं। इससे भविष्य में चाहे युद्ध क्षेत्र हो अथवा नागरिक क्षेत्र, दोनों की गंभीरता बढ़ने ही वाली है।

आर्थिक विकास में भी उपयोगी

देश की अर्थव्यवस्था को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मजबूत, सुरक्षित और तेजी से लॉजिस्टिक्स आपूर्ति प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक लॉजिस्टिक्स से दो-चार होते रहते हैं। हमारा खाना-पीना, पहनना-ओढ़ना, पढ़ना-लिखना या बिजनेस, हर चीज लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट से जुड़ी हुई है। लॉजिस्टिक्स पर आयोजित इस सैन्य सेमिनार में सेना के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण हितधारक जैसे रेलवे, सिविल एविएशन, कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, अर्धसैनिक बल, अकादमिक और उद्योग ने भी हिस्सा लिया।

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