कोटा। कोचिंग हब कोटा में स्टूडेंट्स के सुसाइड के केस लगातार सामने आ रहे हैं। जनवरी से अब तक यहां 20 स्टूडेंट मौत को गले लगा चुके हैं। इस पर अंकुश के लिए अब स्थानीय प्रशासन ने गंभीरता के साथ गाइडलाइन लागू करने का निर्णय किया है। साथ ही आदेश जारी किए गए हैं कि कोटा के किसी भी कोचिंग सेंटर में संडे को टेस्ट नहीं होगा।
वहीं कोचिंग सिटी में बढ़ते सुसाइड केस को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने भी चिंता जाहिर की है। जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बच्चों पर दबाव न डालें। वे जो बनना चाहते हैं, उन्हें बनने दें। जयपुर के कृषि अनुसंधान केंद्र में शनिवार को आयोजित युवा नीति कार्यक्रम में सुसाइड मामलों का जिक्र करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कोटा में जो आत्महत्या हो रही हैं, वह दुखद और चिंता का विषय है। आठ महीने में 20 बच्चों ने सुसाइड कर लिया। मैं बचपन में डॉक्टर बनना चाहता था, रात को दो-तीन बजे तक पढ़ता था, लेकिन कामयाब नहीं हुआ। मैंने हिम्मत नहीं हारी। रास्ता बदला। सोशल वर्कर बना। राजनीति में आया और आज आपके सामने हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं सीएम बनूंगा, केंद्रीय मंत्री बनूंगा, लेकिन सब पद मुझे मिले। बच्चों पर इतना दबाव है, यह गंभीर हालत है। उनकी काउंसलिंग अच्छे से होनी चाहिए।
कोचिंग में हर सप्ताह कराने होंगे मोटिवेशनल सेशन
कोटा में शनिवार को कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी की बैठक आयोजित की गई। इसमें कोचिंग और हॉस्टल संचालकों समेत कई पुलिस अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि बच्चे कोचिंग और अपने रूम में लगातार पढ़ते रहते हैं। उन्हें रिलेक्स करने का मौका नहीं मिलता। पहले भी मीटिंग में बच्चों को संडे की छुट्टी देने के निर्देश दिए जा चुके हैं। लेकिन फिर भी कई संस्थानों की शिकायतें आती हैं। उन्होंने कोचिंग सेंटर संचालकों को साफ कहा कि संडे को अब कोई टेस्ट नहीं होगा। बच्चे पूरे दिन फ्री रहेंगे। इसके अलावा कोचिंग सेंटर में हर सप्ताह मोटिवेशनल सेशन भी करवाने के लिए कहा गया।
हॉस्टल में लगेंगे सिक्योरिटी डिवाइस
बैठक में हॉस्टल संचालकों के लिए भी गाइडलाइन जारी की गई है। फंदे से लटक कर सुसाइड करने के मामलों पर अधिकारियों का कहना था कि पंखों में सिक्योरिटी डिवाइस लगाया जाए। कलेक्टर ने कहा कि कई हॉस्टल के पंखों में ये लगा हुआ भी है। लेकिन कई हॉस्टल ने अभी इसे लागू नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अगर सभी हॉस्टल और पीजी में यह डिवाइस लग जाता है तो काफी हद तक बच्चों को बचाया जा सकेगा। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को कहा कि इसे तत्काल लागू किया जाए, इसके लिए अलग से आदेश भी जारी किए जाएं।
15 दिन में साइकोलॉजी टेस्ट, बनेगी मॉनिटरिंग टीम
कलेक्टर ने बताया कि बच्चों का साइकोलॉजी टेस्ट भी होगा ताकि उनकी मानसिक स्थिति का पता चल सके। यह टेस्ट हर 15 दिन में कोचिंग संचालकों के साथ हॉस्टल और पीजी मालिकों को भी करना होगा। यदि इस टेस्ट में कोई संदिग्ध मामला आता है तो उसे चिह्नित कर घरवालों को बुलाया जाएगा। एक्सपर्ट के जरिए उसकी काउंसलिंग की जाएगी। बैठक में अधिकारियों ने यह भी बताया कि जो गाइडलाइन जारी की जाती है, उसे लागू नहीं किया जाता। इस पर कलेक्टर ने टीम बनाकर इसकी मॉनिटरिंग करने को भी कहा है।