Dog biting: क्या आप जानते हैं हमारे देश में रोज कितने लोगों को काट लेते हैं कुत्ते

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नई दिल्ली। आपको हर गली मोहल्ले में आवार कुत्ते और पशु घूमते नजर आ जाएंगे, जो लोगों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये हमारे देश में रोज कितने लोगों को काट खाते हैं या नुकसान पहुंचा रहे हैं। नहीं तो हम बताते हैं आपको-
देश में पिछले साढ़े तीन वर्ष में आवारा कुत्तों सहित पशुओं द्वारा मनुष्यों एवं पालतु पशुओं को काटने के प्रतिदिन औसत 12,256 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में दर्ज किए गए हैं।

संसद के हाल ही संपन्न हुए मानसून सत्र में सांसद ए एम आरिफ के प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला द्वारा लोकसभा में पेश किये गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

उत्तर में दिए गए समन्वित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और समन्वित स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म (आईएचआईपी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में आवारा कुत्तों सहित पशुओं द्वारा काटने के 72,77,523 मामले, वर्ष 2020 में 46,33,493 मामले, वर्ष 2021 में 17,01,133 मामले दर्ज किए गए।

उत्तर प्रदेश में शिकार हुए सर्वाधिक लोग

आंकड़ों के अनुसार 2022 में गत 22 जुलाई तक आवारा कुत्तों सहित पशुओं द्वारा काटने के 14,50,666 मामले दर्ज किये गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले करीब साढ़े तीन वर्ष के दौरान आवारा कुत्तों सहित पशुओं द्वारा मनुष्यों एवं पालतु पशुओं को काटने के सर्वाधिक 27.52 लाख मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किये गए। इसके अनुसार तमिलनाडु में ऐसे 20.70 लाख मामले, महाराष्ट्र में 15.75 लाख मामले, पश्चिम बंगाल में 12.09 लाख मामले, गुजरात में 11.09 लाख मामले, आंध्र प्रदेश में 9.51 लाख मामले, बिहार में 5.57 लाख मामले, मध्य प्रदेश में 5.30 लाख मामले और ओडिशा में 3.91 लाख मामले दर्ज किये गए।

साढ़े तीन साल में डेढ़ करोड़ लोग हुए शिकार

पिछले करीब साढ़े तीन वर्ष में आवारा कुत्तों सहित पशुओं के काटने के कुल 1,60,62,815 मामले दर्ज किए गए हैं। मंत्री के उत्तर के अनुसार इस प्रकार से देश में आवारा कुत्तों सहित पशुओं द्वारा मनुष्यों एवं पालतू पशुओं को काटने के प्रतिदिन औसत 12,256 मामले दर्ज किए गए हैं।

सरकार चला रही रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम

मंत्री ने अपने उत्तर में सदन को बताया था कि सरकार ने कुत्तों के काटने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है। अनुच्छेद 243 (ब) और 246 के अनुसार, पशुओं की आबादी को नियंत्रित करने का कार्य स्थानीय निकाय का है। रूपाला ने बताया कि केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ता) नियम 2001 बनाया था, जिसे बाद में वर्ष 2010 में संशोधित किया गया था।

पशु भी ले सकते हैं गोद

उन्होंने कहा कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने मनुष्य-पशु विवाद को कम करने के लिये सामुदायिक पशुओं को गोद लेने के लिए 17 मई, 2022 को परामर्श जारी किया।

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