जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में शिक्षा की महती भूमिका बताते हुए विश्वविद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन के साथ विद्यार्थियों के कौशल विकास पर भी अधिकाधिक ध्यान दिए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे पाठ्यक्रमों का निर्माण कर उनका प्रभावी प्रसार करें, जिससे विद्यार्थी निरंतर नया सीखने और व्यावसायिक दृष्टि से अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रवृत हो सकें।
राज्यपाल मिश्र बुधवार को महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर के तृतीय दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सबके लिए आसान पहुंच, गुणवत्ता के साथ जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए इसके प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीखना ही शिक्षा का विज्ञान होना चाहिए।
शोध एवं अनुसंधान की मौलिक संस्कृति का विकास हो
राज्यपाल ने प्राचीन भारत के नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे प्रख्यात विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों के साथ ही जीवन से जुड़ी व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करते थे। इसी बात की आज भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि महाराज सूरजमल बृज विश्वविद्यालय शोध एवं अनुसंधान की मौलिक संस्कृति का विकास करे। इसके साथ ही स्थानीय इतिहास, कला और संस्कृति से जुड़े ऐसे विषयों पर शोध को भी यहां प्रोत्साहन मिले, जिससे विद्यार्थी अपने पुरातन वैभव को सहेज कर आधुनिक दृष्टि से उनका उपयोग करने में सक्षम हो सकें। उन्होंने विश्वविद्यालयों के जरिए ऐसा शिक्षा मॉडल विकसित करने पर भी जोर दिया, जिससे न केवल मस्तिष्क विकसित हो बल्कि युवाओं की सकारात्मक मानसिकता भी बने।
मानद डाॅक्टरेट की उपाधियां भी दी
समारोह में नोबल अवाॅर्ड विजेता प्रो. रोजर डी कार्नवर्ब, नोबल लॉरियट, स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका, प्रो. वेद प्रकाश नंदा, डेनवर विश्वविद्यालय, कोलोराडो संयुक्त राज्य अमेरिका, डॉ. दायसादू इकेता, अध्यक्ष सेका गाकी इन्टरनेशनल जपान, आर. वेंकटरमणी, अटाॅर्नी जनरल आफ इण्डिया भारत सरकार, न्यायमूर्ति डॉ. दलवीर भण्डारी, इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस, हेग, नीदरलैण्ड को मानद डाॅक्टरेट उपाधियां प्रदान की गई। मिश्र ने वर्ष 2020 के शेष रहे तथा वर्ष 2021 के 40 हजार 541 विद्यार्थियों को उपाधियां, एक कुलाधिपति पदक, समाज द्वारा प्रदत्त 3 पदक, 31 स्वर्ण तथा 10 रजत पदक सहित कुल 45 पदक भी प्रदान किए।
इससे पहले दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. वी. आर. मेहता, अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया आर. वेंकटरमणी ने भी विचार व्यक्त किए। कुलपति प्रो. रमेश चन्द्रा ने विश्वविद्यालय से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।