सांसद दीयाकुमारी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से की मुलाकात

राजसमन्द.
सांसद दीयाकुमारी ने संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर संसदीय क्षेत्र राजसमंद में आने वाले विधानसभा क्षेत्र मेड़ता, राजसमंद और भीम में केन्द्रीय विद्यालय खोले जाने की मांग की।
मोदी सरकार में शिक्षा मंत्रालय का दायित्व सम्भाल रहे धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात करते हुए सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों की स्वीकृति की कार्यवाही जितनी जल्दी होगी उतना ही छात्रों को आने वाले सत्र में लाभ मिल सकेगा। केंद्र सरकार के निर्देशन में शिक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित कार्य हुए है।
सांसद ने कहा कि स्कूल शिक्षा में नये कीर्तिमान स्थापित करने में केन्द्रीय विद्यालय की महत्ती भूमिका है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से विद्यार्थियों का भविष्य संवर सकता है। इसके लिए जरूरतमंद क्षेत्रों में केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना होनी चाहिए। पूरा राजसमन्द लोकसभा क्षेत्र लाभान्वित हो इसके लिए केंद्रीय विद्यालय खोलने की अनुमति मिलना आवश्यक है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने आश्वासन देते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालय के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र का दायरा बढ़ाया जाएगा। ज्ञात रहे कि मेड़ता से केंद्रीय विद्यालय की दूरी 80 किमी है जो मेड़ता के लिए उपयुक्त नहीं है। वहीं राजसमन्द जिला एवं संसदीय क्षेत्र का मुख्यालय भी है तो भीम उपखंड पर पूर्व सैनिकों की संख्या बहुत है।
क्षेत्रीय भाषा पाठ्यक्रम की उपराष्ट्रपति ने की प्रशंसा
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा उठाए गए कदम की सराहना की। उन्होंने अधिक से अधिक शैक्षणिक संस्थानों विशेष रूप से तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों से ऐसा ही कदम उठाने का अनुरोध किया।
उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराना छात्रों के लिए एक वरदान के रूप में काम करेगा। अपनी तीव्र इच्छा जाहिर करते हुए नायडू ने कहा कि मेरी इच्छा वह दिन देखने की है जब सभी इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कानून जैसे व्यावसायिक और पेशेवर पाठ्यक्रम मातृ भाषा में पढ़ाए जाएंगे।
आज 11 भारतीय भाषाओं में पोस्ट किए गए मातृभाषा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम सही दिशा में उठाया गया कदम है शीर्षक वाले एक फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने 11 मूल भाषाओं. हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमी, पंजाबी और उडिय़ा में बी.टेक कोर्स आयोजित करने की अनुमति देने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ;एआईसीटीई के निर्णय के बारे में प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा नए शैक्षणिक वर्ष से क्षेत्रीय भाषाओं में चुनिंदा शाखाओं में पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने के निर्णय का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है।