
श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लड्डू भी चढ़ाया
भीलूड़ा/सागवाड़ा.
अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में दिगम्बर जैन मंदिर भीलूड़ा में रक्षाबन्धन पर्व पर भीलूड़ा में पहली बार विधान के माध्यम से अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनियों और विष्णु मुनिराज को स्मरण करते हुए 10 परिवारों द्वारा 700 अघ्र्य समर्पित किए गए। भगवान श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया।
मुनि पूज्य सागर महाराज की मौन साधना के अंतर्गत चल रहे सुबह 4 बजे की पूजन में पंचामृत अभिषेक और शांतिधारा के साथ सिद्धचक्र विधान के अघ्र्य ज्योतिष के आधार पर वृषभ राशि अंतर्गत आने वाले तीर्थंकरों का पूजन किया गया। 1250 मन्त्रों से हवन में आहुति भी दी गई। 48 दिवसीय विधान अंतर्गत 48 अघ्र्य और छठे काव्य के विशेष 56 अघ्र्य समर्पित किए गए।

रक्षा बन्ध पर्व क्यों
पूर्व वैर भाव के कारण दिगम्बर जैन 700 मुनियों के चारों ओर आग लगाकर उसमें जानवरों को जलाया जा रहा था इस उपसर्ग को ऋद्धि धारी मुनि विष्णु मुनिराज ने अपनी ऋद्धि के प्रभाव से 700 मुनियों को उस आग से निकाला। इस अग्नि के धुएं से मुनियों का गला खराब हो गया तब जैन श्रावकों द्वारा खीर का आहार दिया गया। मुनिराज 700 थे पर मुनियों को आहार करवाने वाले श्रावक 700 से अधिक थे जिन्होंने चौका लगा था। जिन श्रावकों के यहां मुनि का आहार हो गया था श्रावकों ने वात्सल्य वशीभूत होकर आहार करवाया और उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा कि वह धर्म और धर्मात्मा की रक्षा करेंगे। तभी से रक्षाबंधन पर्व प्रारम्भ हुआ।
इन्हें मिला लाभ
इन्द्र बनने का लाभ हितेश अमृतलाल शाह, अशोक टुकावत, ओमप्रकाश शाह को यज्ञनायक लौंग से जाप कमलेश नाथूलाल, शांतिधारा भावेश चांदमल मंयक दोषी, निर्वाण लड्डू रमणलाल टुकावत जयंतिलाल जैन कनकमल जैन और नैवेद्य चढ़ाने का लाभ भावना जैन को प्राप्त हुआ। 700 मुनियों को अघ्र्य अशोक टुकावत सुभाष शाह हितेश मणिलाल कमल प्रकाश जैन कमलेश जैन जयवंत जैन कनकमल जैन हेमन्त जैन सुशांत जैन संजय जैन रमणलाल जैन प्रवीण ललिल जैन तुष्टि जैन ने चढ़ाएं। भक्तामर विधान में मुख्य पूजन रमणलाल टुकावत ने किया।
