बच्चों को साइबर क्राइम से बचाने के लिए पाठ्यक्रम में हो बदलाव

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सामाजिक कार्यकर्ता धाभाई ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
जयपुर, 29 दिसंबर। जयपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर धाभाई ने साइबर क्राइम शिक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल कर साइबर क्राइम पर रोक लगाने एवं विद्यार्थियों को जागरूक करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, डॉक्टर सुभाष सरकार, डॉक्टर राजकुमार रंजन सिंह एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भेजा है।
धाभाई ने बताया कि वर्तमान दौर में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल देना अभिभावकों की मजबूरी है। इस कारण से साइबर सुरक्षा व शिक्षा की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। विद्यार्थी अज्ञानता के चलते कई बार साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं।

समाजसेवी रवि शंकर धाभाई ने विस्तार से साइबर क्राइम के बारे में बताया कि साइबर बुलिंग, इसमें इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके घटिया, तकलीफदेह संदेश या ईमेल भेजकर जानबूझकर तंग किया जाता है। साइबर ग्रूमिंग में हैकर फर्जी अकाउंट बनाकर बच्चों को फंसाते हैं। शोषण के उद्देश्य से विद्यार्थियों को लालच दे भावनात्मक संबंध बनाना। साइबर स्टॉकिंग का मतलब इलेक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा किसी व्यक्ति पर निगरानी रखना। एक बच्चे की साइबर स्टॉकिंग उसका यौन उत्पीडऩ करने के इरादों से की जाती है। उच्च शिक्षा में साइवर क्राइम व साइबर कानून से जुड़ा अध्ययन तो होता है, लेकिन अब स्कूली स्तर के पाठ्यक्रम में भी इन विषयों की पढ़ाई जरूरी है।
सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर धाभाई ने बताया कि साइबर क्राइम के आंकड़े बढ़ रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते चलन व दिखावे की प्रवृति के कारण बच्चों में सोशल मीडिया का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। खासकर बच्चे साइबर बुलिंग व साइबर क्राइम का शिकार बन रहे हैं। ऐसे में स्कूली स्तर पर भी बच्चों के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए साइबर लॉ व साइबर क्राइम विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सरकार व सीबीएसई को आगे आना चाहिए।

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