CORONA: अभी तक 24 हजार बार बदल चुका है अपना रूप

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अब चीन में कहर बरपा रहा नया वेरिएंट BF.7

जयपुर। इन दिनों कोरोना वायरस का नया वेरिएंट BF.7 सुर्खियों में है। इसे आेमिक्रॉन का ही सब वेरिएंट माना जा रहा है। इसके पहले दुनिया अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा की शक्ल में इस बहरूपिये वायरस का सामना कर चुकी है। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और फिर ओमीक्रॉन। ये कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस अभी तक करीब 24 हजार से ज्यादा बार अपने रूप बदल चुका है।

दुनिया में मिले कोरोना के वेरिएंट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनका मुख्य रूप से दो तरह से क्लासिफिकेशन किया है। इनमें ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ और ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ शामिल हैं। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रॉन को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ में रखा गया है। वहीं, लैम्बडा और एमयू जैसे वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ में क्लासिफाई किया गया है। आइए, यहां जानते हैं कोरोना के प्रमुख वेरिएंट्स के बारे में –

अल्फा वेरिएंट: सबसे पहले ब्रिटेन में मिला

सितंबर, 2020 में दुनियाभर में कोरोना के अल्फा वेरिएंट ने तहलका मचाया था। इसको वैज्ञानिक भाषा में B.1.1.7 का नाम दिया गया। इसे सबसे पहले ब्रिटेन में खोजा गया था। यहीं से यह वेरिएंट पूरी दुनिया में फैला। अमेरिका में भी इस वेरिएंट ने काफी तबाही मचाई थी। इस वैरिएंट में वैज्ञानिकों को 23 म्यूटेशन देखने को मिले थे। इस वेरिएंट का शिकार मरीज 28 दिन के भीतर गंभीर रूप से बीमार होने के साथ ही, आईसीयू में पहुंचने के बाद दम तोड़ सकता है।

बीटा वेरिएंट: दक्षिण अफ्रीका में दी दस्तक

वर्ष 2020 में इस वेरिएंट को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में देखा गया था। बीटा वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.351 है। इसके दो म्यूटेशन E484K और N501Y को सबसे अधिक खतरनाक माना गया। यह वेरिएंट अपने पुराने प्रकार से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उन लोगों को संक्रमित कर सकता है, जो कोरोना वायरस से उबर चुके हैं। इसके अलावा उन लोगों को भी, जिन्हें कोविड -19 का टीका लगाया गया है।

गामा वेरिएंट: ब्राजील में खोजा गया

कोरोना वायरस का गामा वेरिएंट सबसे पहले 2020 में ब्राजील में मिला था। गामा वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम P.1 है। गामा वेरिएंट के दो स्ट्रेन E484K और N501Y को काफी खतरनाक माना गया। जांच में पता चला है कि वैक्सीन लगवाने के बाद यह वेरिएंट मामूली रूप से ही असर करता है।

डेल्टा वेरिएंट: भारत में मिला पहली बार

कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले दिसंबर, 2020 में भारत में पाया गया था। इसे B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनियाभर में कोरोना का सबसे अधिक संक्रामक वेरिएंट माना जाता है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, 3 जुलाई, 2021 को डेल्टा वेरिएंट के अमेरिका में 51.7 फीसदी मामले आए थे। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार, जून के मध्य तक ब्रिटेन में कुल कोरोना संक्रमण में डेल्टा वेरिएंट की हिस्सेदारी 99 फीसदी थी। डब्लयूएचओ की रिपोर्ट है कि 100 देशों में डेल्टा वेरिएंट का पता चला है। इस वेरिएंट ने भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, ब्राजील और सिंगापुर समेत दुनियाभर के कई देशों में तबाही मचाई।

डेल्टा प्लस

यह नया स्वरूप डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना था। इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन, जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था, उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए यह ज्यादा खतरनाक माना गया। कुछ विषाणु वैज्ञानिकों ने आशंका जताई कि यह वेरिएंट अल्फा की तुलना में 35-60 फीसदी अधिक संक्रामक है।

ओमीक्रॉन वेरिएंट

नवंबर, 2021 में ओमीक्रॉन वेरिएंट का पता चला। यह कई देशों में पाया गया। 26 नवंबर, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वेरिएंट को ओमीक्रॉन नाम दिया है। इसका साइंटिफिक नेम B.1.1.529 है। इसके बारे में अध्ययन जारी हैं। हालांकि, कोरोना के इस वेरिएंट को काफी ज्यादा इंफेक्शियस बताया जा रहा है। पहली बार इस वेरिएंट की पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई। यह स्ट्रेन बोत्सवाना सहित आस-पास के देशों में फैल गया था। इसने पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को भी संक्रमित किया।

लैम्बडा वेरिएंट

लैम्बडा वेरिएंट सबसे पहले पेरू में मिला था। इसका नामकरण 14 जून 2021 में किया गया था। इसे C.37 नाम दिया गया। कोरोना के इस प्रकार को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ में क्लासिफाई किया गया है।

इटा वेरिएंट

दिसंबर, 2020 में एक साथ कई देशों में इसके मरीज देखे गए। इसे मार्च 2021 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी में शामिल किया गया था।

आइओटा वेरिएंट

नवंबर, 2020 में सबसे पहले इसे अमेरिका में देखा गया। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इसे मार्च 2021 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेगरी में शामिल किया।

एमयू वेरिएंट

यह वेरिएंट सबसे पहले कोलंबिया में पाया गया था। 30 अगस्त, 2021 को इसे B.1.621 नाम दिया गया। कोरोना की इस किस्म का भी ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ में क्लासिफिकेशन किया गया।

वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (VOI)

जब कोई वेरिएंट म्यूटेशन के बाद अपनी संरचना और स्वभाव में बदलाव दिखाता है तो उसे अलग वेरिएंट माना जाता है। शुरुआत में किसी भी वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की कैटेगरी में ही रखा जाता है। इस पर वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं, डाटा जुटाते हैं और पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या वायरस का यह वेरिएंट खतरनाक है या नहीं।

वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC)

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वेरिएंट ऑफ कंसर्न वायरस का ऐसा प्रकार होता है, जो बेहद तेजी से फैलता है। मृत्यु दर को बढ़ा देता है, वैक्सीन के प्रभाव को कम कर देता है या फिर बीमारी के खिलाफ पहले से मौजूद मेडिकल इंतजामों को फेल कर देता है। इस प्रकार के वेरिएंट पर नजर रखना बेहद जरूरी है कि यह कब अपने स्वभाव और संरचना में बदलाव कर रहा है।

इस वेरिएंट ने मचाई चीन में तबाही

कोरोना के नए वेरिएंट यानी कि BF.7 को ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट माना जा रहा है। इसका पूरा नाम तो BA.5.2.1.7 है, लेकिन इसे शॉर्ट में BF.7 कहा जा रहा है। यह वेरिएंट कोरोना के स्पाइक प्रोटीन में मौजूद एक खास प्रकार के म्यूटेशन से मिलकर बना है, जिसे R346T नाम दिया गया है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि ये नया वैरिएंट वैक्सीन से बनाई गई एंटीबॉडी को भी चकमा देने में सफल साबित हो रहा है।

नए वेरिएंट BF.7 के लक्षण

•इस नए वैरिएंट में मरीज को खांसी, गले में खराश, बुखार, थकावट, नाक बहना और उल्टी जैसी समस्याएं होती है। कई बार तो इसके लक्षण भी नजर नहीं आते। कोरोना के नए वैरिएंट BF.7 का संक्रमण काल कोरोना से बहुत ही कम है और ये काफी तेजी से फैल जाता है। कोरोना का BF.7 वैरिएंट 1 संक्रमित इंसान से लगभग 10 से 18 लोगों तक फैल सकता है।

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