बेहतर है डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना

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समाज में वंचित एवं कमजोर वर्गों की प्रभावी भागीदारी
सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणाओं के बेहतर क्रियान्वयन से आमजन लाभान्वित होने लगा है। इसी की एक बानगी उद्योग विभाग में संचालित डॉ. भीमराव अम्बेडकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022 है। उद्योग मंत्री शकुंतला रावत के निर्देशों के बाद राज्य के औद्योगिक विकास में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभाग में योजना का शुभारंभ कर दिया गया है।

इस योजना का उद्देश्य राज्य के गैर-कृषि क्षेत्रों (विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार) के विकास में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गाे की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना, उद्यमिता एवं दक्षता संवर्द्वन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के वंचित एवं कमजोर वर्गों में कौशल एवं उद्यमिता का विकास करना, लक्षित वर्गों की शिक्षित युवा पीढी के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित कर शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकना, लक्षित वर्गों की आय में वृद्धि करते हुये उनके जीवन स्तर को उन्नत बनाना है।

इस योजना के अंतर्गत उद्यमियों को 25 लाख रुपए तक के ऋण पर 9 फीसद ब्याज अनुदान तथा 5 करोड रुपए तक के ऋण पर 7 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ ही 25 लाख रुपए तक की सीमा में प्रोजेक्ट लागत का 25 फीसद तक मार्जिन मनी का भी प्रावधान किया गया है जिससे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के निवेशक नए उद्योग लगाने और सेवा क्षेत्र में तथा व्यापार के लिए भी प्रेरित होंगे।

इंक्यूबेशन सेन्टर के जरिए युवा उद्यमियों को किया जाएगा प्रशिक्षित-
योजना के अंतर्गत डिक्की एवं सीआईआई के सहयोग से 100 करोड़ रुपए की लागत का इंक्यूबेशन सेन्टर स्थापित किया जाएगा, जिसमें इन वर्गों के युवाओं को उद्यम स्थापित करने, संचालित करने सहित सभी जरूरी आवासीय प्रशिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही रीको के औद्योगिक क्षेत्रों में इन वर्गों के उद्यमियों को आवंटन देय आरक्षण की सीमा को भी 5 से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किया गया है। इसके अलावा आवंटित होने वाले भूखंडों की निर्धारित सीमा 2000 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 4000 वर्ग मीटर की गई है।

चयनित उद्यमियों को रीको से मिल रही भरपूर सुविधाएं-
रीको द्वारा वर्तमान में भूमि आवंटन के लिए अपनाई जा रही नीलामी व्यवस्था की जगह आरक्षित दर पर उन वर्गों के उद्यमियों से सीधे ही भूखंड आवंटित किया जाएगा। साथ ही किस्तों पर आवंटित होने वाले भूखंडों पर कोई भी ब्याज वसूल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा चयनित उद्यमों में रीको या राजस्थान वेन्चर कैपिटल फंड के माध्यम से 10 प्रतिशत अधिकतम 25 लाख रुपए की भागीदारी की व्यवस्था की जाएगी। इस अभिनव पहल से लक्षित वर्गों के उद्यमियों को विभिन्न वर्गों के तकनीकी एवं अन्य अपेक्षित स्वीकृति प्राप्त करने में सहयोग मिलेगा।

कोलेट्रल सिक्योरिटी भी नहीं और कम प्रतिशत पर ब्याज अनुदान-
इस योजना में चयनित उद्यमियों को बैंकों को ऋण प्राप्त करने के लिए कोलेट्रल सिक्योरिटी नहीं देनी होगी क्योंकि बैंकों को ऋण की गारंटी के लिए भारत सरकार द्वारा उपलब्ध क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड फॉर माइक्रो स्मॉल एन्टरप्राइजेज कोष में गारंटी फीस का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। उद्यमियों को कम लागत पर ऋण उपलब्ध कराने की दृष्टि से ऋण राशि के पेटे 6 से 9 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराया गई है तथा प्रोजेक्ट में उद्यमों का अंशदान कम करके 25 प्रतिशत अधिकतम 25 लाख रुपए की मार्जिन मनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

रिप्स-2019 के तहत स्टाम्प ड्यूटी में छूट-
इन वर्गों के उद्यमियों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2019 के अंतर्गत उद्यम स्थापित करने से पूर्व क्रय किए गए भूखंडों पर स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट भूमि रूपान्तरण शुल्क में भी 100 प्रतिशत की छूट उपलब्ध होगी। उद्यम संचालित होने के बाद इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट के साथ इकाई द्वारा निवेश की गई राशि की 200 प्रतिशत की सीमा में 7 वर्षों तक चुकाए गए समस्त एसजीएसटी राशि का पुनर्भरण किया जाएगा।

आगामी 5 वर्षों में 1200 करोड़ रुपए का दिया जाएगा ऋण-
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2019 में थ्रस्ट सेक्टर्स हेतु न्यूनतम निवेश की सीमा इन उद्यमियों के लिए 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे अधिकाधिक उद्यम लाभान्वित हो सकें। इन सबके अलावा ऐसे उद्यमियों को उद्योग स्थापना से पूर्व एवं संचालन के दौरान समस्त प्रकार का मार्गदर्शन एवं सहयोग उद्योग विभाग द्वारा प्रदान किया जाएगा। इसके लिए आवेदन प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी एवं ऑनलाइन किया जाएगा। आगामी 5 वर्षों में 9 हजार उद्यमियों को लगभग 1200 करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

यह होगी पात्रता-
राजस्थान मूल का ऐसा निवासी जो अनुसूचित जाति या अनूसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित रखता हो और आवेदन के समय उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो। केन्द्र अथवा राजकीय सेवा अथवा केन्द्रीय या राजकीय संस्थानों में कार्यरत नहीं हो। भागीदारी एवं एलएलपी फर्म्स, सहकारी समिति एवं कम्पनी के मामलों में आवेदक संस्थान में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के व्यक्तियों का 51 प्रतिशत अथवा अधिक स्वामित्व हो। आवेदक पूर्व में बैंक या वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण के भुगतान में डिफाल्टर नहीं रहा हो और मानसिक रूप से अस्वस्थ एवं दिवालिया घोषित न हो।

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