शुक्र अस्त एक अक्टूबर से 23 नवंबर 2022 तक

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गुरु व शुक्र के अस्त होने पर वर्जित रहेंगे शुभ कार्य

।। श्रीहरिः।।
।। श्रीमते रामानुजाय नमः। ।

सभी सनातन वैदिकधर्म एवं संस्कृति के मतावलम्बी जनों के ज्ञानार्थ मुहूर्त चिंतामणि के प्रथम अध्याय शुभाशुभप्रकरण के श्लोक संख्या 46 व 47 एवं ज्योतिषसार के पृष्ठ सं 103 – 104 पर वर्णित प्रमाण को उद्धरित करते हुए बता रहा हूँ जो शास्त्र का आदेश है वह हम सभी के लिए पूर्णतया मान्य व श्रेयस्कर होगा। अतः वही हम सभी को करना चाहिए जो हमारे शास्त्रों ने हमें आज्ञा प्रदान की है।
मुहूर्तचिन्तामणि:———
वाप्यारामतड़ागकूपभवनारम्भ प्रतिष्ठेव्रता-
रभोत्सर्गवधूप्रवेशनमहादानानि सोमाष्टके ।।
गोदानाग्रयणप्रपाप्रथमकोपाकर्म वेदव्रतं ।
नीलोद्वाहमथातिपन्नशिशुसंस्कारान्सुरस्थापनम् ।। 46 ।।
दीक्षामौञ्जिविवाहमुंडनमपूर्वंदेवतीर्थेक्षणं ।
सन्यासाग्निपरिग्रहौनृपतिसन्दर्शाभिषेकौगमम् ।

चातुर्मास्यसमावृतीश्रवणयोर्वेधंपरिक्षां त्यजेद्।
वृद्धत्वास्तशिशुत्वइज़्यसितयोर्न्यूनाधिमासे तथा ।।47।।

अस्तमयादि फलमाह बादरायणः –

“गुरोरस्ते पतिं हन्याच्चछ्रुक्रास्ते चैव कन्यकाम्।
चन्द्रे नष्टे उभौ हन्यात्तस्मादस्तं विवर्ज्जयेत्।।”
“बालभावे स्त्रियं हन्याद्वृद्धभावे नरं तथा।
तस्माद्बाले च वृद्धे च विवाहं नैव कारयेत्।।”

ज्योतिषसार के पृष्ठांक 103-104 पर – – – –

वापीकूपतडागयज्ञगमनं क्षौरंप्रतिष्ठाव्रतं।
विद्यामन्दिरकर्णवेधनमहादानं गुरोः सेवनम्।।
तीर्थस्नानविवाहकाम्यहवनं मन्त्रोपदेशंशुभम्।
“दूरेणैवजिजीविषुः”परिहरेदस्तेगुरौ भार्गवे।।

हिन्द्यर्थ :——-

इसका अर्थ हिन्दी में यह है कि जब जब आकाशीय खगोल में गुरु व शुक्र के अस्त, शिशुत्व व वृद्धत्व रहने के दौरान तथा खरमास (मलमास) अधिक मास व क्षय मास में ये सारे कार्य किसी भी स्थिति में नहीं करे । इन श्लोकों का अर्थ :-

नवीन बावड़ी बनवाना, तड़ाग (तालाब) , बगीचा , कुआँ, गृहारम्भ , गृहप्रतिष्ठा (गृहप्रवेश) , लंबे समय के लिए किए जाने वाले व्रतों का आरंभ, व्रतों का उद्यापन , नववधूप्रवेश , तुलादिमहादान जिसमें 16 तरह के महादान , सोमयाग, अष्टकाश्राद्ध , गोदान (केशांतकर्म) इष्टिसंचयन, नए अन्न का प्रयोग , जलशाला (प्याऊ) बनाना या लोकार्पण , पहली बार किया जाने वाला श्रावणीकर्म, वेदव्रत अर्थात् वैदिक महानाम्न्यव्रत , उपनिषद् व्रत , आदि । काम्यवृषोत्सर्ग “न कि ग्यारहवें दिन वाला” , जातकर्मादि संस्कार ,किन्तु जिनका मुख्य काल व्यतीत हो गया हो। दीक्षा (मन्त्रग्रहण) चूड़ाकर्म, अपूर्व देवता एवं तीर्थ दर्शन, अग्निहोत्र का व्रत लेना, चातुर्मास्ययज्ञ, समावर्तन, उपनयन (यज्ञोपवीत) , कर्णवेध, सप्तमाषादि परीक्षा, (जो दिव्य न्याय विषय में होती है) , देवता की प्राणप्रतिष्ठा, व्रतबन्ध, विवाह , मुण्डन , प्रथम बार देवस्थान या किसी तीर्थस्थान की यात्रा , सन्यास लेना , पहली बार राजा से मिलना , राज्याभिषेक , चातुर्मास आरंभ , समावर्तन , कर्णवेध ये सभी कार्य नहीं करना चाहिए ।
इस वर्ष संवत् 2079 के आश्विन शुक्ल छठ शनिवार तदनुसार 01 अक्टूबर 2022 को शुक्र का तारा अस्त हो जाएगा, जो मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या बुधवार दिनांक 23 नवम्बर 2022 को उदय होगा । इस प्रकार गुरु व शुक्र के अस्त होने पर आगे पीछे 3-3 दिन के वृद्धत्व व शिशुत्व के कारण विक्रम संवत् 2079 आश्विन शुक्ल 3 तीज (तृतीया) बुधवार दिनांक 28 सितम्बर 2022 से विक्रम संवत् 2079 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तीज शनिवार दिनांक 26 नवंबर 2022 तक किसी भी तरह से शुभ कार्य करना पूर्णतया वर्जित है।

(गुरु व शुक्र के अस्त से तीन दिन पूर्व वृद्धत्व कालांश एवं उदय से तीन दिन बाद तक बाल्यत्व कालांश शुभ कार्यों हेतु वर्जित है।)
उपर्युक्त विवरण निर्णयसागरचण्डमार्तण्डपञ्चाङ्ग
नीमच छावनी एवं श्रीधरी श्रीचण्डांशु पञ्चाङ्ग किशनगढ़ (शहर) को आधार मानकर दिया जा रहा है।

जयश्रीमन्नारायण सा

पंडित रतन शास्त्री, किशनगढ़ अजमेर

संपर्क –9414839743

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