
आमजन का संवाद है ‘ न्यात गंगा’ में – उपेंद्र अणु
जयपुर। राजस्थानी भाषा का कार्यक्रम आखर में आज राजस्थानी भाषा की पुस्तक ‘न्यात गंगा’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष योगेश गौतम, आईटीसी होटल की रीजनल मैनेजर पारुल कपूर, वरिष्ठ साहित्यकार उपेंद्र अणु और साहित्यकार सतीश आचार्य ने यह विमोचन किया। इस अवसर पर साहित्यकार उपेंद्र ‘अणु’ से सतीश आचार्य ने बातचीत की। वरिष्ठ साहित्यकार उपेंद्र अणु ने बताया कि, इस पुस्तक में आमजन की भाषा में नाटक लिखे गए हैं जो उनके ही जीवन का हिस्सा है। इस पुस्तक में नाटकों के माध्यम से किसानों को शोषण से बचने के लिए शिक्षा के महत्व, मृत्यु भोज का विरोध व इसके नुकसान, कर्तव्य कहानी में चिकित्सा का दायित्व और मानवीय मूल्यों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही वृक्ष हमारे जीवन में कितने अधिक महत्वपूर्ण है, इन सबको भी नाटक के माध्यम से बताया गया है। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य यह की आम किसान वर्ग दृश्य रूप में बोली जाने वाली भाषा को अधिक समझता है।
साहित्यकार अणु ने बताया कि वर्ष 1979 से ही राजस्थानी और हिंदी के कवि सम्मेलनों में जा रहे हैं लेकिन राजस्थानी भाषा को बढ़ावा देने के लिए गद्य में लिखना अधिक पसंद किया। क्योंकि भाषा बनाने का कार्य गद्य करता है गद्य में किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिल पाती है। इसीलिए देश की अन्य भाषाओं गुजराती, मराठी, पंजाबी, सिंधी, डोगरी आदि के साहित्य का वागड़ी में अनुवाद किया। इसके लिए उन भाषाओं के साहित्यकारों से भी संवाद किया। मराठी साहित्यकार विष्णु सखाराम खांडेकर की प्रसिद्ध पुस्तक ययाति का और धूमिल की कल सुनना मुझे पुस्तक का राजस्थानी में अनुवाद किया। धूमिल की पुस्तक के अनुवाद पर वर्ष 2005 में केंद्रीय साहित्य अकादमी का सर्वोच्च अनुवाद पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। इसी पुस्तक पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का बावजी चतर सिंह अनुवाद पुरस्कार भी मिला। गुजराती लेखक भगवान दास पटेल की पुस्तक म्हारी लोक यात्रा का भी अनुवाद किया। इन अनुवादित पुस्तकों से राजस्थानी के पाठकों को विभिन्न भाषाओं के साहित्य और जनजीवन की जानकारी मिली है।
राजस्थानी के सवाल पर वरिष्ठ साहित्यकार उपेंद्र अणु ने बताया कि, राजस्थानी एक ही है अलग-अलग बोलियां तो सभी भाषाओं में है। राजस्थान का आम जन राजस्थानी की अधिकतर बोलियों को समझ लेता है। हमारी वागडी, मारवाड़ी शेखावाटी, मारवाड़ी सभी राजस्थानी भाषा का ही हिस्सा है। इस दौरान उन्होंने कई कविताएं भी सुनाई। कार्यक्रम का संचालन प्रदक्षिणा पारीक ने किया और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया।
