
मदनगंज किशनगढ़.
सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा क्षमावाणी पर्व जयपुर रोड स्थित आरके कम्यूनिटी सेंटर में मनाया गया। समाज के लोगों ने वर्षपर्यन्त जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए एक-दूसरे को हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। सांसद भागीरथ चौधरी, पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया, भाजपा नेता डाॅ. विकास चौधरी, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन ने समाज के लोगों को क्षमावाणी पर्व की शुभकामनाएं दी। आरके मार्बल परिवार से कंवरलाल पाटनी, आरके मार्बल समूह के चेयरमैन व जैन गौरव अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी, विमल पाटनी, शांता पाटनी, तारिका पाटनी के अलावा अतिथियों का अभिनंदन मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन पंचायत के अध्यक्ष विनोद पाटनी व आदिनाथ दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष प्रकाश गंगवाल व समस्त पदाधिकारियों ने किया।
इनका हुआ सम्मान
क्षमावाणी पर्व के दौरान आयोजित समारोह में दसलक्षण पर्व के दौरान उपवास करने वालों का सम्मान किया गया। अतिथियों व समाज के पदाधिकारियों ने सोलह कारण उपवास करने वाली सुशीला पाटनी पत्नी अशोक पाटनी आरके परिवार, राकेश पहाड़िया (पीसांगन) , रत्न दगड़ा, उर्मिला छाबड़ा, प्रभा पहाडिया का सोलह कारण उपवास करने के लिए अभिनंदन किया गया।
इसके अलावा दस उपवास करने वाले कल्पना काला पत्नी विजयकुमार काला नावां वाले, शालू बज पत्नी प्रतीक बज, पीयूष अजमेरा पुत्र पदमकुमार अजमेरा, उर्मिला पांड्या पत्नी अक्षय पांड्या, कन्नू जैन पत्नी धीरेन्द्र कुमार जैन, लक्षिका अजमेरा पुत्री राकेश अजमेरा, गीतिका दोसी पुत्री अजीतकुमार दोसी, आक्षी पत्नी गौरव बोहरा, स्नेहा पाटनी पत्नी शुभम पाटनी, रितिका पुत्री मनोज पाटनी, कमलादेवी पत्नी स्व. कुंथीलाल बैद, पं. अनूप शास्त्री पुत्र स्व. कपूरचंद जैन, मुकेश काला पुत्र स्व. बालचंद काला, वंशिका दगड़ा पुत्री विजय कुमार दगड़ा का अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम का मंच संचालन प्राणेश बज ने किया।
श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा
क्षमावनी पर्व के दौरान रुपनगढ़ रोड स्थित श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सायंकालीन पंचामृत अभिषेक एवं शांति द्वारा की गई। प्रचार मंत्री गौरव पाटनी ने बताया कि श्रीजी पर पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य श्रीमान मनीष कुमार रोहितकुमार मोहितकुमार बड़जात्या कालानाडा वाले को प्राप्त हुआ वही श्री जी की चरणों की माल का सौभाग्य महावीर प्रसाद प्रदीप कुमार दिलीप कुमार गंगवाल परिवार रूपनगढ़ वाले को प्राप्त हुआ।
श्री मुनिसुव्रतनाथ पंचायत अध्यक्ष विनोद पाटनी ने क्षमावाणी पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि पयुर्षण पर्व के दस दिनों में हमने आत्मा के दस धर्मों को समझा है। दस धर्म वास्तविकता में आत्मा को पुनित व पावन बना देते है। इसलिए इन सभी पर्वों के अंत में क्षमावाणी पर्व प्रारंभ हो जाता है। आरके कम्यूनिटी सेंटर में क्षमावाणाी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सहज ही मन में यह प्रश्न उठता है कि क्षमावाणी पर्व की आवश्यकता क्यों? तो आचार्य महाराज कहते है जब आपका घर गंदा हो जाता है उसमें कपट जमा हो जाता है तो आप झाडू से उस कचरे की सफाई करते है। कीटाणु विभिन्न प्रकार के जीव उत्पन्न न हो अत: पुताई करते है। उसी प्रकार हमारी आत्मा में जमे हुए राग-द्वेष, विषय-कषाय, बैर-विरोध, लोभ-लालच रूपी कचरे को साफ करने के लिए क्षमा धर्म की आवश्यकता है। भादो के महिने में दस धर्मों के समापन की बेला में आपसी कषायों, बुराइयों का त्याग कर क्षमावाणी पर्व मनाना चाहिए। आदिनाथ पंचायत अध्यक्ष प्रकाश चंद गंगवाल ने कहा कि क्षमा एकता संगठन कराती है जबकि कषाय विघटन करती है। क्षमा मित्रता को जन्म देती है जबकि कषाय शत्रुता को। क्षमा में सहयोग है कषाय में असहयोग है। क्षमा में हितैषी भावना है और कषाय में अहित भावना है। क्षमता में प्रशंसा है और कषाय में निंदा है। क्षमता में दूसरे प्राणियों के प्रति करूणा होती है। कषाय में हिंसा होती है। क्षमता से धैर्य उत्तपन होता है और कषाय से अधैर्य उत्पन्न होता है। पाटनी ने कहा कि कि क्षमा वीरस्य भूषणम् अर्थात उत्तम क्षमा धर्म वीरों का आभूषण है, क्षमा के बिना जीवन बेकार है। देखा जाता है कि हमारी वाणी से क्षमा होती है परंतु तन व मन में नहीं होती। मुख से तो क्षमा मांगते है परंतु शरीर को नहीं झुकने दे रही। जब तन में ही क्षमा नहीं तो मन में कैसे हो सकती है। क्षमा मात्र वचनों से हीं अपितु हमारे हाव-भावों से झलकना चाहिए।
