अमृत है श्री रामचरितमानस का स्वाध्याय

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।।श्रीहरिः ।।
।। श्रीमते रामानुजाय नमः ।।

श्रीरामचरितमानस

मदनगंज किशनगढ़. हम सब प्राणी जो सनातन वैदिक हिन्दू धर्म से जुड़े हैं और अपनी सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं, उन्हें जीवन में एक बार श्री रामचरितमानस का अवश्य स्वाध्याय करना चाहिए।

मानस वह महनीय ग्रन्थ है, जिसमें हर प्रकार का भाव पूर्णरूप से खिलकर प्रकट होता है। भाग्यशाली हैं हम जो इस पवित्र भारतभूमि पर जन्मे हैं व श्रीरामचरितमानस पढ़ने और गुनने का अवसर ईश्वर ने हमें दिया है।

श्रीरामचरितमानस ही वह साधन है जो यश-अपयश, मान-अपमान, लाभ – हानि जीवन-मृत्यु जैसी भावनाओं से मुक्त कर देता है। मानस ही वह साधन है जो सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति में सहायक सिद्ध होता है। फिर चाहे वे मनुष्य की दिन प्रतिदिन वाली छोटी छोटी इच्छायें हो या फिर जीवन मरण के चक्र से मुक्ति जैसी परम इच्छा।
रामायण सुरतरु की छाया। दुःख भये दूर निकट जो आया।।

अतः श्री रामचरितमानस पढने का प्रयास कीजिए। मन को अन्य विकारों से रिक्त करके, निर्विकार होकर, शिवसंकल्पयुक्त पवित्र भावों के साथ श्रीरामचरितमानस पढ़िए।नवाह्न /मासिक पारायण कीजिए। समयाभाव में दो – पाँच दोहे ही पढ़िये पर पढ़िये अवश्य। हर शुभ या धार्मिक कार्य में विघ्न – बाधा उत्पन्न करने के लिए आसुरी शक्तियाँ प्रबल हो जाती है। अतः श्रीरामचरितमानस पढ़ने व गुनने में भी अनेक कठिनाइयाँ आयेगी, परन्तु अगर दृढ़तापूर्वक उन कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करते हुए श्रीरामचरितमानस पढ़ने में सफल हुए तो सचमुच के मानस यानि मानव बनने में मदद मिलेगी।

जय श्री राम

जयश्रीमन्नारायण

पंडित रतन शास्त्री, किशनगढ़, अजमेर। मोबाइल नंबर 9414839743

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