
टाइम पत्रिका ने किया सूची में शामिल
अहमदाबाद.
गुजरात का खूबसूरत शहर अहमदाबार जिसे वल्र्ड हेरिटेज सिटी बनने का खिताब प्राप्त है। आज इस ऐतिहासिक शहर के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। भारत के पहले यूनेस्को विश्व धरोहर शहर अहमदाबाद को अब टाइम पत्रिका द्वारा 2022 के विश्व के 50 श्रेष्ठतम स्थानों की सूची में शामिल किया गया है।
टाइम मैगजीन ने अहमदाबाद को इस उपलब्धि से नवाजते हुए कई स्थलों सांस्कृतिक उत्सव होटलों आदि का पर विशेष गौर किया है। मैगजीन में अहमदाबाद के साबरमती नदी के तट पर स्थित गांधी आश्रम, गुजरात साइंस सिटी और नवरात्रि उत्सव का पत्रिका में जिक्र किया है।
पत्रिका ने अहमदाबाद के हिलॉक जैसे होटलों का भी उल्लेख किया है जो प्राचीन फर्नीचर और सुनहरे झूमर के साथ पुरानी दुनिया की भव्यता प्रदान करते हैं। नर्मदा के साथ गुजरात के पौराणिक बावडिय़ों से प्रेरित पैटर्न और लकड़ी के काम का उल्लेख किया है।
8 जुलाई 2017 को यूनेस्को ने अहमदाबाद को भारत के पहले विश्व विरासत शहर की सूची में शामिल किया। गुजरात के अहमदाबाद अथवा अमदावाद इतिहास एवं परंपरा से परिपूर्ण है। यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में खास स्थान प्राप्त करता है। सदियों पुरानी मस्जिदों तथा समकालीन अवांट.गार्डे की शानदार वास्तुकला का सहज मिश्रण पेश करने वाला गुजरात का सबसे बड़ा शहर अनेक गतिविधियों वाला महानगर है।
यह शहर साबरमती नदी द्वारा दो अलग हिस्सों में विभाजित है। नदी के पूर्वी तट पर अनोखा पुराना शहर स्थित है जिसकी घुमावदार गलियां परंपरा व संस्कृति की द्योतक हैं जबकि पश्चिमी तट पर शानदार नया शहर बसा हुआ है जिसने अपनी विश्वस्तरीय शहरी नियोजन के साथ अपने लिए एक विशेष जगह बनाई है। इसमें स्ट्रीट फूड व रंगबिरंगे बाजारों का समावेश करें तो अहमदाबाद पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है जहां पर सभी को अनेक विकल्प प्राप्त होंगे।
अहमदाबाद कभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र हुआ करता था। महात्मा गांधी शहर में बने साबरमती आश्रम में रहा करते थे। वस्त्र उद्योग के लिए यह पूर्व का मेनचेस्टर भी कहलाता है। इसके बल पर अहमदाबाद 21वीं सदी का नेतृत्व करता है।
वैसे टाइम की विश्व के महानतम स्थानों की सूची में केरल का भी उल्लेख है जिसे उसने भारत के सबसे सुंदर राज्यों में से एक कहा। इसमें कहा गया है कि अपने मंदिरों, महलों, बैकवॉटर और समुद्र तटों के साथ केरल को अच्छे कारणों से भगवान का अपना देश कहा जाता है। अमल तमारा एलेप्पी के बैकवाटर में एक आयुर्वेदिक रिट्रीट, कारवां मीडोज राज्य का पहला कारवां पार्क भी टाइम में विशेष उल्लेख मिला।
एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1968 में विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 में स्टॉकहोम में यूनेस्को महासभा में विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रस्ताव पारित हुआ। इस तरह विश्व के लगभग सभी देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के लिए साथ आए और यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज सेंटर अस्तित्व में आया।
किसी भी देश को अपने महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों की एक सूची बनानी होती है। विश्व धरोहरों को चुनने के लिए यूनेस्को के पास दस ऐसे पैमाने हैं जिनमें से कम से कम किसी एक पर खरा उतरने पर किसी स्थल, स्मारक या शहर आदि को विश्व धरोहर की सूची में रखने पर विचार किया जा सकता है। इसके बाद मूल्यांकन करने वाले संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ द्वारा किसी भी विरासत को संरक्षित करने का फैसला किया जाता है।
इसके बाद विश्व धरोहर समिति के लिए सिफारिश की जाती है। समिति साल में एक बार बैठती है और यह तय करती है कि किसी भी नामित संपत्ति को विश्व विरासत सूची में शामिल किया जाए या नहीं। विश्व धरोहर स्थल समिति यूनेस्को के तत्वावधान में चयनित विशेष स्थानों जैसे वन क्षेत्रों पहाड़ों, झीलों, रेगिस्तानों, स्मारकों, इमारतों या शहरों आदि की देखभाल करती है।
धरोहर हमारे पूर्वजों की विरासत या निशानी होती है। हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत दोनों जीवन और प्रेरणा के अपूरणीय स्रोत हैं। भारत ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक कलाकृतियों, स्मृतियों और स्थलों से भरा देश है। भारत का बहुत ही गौरवपूर्ण इतिहास और यात्रा का महत्व रहा है।
प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने देश के विरासत स्थलों पर गर्व होना चाहि और उनके संरक्षण की दिशा में कदम उठाना चाहिए। आज भी देश में विभिन्न संदर्भों में कई ऐसे स्थान हैं जहां लोग घूमने जाते हैं और ये सभी विश्व धरोहर की हकदार है।