सामर्थ्यवान भारत से ही संभव है दुनिया में शांति

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निंबार्क पीठ में चल रहा है विवेकानंद केंद्र का प्रशिक्षण शिविर

सामर्थ्यवान भारत ही विश्व शांति का आधार बन सकता है। जब जब भारत शक्तिशाली हुआ है तब तब विश्व में पारिवारिक वातावरण निर्माण हुआ है। भारत में अपारशक्ति है, किंतु वह शक्ति आधुनिक विकास की चकाचौंध में लुप्त हो गई है।

आध्यात्मिक उन्नति ही हमारी शक्ति

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत की शक्ति उसकी आध्यात्मिक उन्नति है। यदि विश्व को जीतना है तो भारत को अपनी आध्यात्मिक शक्ति जागृत करनी होगी। विवेकानंद केंद्र के सामर्थ्य शाली युवा योग, स्वाध्याय एवं संस्कार वर्गों के द्वारा इस आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने का कार्य अपने हाथ में लेने का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
यह विचार विवेकानंद केंद्र के प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख डॉ. स्वतंत्र शर्मा ने समर्थ भारत सत्र में व्यक्त किए। शिविर प्रमुख दिवस गौड़ ने बताया कि विभिन्न सत्रों में कार्यपद्धति के विषय को गुलाबपुरा के सावर लाल बैरवा तथा सजग युवा का विषय अविनाश पारीक ने लिया।
शिविर अधिकारी अशोक खंडेलवाल ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में जीवनवृत्ति कार्यकर्ताओं में प्रांजलि दीदी, श्वेता दीदी एवं दीपक खैरे का युवाओं के समक्ष साक्षात्कार हुआ, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण अनुभव एवं केंद्र कार्य से जुड़ने के बाद मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को हंसते हंसते समाधान करने का अनुभव भी साझा किया। जीवन वृति कार्यकर्ताओं ने बताया कि अब उन्होंने भारत को ही अपना परिवार माना है और इसी के उत्थान के लिए स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग पर चलते हुए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। शिविर का समापन मंगलवार को शहीद दिवस पर होगा

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