भारत में बिक रहा 64 करोड़ लीटर मिलावटी दूध

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भारत में खाने-पीने की चीजों में भी जमकर मिलावट की जा रही है। आए दिन मिलावटी मावा, पनीर, दूध व घी पकड़े जाने की खबरें आती रहती हैं। मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावट खोर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में भी नहीं चूक रहे हैं। भारत में करीब 1,700 करोड़ लीटर दूध होता है। मिलावट की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस दूध में से 64 करोड़ लीटर दूध मिलावट का आता है। इस मिलावटी दूध से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है, जिससे वे आसानी से रोगों की चपेट में आ रहे हैं। यहां तक की इस मिलावटी दूध के कारण बच्चे कैंसर जैसी बीमारी की गिरफ्त में भी आ रहे हैं।
पिछले दिनों गुजरात से सांसद जुगल सिंह माथुर लोखंडवाला ने राज्यसभा में दूध में मिलावट करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने की मांग भी की थी। इस दौरान उन्होंने भी कहा था कि मिलावटी दूध पीने से काफी लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हुई हैं।

नकली दूध व केमिकल्स की मिलावट घातक

दूध में पानी की मिलावट तो शरीर के लिए घातक नहीं है, लेकिन नकली दूध या केमिकल्स की मिलावट को घातक माना जाता है। हाल ही में सांसद राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की संसदीय समिति ने भी मिलावट से जुड़ी सजा को सख्त बनाने की सिफारिश की है। 2021-22 की अनुदान मांगों पर 126वीं रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि जानबूझकर होने वाली मिलावट से अगर कोई खाद्य सामग्री असुरक्षित होती है तो ऐसे मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया जाना जरूरी है।

यूरिया और डिटरजेंट मिला दूध में

रिसर्च गेट संस्था ने राजस्थान से दूध के 1650 नमूने लिए थे, जिनमें से 53 प्रतिशत नमूनों में पानी की मिलावट पाई गई थी। वहीं 6 प्रतिशत नमूनों में यूरिया, 8 प्रतिशत में सोडा व 8 प्रतिशत से अधिक नमूनों में डिटरजेंट की मिलावट पाई गई थी, जो कि मानव शरीर के लिए घातक है। एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया ने वर्ष 2020 में दूध में मिलावट को लेकर अध्ययन किया था। इसके मुताबिक, केवल 15 फीसदी पैकेज्ड मिल्क पैकेज ही एफएसएसएआई के मानकों पर खरे उतरे थे, जबकि खुले दूध में 22 फीसदी नमूने मानकों पर सही पाए गए। महाराष्ट्र में 79 फीसदी ब्रांडेड और खुले दूध के सैंपल जांच में मिलावटी पाए गए थे।

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