परशुराम जयंती पर पक्षियों के लिए लगाएंगे 1100 परिंडे

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जयपुर। स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य के सानिध्य में परशुराम जयंती पर प्रदेश भर में 1100 परिंडे लगाए जाएंगे। कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए भगवान परशुराम जयंती महोत्सव मनाया जाएगा।
संत समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य ने बताया कि परशुराम जयंती 14 मई को कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए रघुनाथ धाम धर्मार्थ सेवा संस्थान के सदस्यों के द्वारा रघुनाथ धाम रामानुज आश्रम पचार पीठ में मनाई जाएगी।
संस्था के मीडिया प्रवक्ता राजेश अत्री एवं मीडिया प्रभारी पवन तिवारी ने बताया कि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना महामारी की वजह से भगवान परशुराम जयंती महोत्सव धूमधाम से नहीं मना सकते। वर्तमान में कोरोना महामारी के ज्यादा फैलने की वजह से राजस्थान सरकार के नियमों की पालना करते हुए रघुनाथ धाम रामानुज आश्रम में भक्तों के लिए अभी प्रवेश निषेध है। स्वामी राघवेंद्र आचार्य ने सभी भक्तों से अपील है कि 14 मई को भगवान परशुराम की जयंती पर पूजा आराधना अपने घरों में रहकर ही करें। भगवान परशुराम के अनुयायियों एवं प्रत्येक ब्राह्मण बंधु से निवेदन है कि अपने छत पर पक्षियों के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था करते हुए 11 परिंडे जरूर लगाएं, जिससे मूक पक्षियों को भूख-प्यास से मरने से बचाया जा सके।

छठे अवतार हैं परशुराम

भगवान परशुराम को सनातन धर्मावलंबी भगवान विष्णु का छठा अवतार मानते हैं। भगवान परशुराम ने अत्याचारी शासकों का अंत कर धर्म की स्थापना की थी। इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। इस दिन व्रत करने और उत्सव मनाने की प्रथा है। इनका नाम तो राम था लेकिन भगवान शिव की ओर से प्रदान किए गए अमोघ परशु को सदैव धारण किए रहने के कारण ये परशुराम कहलाए। ये भगवान शिव के परमभक्त है। भगवान परशुराम को चिरंजीवी माना जाता है यानि की वे अभी भी जीवित हैं।

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