छोटी दुकान से मिली बड़ी पहचान

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वार्ड 145 के पार्षद नरेश शर्मा

नरेश शर्मा को जनता ने बनाया वार्ड 145 का पार्षद

जयपुर। वर्तमान दौर में राजनीति में भाई-भतीजावाद चरम पर है। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति के लिए राजनीति की डगर आसान नहीं रही है। इसके बावजूद वार्ड 145 के पार्षद नरेश शर्मा ने वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना वर्तमान दौर में तो मुश्किल ही है। उन पर न केवल भारतीय जनता पार्टी ने भरोसा जताकर जयपुर ग्रेटर नगर निगम से पार्षद का टिकट दिया, वरन् जनता के अपार स्नेह ने उन्हें जीत का वरण भी करा दिया।
जयपुर शहर के वार्ड 145 के पार्षद नरेश शर्मा सामान्य परिवार से हैं और टोंक फाटक के पास उनकी काफी समय से इलेक्ट्रिशियन की एक छोटी सी दुकान है। उन्हें इस क्षेत्र में हर कोई जानता है। उनका लोगों से ऐसा व्यवहार है कि जब भी किसी को इलेक्ट्रिशियन की जरूरत होती है तो एक ही नाम याद आता है और वो है नरेश शर्मा का। वो इलेक्ट्रिक उपकरणों को सही करने के लिए क्षेत्र के अधिकतर घरों में जाते रहते थे। इस हुनर और व्यवहार कुशलता के जरिए ही वे लोगों के घरों के साथ दिलों में भी प्रवेश पा गए और इसी की परिणति है कि आज वो वार्ड 145 से पार्षद हैं। यह वार्ड टोंक फाटक क्षेत्र में स्थित है और मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। शर्मा ग्रेटर नगर निगम और भाजपा के युवा पार्षदों में शामिल हैं। इनकी आयु लगभग 40 वर्ष है। उन्होंने अब पार्षद के कार्य को भी मिशन के रूप में लिया है और उनकी तमन्ना है कि वो यहां भी क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरें।

पिता का सपना हुआ साकार

पार्षद नरेश शर्मा ने राजनीति में आने को लेकर बताया कि वे शुरू से ही सामाजिक कार्यों से जुड़ रहे हैं। उनका परिवार सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार है। पिता स्वर्गीय पंडित रामगोपाल शर्मा भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्होंने कहा कि मैं भी भाजपा का सामान्य कार्यकर्ता रहा हूं और राजनीति में लगभग 15 वर्ष से सक्रिय हूं। राजनीति में आने बात पर कहा कि पिताजी रामगोपाल शर्मा 1977 से ही भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उनका वर्ष 2018 में निधन हो गया। उनकी इच्छा थी कि मैं पार्षद बनूं।
उन्होंने राजनीति में आने से पत्नी व अन्य परिजन खुश है या नहीं इस सवाल के जवाब में कहा कि राजनीति में आने के बाद परिवार के लिए समय कम मिलता है। यह परेशानी तो है, लेकिन सब मैनेज कर लेता हूं।

सामान्य कार्यकर्ता बन गया पार्षद

नरेश शर्मा भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता रहते हुए राजनीति में आए और पार्षद बन गए। यह कैसे संभव हुआ, इस सवाल के जवाब में उनका कहना है कि स्वयं की विद्युत उपकरणों की दुकान और इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करने से क्षेत्र में पहचान थी। यहां रहने वाले अधिकतर लोग बचपन से ही परिचित हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और क्षेत्रवासियों के समर्थन से चुनाव लड़ा और जीता।

खुद पता करते हैं लोगों की समस्याएं

वार्ड में जनसमस्याओं को लेकर उनका कहना है कि क्षेत्रवासियों की कई समस्याएं मालूम चली हैं। अधिकतर समस्याओं में टूटी सडक़ें, सीवरेज, लाइट आदि हैं। इसके लिए अधिकारियों-कर्मचारियों से बात कर समाधान करवाता हूं। वार्ड बड़ा होने के कारण सुबह 8 से 11 बजे तक वार्ड में घूमता हूं और लोगों से उनकी समस्याएं मालूम करता हूं।
मेरा वार्ड जयपुर के बड़े वार्डों में से एक है। इसमें लगभग 22 कॉलोनियां हैं और आबादी लगभग 30 हजार है। मतदाताओं की संख्या ही 10800 है। वर्तमान में बजट की कमी और सफाई कर्मियों की कमी के कारण समस्या है। इसको दूर करने के लिए प्रयासरत हूं।

रोज बैठते हैं दुकान पर

उनसे जब यह पूछा गया कि इलेक्ट्रिशियन को जारी रखेंगे या नहीं तो उनका कहना था कि इलेक्ट्रिशियन का कार्य जारी रखा है। मैं प्रतिदिन दुकान पर बैठता हूं। दुकान पर भी वार्डवासी आ जाते हैं क्योंकि दुकान सब जानते हैं और आसानी से संपर्क हो जाता है। कोशिश यही रहती है कि वार्ड वासियों की समस्या का समाधान तुरंत हो जाए।

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