चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे निजी स्कूल संचालक

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दो दिवसीय मंथन शिविर में लिया निर्णय
सरकार से आर्थिक सहायता की मांग

जयपुर। राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ का दो दिवसीय मंथन शिविर अजमेर के न्यू मॉडर्न सीनियर स्कूल गड्डी मालियान में प्रदेशाध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इसमें महासंघ के प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने कोविड 19 के दौरान निजी शिक्षण संस्थाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।

प्रदेश सयोजंक हेमेन्द्र बारोटीया ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में निजी विद्यालयों के प्रति सरकार की दमन नीति से प्रदेश में 10 लाख शिक्षक बेरोजगार हो गए एवं 50 प्रतिशत स्कूलें किराए के भवनों में संचालित है वो बंद की कगार पर है। सरकार ने इन निजी स्कूलों की कोई सुध नही ली और ना ही आर्थिक सहायता दी जिसके कारण प्रदेश की निजी शिक्षण संस्थाओं में रोष व्याप्त है। प्रदेश में चुनाव के समय सभी शिक्षण संस्थाएं सरकार का विरोध करेगी।
प्रदेश प्रवक्ता रेणुदीप गौड़ ने बताया कि कोरोना सरकारी मशीनरी पर लागू न होकर सिर्फ स्कूलों में लागू होता है। इसलिए हम सरकार को चेतावनी देते है कि सरकार बच्चों का भविष्य एवं परीक्षाओं को मध्यनजर रखते हुए उचित निर्णय ले अन्यथा प्रदेश की सभी निजी शिक्षण संस्थाएं मजबूर होकर सरकार के निर्णय के विरूद्ध स्कूलें खोलने पर विचार करेगी।

सरकार को सौंपेंगे मांग पत्र

प्रदेशाध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि एक तरफ तो प्रदेश की निजी शिक्षण संस्थाएं कोरोना के हालात से पीडि़त है। महासंघ ने दो दिवसीय शिविर में निर्णय लिया कि प्रदेश की निजी शिक्षण संस्थाओं की समस्याओं की 14 सूत्रीय मांग पत्र शीघ्र ही सरकार को सौपेगा जो निम्न है।
इसमे सरकार द्वारा निजी स्कूल आयोग का गठन करना, नियमों की पालना करते हुए सरकार स्कूलों को खोले, पूर्व के सत्यापन के आधार पर 2020-21 का आरटीई पुनर्भरण राशि का भुगतान किया जाए, पीएसपी पोर्टल की भ्रांतियों को हटाया जाए। 2012 के बाद वाली निजी शिक्षण संस्थाओं को स्थाई मान्यता जारी की जाए और उन पर भूमि रूपान्तरण की बाध्यता को समाप्त किया जाए। 2014 के बाद वाली स्कूलों की निरस्त की गई मान्यता को पुन: मान्यता दी जाए, 2014 के बाद वाली स्कूलों का नवीनीकरण किया जाए। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी पूर्व में स्थाई और अस्थाई सम्बद्वता जारी की जाये उसकी के पश्चात पोर्टल जारी किया जाये।

पेनल्टियों की बाध्यता समाप्त की जाए

साथ ही बोर्ड द्वारा पेनल्टियों की बाध्यता को समाप्त की जाए, बोर्ड परीक्षाओं के दौरान निजी विद्यालय के वीक्षक, परीक्षा केन्द्रों की अनुमति, 50-50 प्रतिशत के अनुसार स्टाफ, प्रायोगिक परीक्षा व कॉपी जांचने के लिए, संगठन के साथ हर दो माह में बैठक का आयोजन कर इन सभी में निजी विद्यालयों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा आरटीई की ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया को वर्ष पर्यान्त रखा जाए, महासंघ को सरकार द्वारा सम्बद्वता जारी की जाए, सुरक्षा प्रमाण पत्र जिसकी 10 गुना फीस है उसको न्यूनतम 500 रूपया किया जाए, सुरक्षा प्रमाण पत्र की बाध्यता 3 वर्ष की जाए, निजी शिक्षण संस्थाओं की मान्यताओं को 93 की बाध्यता को समाप्त कर 94 लागू किया जाए यानि कि मान्यता के नियमों में सरलीकरण किया जाए, मान्यता के ऑनलाइन पोर्टल को वर्ष पर्यन्त खोला जाए।
उपरोक्त मांगों पर प्रदेश के पदाधिकारियों द्वारा दो दिवसीय मंथन शिविर में सरकार के सामने इन समस्याओं से शीघ्र अवगत कराने का निर्णय लिया। यदि सरकार प्रदेश की उपरोक्त समस्या पर विचार नहीं करेगी तो महासंघ आने वाले समय में आन्दोलन की रूपरेखा तय करेगा।
उपस्थित सदस्य कैलाश चंद शर्मा (अजमेर) हेमेन्द्र कुमार बारोटिया (अजमेर) नरेन्द्र अवस्थी (अलवर) रेणुदीप गौड (भरतपुर) श्याम लाल सैनी (जोधपुर) सरोज तिवाड़ी, संतोष पारीक ( अजमेर) राजेन्द्र कुमार शर्मा (अजमेर) हरिशंकर पारीक (जयपुर) बीएल तोलम्बिया, करण कटारिया, रामेश्वर धाकड़, नारायण लाल रेगर, कृष्ण सिंह राजावत (भीलवाडा), किशन सिंह चम्पावत (नागौर) संजय तिवाडी (जयपुर) प्रकाश चंद शर्मा (अजमेर) सतिश तिवाड़ी (अजमेर) अकरबर अली दायमा, राजेश सांखला, सचिन गहलोत, विपिन दवे, नरेन्द्र सिंह ( पाली) रामस्वरूप सेन प्रदेश सचिव, दीपक कुमावत प्रशासक, रामनिवास सूद प्रदेश उपाध्यक्ष, महेश यादव जिलाध्यक्ष, संजय तिवाडी प्रदेश उपाध्यक्ष, रमेश उपाध्याय, राकेश वर्मा, राजेश वर्मा, समन्दर सिंह, अविनाश शर्मा, भानू प्रताप, राजीव बिल्दल, अनिल चौहान, महिपाल, विश्राम, संजय मिश्रा, आ.के जॉन, अशोक कश्यप ( अजमेर) लोकेश जैन (टोंक) सहित अन्य जिलों के भी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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