मोटी कमाई के चक्कर में लोग खाने पीने की चीजों में भी मिलावट करने से नहीं चूकते हैं। यहां तक कि नकली दवाइयां तक बाजार में बेची का रही हैं। इस बीच सुखद खबर यह है कि बाजार में बिकने वाली नकली दवा हो या दूध, इसकी पहचान बहुत आसानी से मिनटों में कि का सकेगी। यह सम्भव होगा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (लिब्स) से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. ए.के. राय ने स्वदेशी रूप से इसे निर्मित किया है। इसका उपयोग मिशन चंद्रयान-2 में भू-वैज्ञानिक स्थितियों का पता लगाने के लिए किया गया था।
कुछ दिनों पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आए प्रो.राय ने यह जानकारी दी।
भौतिक विज्ञानी प्रो. ऐल्बर्ट आइंस्टीन के जन्मदिवस पर शुरू हुए इस सम्मेलन में 170 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। प्रो. राय ने बताया कि वो अमेरिका से लिब्स तकनीक सीख कर आए हैं। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ ने पैसा दिया, जिसके बाद खुद ही लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (लिब्स) तैयार की।
सब्जियों की भी हो सकेगी जांच
इससे व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हल्दी पाउडर और सब्जियों में गैर वांछित रासायनिक तत्वों का भी पता लगाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 के बाद अब चंद्रयान-3 मिशन में भी सरकार लीवर उपकरण युक्त रोवर रखने की योजना बना रही है। इससे चन्द्रमा पर पर्यावरण और वहां मौजूद अन्य पदार्थों का अध्ययन किया जा सके।
मिलावटखोरों पर लगेगी लगाम
इस तकनीक का व्यापक उपयोग कर मिलावटी पदार्थों का पता लगाया जा सकेगा। साथ ही मिलावटखोरों पर कार्रवाई कर मिलावटी पदार्थों की बिक्री पर अंकुश लगाया जा सकेगा। जिससे काफी संख्या में लोग मिलावटी पदार्थों का उपयोग करने से बच जाएंगे और असमय काल के गाल में जाने से बच जाएंगे।