आखिर क्यों और कैसे आती है कोरोना की लहरें

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अभी खतरनाक होगा स्कूलें खोलने का निर्णय
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के.पॉल ने दी जानकारी


जयपुर.
देश भर में लोग हैरान और परेशान है कि कोरोना कुछ समय में शांत हो जाता है फिर तेजी से वापस आता है। आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है यह सब जानना चाहते है। समुद्र की तरह कोरोना की लहरें कैसे बार-बार आती है। इस बारे में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने जानकारी दी।
बीते दिन नीति आयोग के सदस्य स्वास्थ्य डॉ. वीके पॉल ने नई महामारी की लहरों के के पीछे के कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि किस प्रकार कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करके और टीकाकरण जैसे उपाय करके इनको नियंत्रित किया या टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के लगातार घटते मामलों के बीच केंद्र सरकार अभी भी सजग है। ऐसे देश भी हैं जहां अभी दूसरी लहर भी नहीं आई है। यदि हम गैर जिम्मेदाराना व्यवहार में लिप्त नहीं हैं तो कोविड का प्रकोप नहीं होना चाहिए। यह एक सरल महामारी विज्ञान का सिद्धांत है।

नई लहरें क्यों पैदा होती हैं

डॉ पॉल ने कहा कि नई लहर के पैदा होने के चार कारण होते हैं ।

  1. वायरस का व्यवहार वायरस में फैलने की क्षमता और योग्यता है ।
  2. अतिसंवेदनशील ग्रहणशील मेजबान वायरस जीवित रहने के लिए अतिसंवेदनशील मेजबानों की तलाश में रहता है। इसलिए यदि हम टीकाकरण के माध्यम से या पिछले संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं तो हम एक ग्रहणशील मेजबान हैं।
  3. संक्रामकता-वायरस जहां रूपांतरित हो जाता है और अधिक संक्रामक हो जाता है तथा पर्याप्त रूप से स्मार्ट बन सकता है। एक ही वायरस जो तीन मेजबानों को संक्रमित किया करता था, 13 मेजबानों को संक्रमित करने में सक्षम हो जाता है यह कारक अप्रत्याशित है। कोई भी इस तरह के वायरस रूपांतरण से लडऩे के लिए पूर्व योजना नहीं बना सकता है। वायरस की प्रकृति और उसकी संक्रामकता का परिवर्तन एक एक्स फैक्टर है और कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि यह कब और कहां हो सकता है।
  4. अवसर, जो हम वायरस को संक्रमित करने के लिए देते हैं। अगर हम एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, भीड़ लगाते हैं, बिना मास्क के बंद इलाकों में बैठते हैं तो वायरस को फैलने के ज्यादा मौके मिलते हैं।

मास्क पहनने-टीका लगवाने से कमी

नीति आयोग के सदस्य ने हमें याद दिलाया कि हमारे हाथ में क्या है। उपरोक्त चार में से दो कारण संवेदनशीलता और संक्रमण के अवसर पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हैं जबकि अन्य दो कारण वायरस का व्यवहार और संक्रामकता की भविष्यवाणी या नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। इसलिए यदि हम संरक्षित हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम अतिसंवेदनशील नहीं हैं तो वायरस जीवित रह पाने में सक्षम नहीं होगा। हम एक मास्क पहनने या टीका लगवाने से संवेदनशीलता को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए अगर हम कोविड यथोचित व्यवहार का पालन करके अवसरों को कम करते हैं और संक्रमण की ग्रहणशीलता को कम कर देते हैं तो तीसरी लहर नहीं आ सकेगी।

सावधानी से लिया जाये स्कूल खोलने का निर्णय

प्रतिबंधों में ढिलाई करने और स्कूलों को फिर से खोलने के बारे में बताते हुए डॉ. पॉल ने कहा कि इस फैसले को सावधानी से लेना होगा और हमें तभी जोखिम उठाना चाहिए जब हम सुरक्षित हों। स्कूल एक भीड़, एक माध्यम या एक बड़ी सभा हैं जो वायरस को संक्रमित करने के लिए अवसर देते हैं। इसलिए हमें यह जोखिम तभी उठाना चाहिए जब हम अच्छे से सुरक्षित हों वायरस को दबाया जाए और हम दूरी बनाए रखते हुए बैठ पाएं। किंतु जब अप्रत्याशित स्थिति आने की संभावना बनी हो तो स्कूल खोलने का फैसला लेना आसान नहीं है। कई राज्यों में अनुशासन और प्रतिबंधों के कारण वर्तमान में वायरस दबा हुआ है अगर हम प्रतिबंधों को कम करते हैं और स्कूल खोलते हैं तो वायरस को संक्रमण फैलाने के अवसर मिलते हैं।

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