अब जल्द ही बच्चे खेल सकेंगे मेड इन इंडिया खिलौनों के साथ

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सत्येन्द्र शर्मा

देश में खिलौनों के निर्माण की योजना तेज
जयपुर, 26 मार्च। देश के बच्चे जल्द ही मेड इन इंडिया खिलौनों के साथ खेल सकेंगे। वर्तमान में चीनी खिलौनों की भरमार के कारण बच्चे इनके साथ खिलौनों से खेलने के लिए मजबूर है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने देश में ही खिलौनों के निर्माण की योजना तेज कर दी है। अब जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों में बनने वाले खिलौनों की पहचान कर ली गई है और इसको प्रोत्साहित कर बड़ी संख्या में निर्माण किया जाएगा।
इसके अंतर्गत गुजरात के राजकोट, कर्नाटक के चन्नापटना, कोप्पल, आंध्र प्रदेश के कोंडपल्ली-एटिकोप्पका, तमिलनाडू के तंजौर, असम के धुबरी और उत्तरप्रदेश के वाराणसी जैसे प्रमुख टॉय कलस्टर बनाकर मेड इन इंडिया खिलौनों की योजना बना ली है। इसके साथ ही देश के हर राज्य में बनने वाले प्रमुख खिलौनों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करने की योजना है। इससे देश खिलौनों के कारोबार में आत्मनिर्भर बन सकेगा। राजस्थान में लाख के खिलौने और राजस्थानी कठपुतली प्रसिद्ध है। इसके निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए चित्तौडïगढ़़, उदयपुर और कठपुतली नगर को प्रमुख केंद्र बनाने की योजना है।


ताकि खेल – खेल में मिले सीख


देश के बच्चों को मेड इन खिलौने इस तरह के होंगे ताकि बच्चे खेल खेल में सीख सके। इस श्रेणी में ऐसे खिलौने जिनसे भारत के इतिहास और संस्कृति की जानकारी मिले। साथ ही बच्चों को शिक्षा और सिखाने में मदद मिले। दूसरी श्रेणी में सामाजिक और मानवीय मूल्यों की शिक्षा मिलती हो। तीसरी श्रेणी में कॅरियर से संबंधित खिलौने होंगे। इनके अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए, फिटनेस और खेलों से संबंधित खिलौने, बच्चों की तर्क शक्ति बढ़ाने वाले और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होंगे। पुराने और पारंपरिक भारतीय खिलौनों का नए तरीके और सोच के साथ निर्माण किया जाएगा।


यह है भारत की योजना


खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया गया है। नेशनल टॉय एक्शन प्लान तैयार कर 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है। इससे यह उद्योग प्रतिस्पर्धी बने, देश खिलौना निर्माण में आत्मनिर्भर बने और भारत के खिलौने दुनिया में भी जाए। भारत में अभी खिलौना उत्पादन से 4000 सूक्ष्म-लघु इकाइयां काम कर रही है। इनमे 75 प्रतिशत सूक्ष्म, 22 प्रतिशत लघु एवं मध्यम और 3 प्रतिशत बड़ी इकाइयां है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी है कि भारतीय खेल और खिलौनों की ये खूबी रही है कि उनमे ज्ञान, विज्ञान, मनोरंजन और मनोविज्ञान भी होता है। भारतीय बाजार में आने वाले विदेशी खिलौनों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया गया है। साथ ही भारतीय खिलौना उद्योग में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की भी स्वीकृति दी गई है।


विश्व बाजार पर भी नजर


इस समय पूरी दुनिया के वैश्विक खिलौना बाजार में भारत का हिस्सा केवल केवल 0.5 प्रतिशत ही है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 तक खिलौना निर्यात 2800 करोड़ रूपए तक बढ़ाकर नए रोजगार भी पैदा करने की योजना बनाई है। खिलौनों का बाजार दुनिया में 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष तो भारत में 10 से 15 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है।


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