राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में फैलाई हरियाली ही हरियाली
मिलती है मात्र 5 हजार तनख्वाह

जयपुर.
राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर जयपुर में कार्य करने वाले साधारण से संविदा कर्मी ने अपनी मेहनत और लगन से ऑक्सीजन जोन बना दिया। विश्वविद्यालय परिसर में हरियाली ही हरियाली फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस सामान्य से संविदा कर्मचारी को मात्र 5 हजार रूपए ही तनख्वाह मिलती है।
राजस्थान विश्वविद्यालय में एक छोटी सी लगभग 5 हजार की मासिक तनख्वाह पाने वाले दीन हीन अवस्था में रहने वाले एक संविदा कर्मी बिरजू ने अपनी स्वेच्छा एवं कड़ी मेहनत से छोटे-छोटे लगभग हजारों पौधों को अपने बच्चों की तरह साज सवार कर वृक्ष बनाने का जो अद्भुत कार्य किया है। वह पौधरोपण के नाम पर बरसात के मौसम में एक दो पौधों को हाथ में लेकर अखबारों में सुर्खियां बटोरने वाले एनजीओ व ऐसे ही अन्य लोगों के लिए एक अद्भुत मिसाल है ए इस बिरजू को ना अपनी फोटो छपवाने का शौक है न हीं किसी की प्रशंसा या पुरस्कार की अपेक्षा है।
2015 में हुई शुरूआत
राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वर्ष 2015 में जयपुर के संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी को कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार मिला। इसी दौरान उन्हें जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति का भी कार्यभार सौंपा गया। राजस्थान विश्वविद्यालय के लंबे चौड़े परिसर को किस तरह हरा भरा बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को बुलाया और किस तरह पौधों को लगाया जाए। साथ ही उनका रखरखाव करने का प्रशिक्षण यहां के कुछ कर्मचारियों को दिलवाया। बिरजू भी यह प्रशिक्षण लेने वाला एक संविदा कर्मी था। विश्वविद्यालय मैं लगातार कीड़ों से हो रहे वृक्षों के पतन को बचाने का प्रशिक्षण भी इस दौरान बिरजू सहित कुछ कर्मियों को दिया गया जिससे हरे-भरे वृक्षों को बचाने में विश्वविद्यालय को सफलता मिली।
तत्कालीन कुलपति भाटी के निर्देशों से राजस्थान विश्वविद्यालय को इन्हीं दिनों वर्षा ऋतु के दौरान विशेष किस्म के पाच हजार जामुन, शहतूत, आंवला, नीम, फालसा, बेलपत्र, अशोक सहित अन्य औषधियों के कई हजार पौधे निशुल्क उपलब्ध करवाए गए।
मेहनत से बना ऑक्सीजन जोन
विश्वविद्यालय के संविदा कर्मी बिरजू तवर ने इन पौधों को सर्वप्रथम विश्वविद्यालय स्पोट्र्स बोर्ड के नजदीक सुनसान पड़े 50 बीघा से अधिक क्षेत्र के दो मैदानों को अपने कुछ साथियों के साथ दिन रात कड़ी मेहनत कर साफ किया। इन मैदानों व अन्य परिसर के क्षेत्रों में इन पौधों को लगाकर इन्हें नियमित रूप से पानी, खाद व कीटनाशक दवाइयों का समय पर छिडक़ाव कर अपने बच्चों की तरह पालना शुरू किया। आज इन कई हजार पौधों में से बड़ी संख्या में पौधे वृक्षों के रूप में विकसित हो गए हैं। इनमें तरह तरह के फल भी आने लगे हैं। कितनी मीट्रिक टन ऑक्सीजन बिरजू के इस कार्य से विश्वविद्यालय को मिल रही है इसका अंदाज लगाना मुश्किल है।
बिरजू द्वारा अपनी कड़ी मेहनत से इन पौधों को वृक्ष बनाने की प्रक्रिया में अब विश्वविद्यालय के अनेक कर्मचारी, शिक्षक इसकी सहायता के लिए आगे आने लगे हैं। कर्मचारी मदन गगन नेगी के साथ शिक्षक डॉ. राजेश पुनिया इसका कंधे से कंधा मिलाकर इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
