लौटानी ही चाहिए विद्यार्थियों की फीस

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राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ की वर्चुअल बैठक में उठाई मांग


अजमेर.
राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चन्द शर्मा के नेतृत्व में कोर कमेटी की वर्चुअल बैठक 15 जून सायं 8 बजे से रात्रि 10 बजे संपन्न हुई।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं सीबीएसई बोर्ड 10वी और 12वीं की परीक्षाएं नही हो रही है तो बोर्ड तो बोर्ड को परीक्षा भरने वाले सभी विद्यार्थियों को फीस लौटाना चाहिए। राजस्थान बोर्ड में इस बार करीब 20 लाख विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन किया है। जिसमें बोर्ड को करीब 130 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। चुकि अब सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए 10वीं और 12वीं की परीक्षा निरस्त कर दी है तो बोर्ड को सभी विद्यार्थियों को फीस लौटाने का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा है कि पूर्व में वैसे भी शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा कह चुके है कि जब पढ़ाई नही हुई तो फीस किस बात की। ऐसी स्थिति में शिक्षा मंत्री जब निजी स्कूलों में फीस के लिए बयान जारी करके ये कह सकते है कि जब निजी स्कूलों ने शिक्षा नही दी तो फीस किस बात की। ऐसी स्थिति में महासंघ मांग करता है जब सरकार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान काम-धन्धे नही होने के कारण आर्थिक परेशानी झेलने के बावजूद प्रदेश के अभिभावकों ने जैसे तैसे पैसो का बन्दोबस्त कर बोर्ड की फीस जमा कराई। ऐसी स्थिति में अभिभावकों ने आर्थिक तंगी के कारण बोर्ड की फीस जमा की। अब बोर्ड को जल्द फीस लौटा कर उन्हे राहत देनी चाहिए। यदि बोर्ड ने फीस नहीं लौटाई तो ये प्रदेश के लाखों अभिभावकों और विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा।

आर्थिक तंगी में है निजी स्कूलें

शर्मा ने बताया कि बोर्ड की परीक्षाएं रदद् होने से प्रदेश के अभिभावक संघों ने भी सरकार से फीस लौटाने की मांग की है। शर्मा ने बताया कि प्रदेश की निजी स्कूलें इस कोरोना काल में विगत डेढ़ वर्षों से आर्थिक तंगी से गुजर रही है। सरकार की हठधर्मिता के कारण पिछले वर्ष के आरटीई की पुनर्भरण राशि का भुगतान नहीं हुआ और ना ही हाईकोर्ट के आदेशों की पालना हुई और ना ही सरकार ने निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों के अभिभावकों को फीस जमा करने के दिशा निर्देश जारी किए।

बेरोजगारी से परेशान शिक्षक

प्र्रदेश संयोजक हेमेन्द्र बारोटिया ने बताया कि सरकार सरकारी शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर रही है। दूसरी ओर प्रदेश में 10 लाख निजी स्कूलों मे कार्यररत कर्मचारी लॉकडाउन के कारण स्कूलें बन्द होने के कारण अध्यापक से लेकर अन्य स्टॉफ तक लाखों लोगों पर बेरोजगारी की मार पड़ी हुई है। हालात ये है कि प्राइवेट टीचर इस कोरोना काल में अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजदूरी एवं सब्जी बेचने का कार्य कर रहे है। कोरोना महामारी की वजह से शिक्षा और शिक्षक दोनों जबरदस्त आहत हुए है। महासंघ ने सरकार की इस दोहरी नीति का विरोध किया है।

नहीं मिला कोई सहयोग

प्रदेश महामंत्री नरेन्द्र अवस्थी ने बताया कि इस कोरोना काल में सरकार ने प्राईवेट शिक्षको के साथ किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं किया जबकि सरकार ने सभी वर्गों के लोगों को पूर्णरूप से आर्थिक सहयोग किया। सरकार ने यहां तक सरकारी स्कूल के शिक्षकों को लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन दिया है जबकि प्राईवेट टीचर को सरकार ने कोई सहयोग नही किया यहां तक की सरकार ने फीस के माध्यम से उनको वेतन मिलता था उस अधिकार को भी छीन लिया।

यह हुए शामिल

चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रदेश महामंत्री नरेंद्र अवस्थी, प्रदेश संयोजक हेमेंद्र बारोठिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय तिवाड़ी, हरिशंकर पारीक जयपुर सम्भागाध्यक्ष, वीरेंद्र सिंह राठौड़, रामनिवास गुर्जर, कैलाश शर्मा, महेंद्र मीणा, दीपक भार्गव, रामवीर डागुर, रेणुदीप गौड़, बृजेश वैष्णव, बीएल तोलंबिया, करण कटारिया, विरेन्द्र सिंह, जीतेन्द्र जोशी उदयपुर सम्भागाध्यक्ष, मनोज कुमार मंडेला, हेमचन्द्र रांका, अजमेर से संजय मिश्रा, अशोक कश्यप एवं कैलाश शर्मा, संतोष पारीक, सुनीता शर्मा आदि पदाधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।

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