भूजल संकट के कगार पर राजस्थान, फ्लोराइडयुक्त पानी पी बीमार हो रहे लोग

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राजस्थान में भूजल खत्म हो रहा है। राज्य भूजल संकट के कगार खड़ा पर है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य के 33 जिलों को भूजल के हिसाब से 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 अतिदोहित श्रेणी में आ चुके हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि आधे से ज्यादा राज्य में भूजल समाप्त होने की स्थिति में है या कभी भी समाप्त हो सकता है। राज्य के कई सांसदों, विधायकों एवं पेयजल कार्यकर्ताओं ने इस पर चिंता जताते हुए तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई है।

ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट से वंचित क्षेत्रों को भी जोड़ा जाए- डॉ. किरोड़ी

इस भयानक स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्यसभा संसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भी यह मुद्दा राज्यसभा में उठाया है। राज्यसभा में मीणा ने राजस्थान में जल संकट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य के 13 जिलों के लिए प्रस्तावित ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट से वंचित क्षेत्रों को भी जोड़ा जाए। साथ ही उन्होंने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग भी की।
इस दौरान डॉ. मीणा ने कहा कि राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है, जहां देश के कुल भूभाग का 10.41 प्रतिशत यानी 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर भू-भाग है। यहां सिर्फ एक प्रतिशत बारिश होती है। जबकि देश के जल संसाधनों का मात्र 1 प्रतिशत हिस्सा ही राजस्थान के पास है। उसमें भी देश की संपूर्ण फ्लोराइड ्प्रभावित आबादी में से 53 प्रतिशत राजस्थान में रहती है। इसके कारण राज्य सरकार ने केंद्र को करीब 13 जिलों की सिंचाई एवं पेयजल के लिए महत्वपूर्ण परियोजना ईआरसीपी (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) प्रस्तावित की है, जिसमें दौसा, करौली, टोंक, सवाई माधोपुर, जयपुर ग्रामीण, भरतपुर, अलवर के महत्वपूर्ण बांधों को नहीं जोड़ा गया है। इससे इन जिलों के लोगों को इस प्रोजेक्ट का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।

राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग

ईआरसीपी (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट ) की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) सीडब्लूसी (सेंट्रल वाटर कमीशन) की गाइडलाइन और अंतरराज्यीय जल अनुबंध के अनुसार तैयार की है। फिर भी मध्यप्रदेश ने इस परियोजना पर सीडब्लूसी (सेंट्रल वाटर कमीशन) में विवाद खड़ा कर दिया है। डॉ. मीणा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस संबंध में अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक की पालना कराई जाए। राजस्थान सरकार से कहा जाए कि प्रोजेक्ट के संबंध में खुद की लागत राशि तय कर कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध नदी के पानी के डाईवर्जन को लेकर मध्यप्रदेश सरकार से एनओसी प्राप्त कर केंद्र में हाई पॉवर स्पेशल कमीशन के विचारार्थ निर्धारित प्रपत्रो में प्रस्तुत करे और सर्वे कर वंचित क्षेत्र को जोडऩे के बाद उन्होंने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की।

हालात भयावह है राजस्थान में

राजस्थान में भूजल की स्थिति भयावह हो गई है। यहां 295 ब्लॉक में से केवल 45 ब्लॉक सुरक्षित हैं व 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में पहुंच चुके हैं। यहां 34 ब्लॉक क्रिटिकल व 28 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके हैं। राज्य में देश के कुल भू भाग का 10.54 प्रतिशत हिस्सा है जबकि भूजल की उपलब्धता मात्र 1.75 प्रतिशत ही है। राज्य के जोधपुर सहित कई जिलों में तो भूजल स्तर 165 मीटर से भी अधिक नीचे चला गया है।

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