भारत में भी बनेंगे पबजी से अच्छे गेम

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डिजीटल गेमिंग में भी आत्मनिर्भरता का है लक्ष्य

जयपुर। देश में डिजीटल गेम खेलने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है लेकिन अभी खेले जाने वाले लगभग 98 प्रतिशत गेम विदेशों के है। इसके कुल उपयोगकर्ता लगभग 27 करोड़ और इससे होने वाली आय लगभग 82 करोड़ रुपए है। इन गेमों में पबजी, कैंडी क्रश सागा आदि गेम है। पबजी को फिलहाल प्रतिबंधित किया हुआ है। अब सरकार ने इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखा है।

समिति ने किया है अध्ययन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर गत वर्ष फरवरी में इसके लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में डॉ. प्रकाश मनकीकर, डॉ. उन्नत पंडित, पंकज सप्कल, डॉ. आरती प्रकाश और अविदास शामिल रहे। इस कमेटी के सदस्य डॉ. उन्नत पंडित का कहना है कि हम जिस तरह से हर क्षेत्र में इनोवेशन के जरिए आत्मनिर्भरता की बात कर रहे है, डिजीटल गेमिंग के सेक्टर्स में भी हमे इस पर ध्यान देना होगा।

दिया जाएगा भारी प्रोत्साहन

भारत में गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की कौशल क्षमताओं में बढ़ावा दिया जाएगा। डिजीटल और वर्चुअल रिएलिटी गेमिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के साथ इनकी देखभाल और जरूरी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए आधारभूत ढांचा विकसित किया जाएगा। डिजीटल गेमिंग, विजुअल इफेक्ट, एनिमेशन और कॉमिक्स के लिए एक नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोला जा रहा है। इसके लिए आईआईटी मुंबई और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने करार किया है।

नैतिकता और संस्कृति पर जोर

भारत में बनने वाले नए डिजीटल गेम में संस्कार और नैतिकता सिखाने का पहलू शामिल रहेगा। डिजीटल गेम की लत के बजाय नैतिक मूल्य विकसित करने पर जोर रहेगा। विदेशों में भी अमरीका और यूरोप के कई स्कूलों में डिजीटल गेम से जुड़े हुए असाइनमेंट बच्चों को दिए जाते है। इससे बच्चों को कुछ नया और अच्छा सीखने को मिलता है। समिति का मानना है कि वर्चुअल रियलिटी गेम के पात्र के रूप में अगर विवेकानंद, वीर सावरकर, छत्रपति शिवाजी और अन्य व्यक्तित्व हो तो अच्छा रहेगा। उनके असली जीवन में किए गए काम इस गेम में टास्क के रूप में हो तो बच्चों को अच्छा सीखने को मिलेगा। इससे वह किसी प्रकार के गेम के लत से दूर रह सकेंगे।


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