बायो टॉयलेट और सौलर पैनल से बचा रहे पर्यावरण

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उत्तर पश्चिम रेलवे ने उठाए कई कदम


जयपुर.
भारतीय रेलवे द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिये विशेष कदम उठाये जा रहे हैं। प्रदूषण रहित तथा किफायती ऊर्जा के लिये भारतीय रेलवे के स्टेशनों तथा सर्विस बिल्डिंगों पर 114 मेगावाट के सोलर पैनल स्थापित किये गये है तथा रेलवे का लक्ष्य है कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य किया जाये। इसके अतिरिक्त स्टेशनों तथा रेलवे ट्रेक पर स्वच्छता बनाये रखने तथा हरित पर्यावरण के लिए ट्रेन के डिब्बों में टॉयलेट को बायो-टॉयलेट में बदलने का कार्य किया जा रहा है। भारतीय रेलवे पर 73,078 कोच में 2,58,906 बॉयो-टायलेट फिट किये गये है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के उपहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे भी अपने प्रयासों को गति प्रदान कर प्रदूषण रहित पर्यावरण की मुहिम को बढ़ाने के साथ-साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे परिक्षेत्र सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए समृद्ध है। इस रेलवे पर विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किए गए है। इस रेलवे पर अभी तक कुल 6906 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इन सौलर पैनल के स्थापित होने से इस रेलवे पर प्रतिवर्ष 76 लाख से अधिक यूनिट की ऊर्जा की बचत की जा रही है तथा 3.81 करोड रूपये के राजस्व की बचत की जा रही है।
हरित ऊर्जा की पहल के अन्तर्गत जयपुर स्टेशन पर 500 किलोवाट क्षमता के 02 तथा अजमेर स्टेशन पर 500 किलोवाट क्षमता का 01 के तथा जोधपुर स्टेशन पर कुल 770 किलोवाट क्षमता के उच्च सोलर पैनल स्थापित कर ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। उत्तर पश्चिम रेलवे के क्षेत्राधिकार में जोधपुर वर्कशॉप (440 किलोवाट), मण्डल रेल प्रबंधक कार्यालय-जोधपुर (230 किलोवाट), क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान-उदयपुर (180 किलोवाट), भगत की कोठी (कुल 250 किलोवाट) मारवाड़ जं. (120 किलोवाट) सहित अन्य स्टेशनोंं पर भी सौलर पैनल स्थापित कर विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उत्तर पश्चिम रेलवे में 156 मेगावॉट क्षमता के सोलर सिस्टम लगाने के कार्य प्रगति पर है। रेलवे का सौर ऊर्जा पर यह प्रयास निरंतर और अनवरत जारी है।
स्वच्छ और हरित पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करते हुये उत्तर पश्चिम रेलवे पर 2723 डिब्बों में 8946 बायो-टॉयलेट लगाये जा चुके है। यह बायो-टॉयलेट डिब्बों में पूर्णतया और आंशिक रूप से फिट किये गये है। रेलवे का लक्ष्य सभी ट्रेनों के परम्परागत टॉयलेट को बॉयो-टॉयलेट में परिवर्तन करना है। बॉयो टॉयलेट लगाने से एक ओर जहां गन्दगी में कमी होगी वहीं हरित पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इसके अतिरिक्त इस रेलवे पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित और भी कार्य पर किये गये जिनमें इस रेलवे के 5 रेलखण्डों बाड़मेर-मुनाबाब, पीपाड़-बिलाड़ा, सादुलपुर-हनुमानगढ़, सूरतगढ़-अनूपगढ़ तथा सीकर-लोहारू को ग्रीन कॉरीडोर के रूप में स्थापित किया है, जिसमें इन रेलखण्डों में संचालित सभी रेलसेवाओं में बायो-टॉयलेट लगाकर रेलवे ट्रेक पर मानव अपशिष्ट को गिरने से रोका जा रहा है।

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