पर्यावरण के साथ पैसे भी बचा रहा रेलवे

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सौर ऊर्जा और एलईडी का उपयोग सहित किए कई कार्य
विशेष-विश्व पर्यावरण दिवस


जयपुर.
रेलवे अब पर्यावरण को बचाने के साथ साथ पैसे भी बचा रहा है वह भी करोड़ों रूपए जी हां, इसके लिए रेलवे ने सौर ऊर्जा, एलईडी का उपयोग सहित कई कार्य किए है। बिजली की बचत और पर्यावरण संरक्षण का उत्तरदायित्व आज व्यक्ति विशेष का न होकर सभी का हो गया है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सके। ऊर्जा संरक्षण के साथ पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिये रेलवे भी लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है, जिसमें परम्परागत संसाधनों के स्थान पर पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के उपहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे भी अपने प्रयासों को गति प्रदान कर प्रदूषण रहित पर्यावरण की मुहिम को बढ़ाने के साथ-साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है।

सौर ऊर्जा और एलईडी उपकरण

विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किये गये है। कुल 6906 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इनसे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लगभग 4 करोड़ के राजस्व की बचत भी प्रतिवर्ष हो रही है। हरित ऊर्जा की पहल के अन्तर्गत जयपुर, अजमेर तथा जोधपुर स्टेशनों पर उच्च क्षमता के सोलर पैनल स्थापित कर ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। इसके साथ ही जैसलमेर में 26 मेगावाट का विण्ड-मिल भी कार्य कर रहा हैं। बिजली की बचत के लिये ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा हैं। ऊर्जा दक्ष उपकरणों में रेलवे द्वारा एलईडी आधारित उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग किया जा रहा है। स्टेशनों पर एलईडी लाइट, बोर्ड, हाई मास्ट टावर इत्यादि लगाये गये है। एलईडी आधारित उपकरणों से प्रकाश की क्वालिटी बेहतर प्राप्त होती है साथ ही इनसे बिजली की भी बचत होती है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर 100 एलईडी लाइटो का उपयोग किया जा रहा है और इस रेलवे पर 1,11,000 एलईडी फीटिंग्स को रेलवे कार्यालयों, स्टेशनों, भवनों, रेलवे क्वार्टरों इत्यादि में लगाया गया। इससे प्रतिवर्ष 59 लाख यूनिट की बचत के साथ लगभग 4.86 करोड़ के राजस्व की बचत की जा रही है।

लगाए क्रशर प्लांट

रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल का कचरा अधिक होता है और इसे इधर-उधर फेंक देने से गंदगी फैलती है और यह पर्यावरण को दूषित भी करता है, इसके निराकरण के लिये जयपुर, जोधपुर आबूरोड, बीकानेर, हिसार, लालगढ़, गंाधीनगर जयपुर, अलवर तथा जैसलमेर और अजमेर स्टेशनों पर बोतल क्रशर प्लांट स्थापित किए गए है, जिससे प्लास्टिक बोतलों उचित निराकरण होता है। इनके अतिरिक्त अन्य स्टेशनों पर भी बोतल क्रशर प्लांट लगाये जाने का कार्य विचाराधीन है।

पानी का पुन: उपयोग

गाडिय़ों की धुलाई में उपयोग किए गए पानी के पुन: उपयोग हेतु जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हिसार तथा बाड़मेर स्टेशनों पर स्थापित वाटर रि-साइकिल प्लांट द्वारा पानी की बचत की जा रही है। इसी प्रकार जोधपुर, मेड़ता रोड, मदार, बीकानेर, हिसार, बाडमेर, लालगढ, व श्रीगंगानगर में ऑटोमैटिक कोच वाशिंग संयंत्र द्वारा पानी की बचत की जा रही है। इसके अतिरिक्त बारिश के पानी को सहज कर पुन: उपयोग के लिये 100 से अधिक स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट उपलब्ध है तथा आगामी समय में अन्य स्थानों पर भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

स्टेशनों पर मिले प्रमाण पत्र

उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने के किये गये कार्यों को मद्देनजर रखते हुये स्टेट पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा 32 स्टेशनों को सर्टिफिकेट जारी किये गये है। इसके अतिरिक्त राजस्थान ऊर्जा विभाग द्वारा ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2020 के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे के 12 बिल्डिंग/इंस्टीट्यूट को ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया गया हैं। रेलवे द्वारा अपने हरित पर्यावरण के दायित्व की अनुपालना के लिये समय-समय पर वृक्षारोपण किया जाता है, उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत वर्षों में लगभग 5 लाख वृक्षों का वृक्षारोपण किया गया। रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग किया जाए।

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