किसी ने कभी सोचा है धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं?
हम आम बोलचाल की भाषा में साला शब्द को एक गाली के रूप में देखते हैं। साथ ही धर्मपत्नी के भाई को भी साला या सालेसाहब के नाम से इंगित करते हैं।
कहां से आया साला शब्द
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि “साला” शब्द की उत्पत्ति का संबंध समुद्र मंथन से है। समुद्र मंथन से हमें जो 14 दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे वे इस प्रकार हैं-
कालकूट (हलाहल), ऐरावत हाथी, कामधेनु, उच्चे:श्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रंभा (अप्सरा), महालक्ष्मी, पांचजन्य शंख (जिसका नाम साला था), वारूणी, चंद्रमा, शारंग धनुष, गंधर्व और अंत में अमृत।
लक्ष्मी जी मंथन से ‘स्वर्ण’ के रूप में निकली थी। इसके बाद जब साला नामक शंख निकला तो उसे लक्ष्मी जी का भाई कहा गया।
दैत्यों और दानवों ने कहा कि-अब देखो लक्ष्मी जी का भाई “साला” (शंख) आया !
तभी से ये प्रचलन में आया कि नव- विवाहिता “बहु” या धर्म- पत्नी जिसे हम “गृह- लक्ष्मी” भी कहते हैं, उसके भाई को बहुत ही पवित्र नाम “साला” कहकर पुकारा जाता है।
समुद्र मंथन के दौरान “पांचजन्य साला शंख” प्रकट हुआ, इसे भगवान विष्णु ने अपने पास रख लिया। इस शंख को विजय का प्रतीक माना गया है, साथ ही इसकी ध्वनि को भी बहुत ही शुभ माना गया है।
विष्णुपुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्र राज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है।
अतः यह भी मान्यता है कि जहाँ शंख होता है वहाँ लक्ष्मी का वास होता है। इन्हीं कारणों से हिंदुओं द्वारा पूजा के दौरान शंख को बजाया जाता है।
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