दुपहिया वाहन पर रियर व्यू मिरर नहीं तो हो सकता है चालान

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हर नए वाहन के साथ कंपनी रियर व्यू मिरर लगाकर देती है, जो वाहन के दोनों तरफ होते हैं, दुपहिया वाहनों में दो रियर व्यू मिरर होत हैं तो चौपहिया वाहनों में तीन रियर व्यू मिरर आते हैं। चोपहिया वाहनों में दोनों साइड के अलावा एक मिरर अंदर केबिन में भी होता है। इनका उपयोग पीछे आ रहे वाहन को देखने में किया जाता है, जिससे कि दुर्घटनाओं से बचा सके। अक्सर देखा जाता है कि दुपहिया वाहन चालक या तो इन रियर व्यू मिरर को हटा देते हैं या फिर इन्हें ऐसे लगवा लेते हैं कि इनकी उपयोगित ही खत्म हो जाती है, लेकिन अब देश में ऐसे दुपहिया वाहन चालकों का चालान करना शुरू कर दिया गया है, जिनमें रियर व्यू मिरर नहीं है। इसकी शुरुआत दिल्ली पुलिस ने की थी और अब हैदराबाद में भी पुलिस ने ऐसे दुपहिया वाहनों का चालान करना शुरू कर दिया है, जिन पर रियर व्यू मिरर नहीं लगा है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अनुसार दुपहिया वाहनों पर रियर व्यू लगा होना अनिवार्य है। वाहन पर रियर व्यू मिरर न होने से पीछे के वाहन की स्थिति का पता नहीं चलता है और दुर्घटनाएं हो जाती हैं।

हादसे से बचाता है रियर व्यू मिरर

रियर व्यू मिरर वाहन चालक को हादसे से बचाता है। इससे पीछे वाले वाहन की दूरी, स्थिति व वह किधर की ओर जाएगा, इसका पता चल जाता है, जिससे कि दुर्घटना से बचा जा सकता है। जिन वाहनों में रियर व्यू मिरर नहीं होता, वो अक्सर पीछे आने वाले वाहन का ध्यान रहीं रख पाते और मुडऩ या ओवरटेक के दौरान अक्सर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

मोटर वाहन अधिनियम में जुर्माने का प्रावधान

तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में पुलिस लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता लाने के लिए अभियान चला रही है। इस दौरान पुलिस चोपहिया वाहनों विशेषकर कारों में सीट बेल्ट और दुपहिया में रियर व्यू मिरर के उपयोग को लेकर सघन जांच अभियान चला रही है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस मोटर वाहन कानून (1988) के तहत जुर्माना भी लगा रही है। कई दुपहिया वाहन चालक लुक बदलने के चक्कर में वाहन से रियर व्यू मिरर हटवा देते हैं। ऐसा कर वे खुद की जान तो जोखिम में डालते ही हैं और सडक़ पर चल रहे अन्य वाहनों के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं। पुलिस ने कार के पीछे बैठे लोगों के लिए भी सीट बेल्ट का उपयोग जरूरी कर दिया है। सडक़ दुर्घटनाओं में अक्सर यह देखा गया है कि सीट बेल्ट लगाकर बैठने वाले लोग कम चोटिल होते हैं। साथ ही जो लोग सीट बेल्ट लगाकर नहीं बैठते हैं, उन्हें गंभीर चोटें लगने की अधिक संभावना रहती है।

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