
दुनिया में गायों की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनका आकार, दूध देने का समय, रंग आदि भी अलग-अलग होते हैं। कई गायें आकार में काफी बड़ी होती हैं तो कई काफी छोटी। क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे छोटी गाय की प्रजाति कहां पाई जाती है और उसका आकार कितना होगा। अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बता रहे हैं दुनिया की इस सबसे छोटी गाय के बारे में। इस गाय का नाम है ‘मनिकयम’ जो केरल (भारत) में पाई जाती है। यह केरल में पाई जानी वाली वेचूर प्रजाति की गाय है। दुनिया की इस सबसे छोटी गाय की उम्र मात्र 6 वर्ष होती है। सबसे छोटे कद की गाय के लिए वेचूर गाय को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज किया गया है।
लंबाई दो फीट से भी कम
सामान्यतया गायों की लम्बाई 4 से 6 फिट तक होती है, लेकिन इस गाय की लंबाई मात्र 1.75 फीट है और वजन 40 किलो। आकार में यह बकरे जितनी ही होती है। मनिकयम गाय के चारे-पानी पर बकरी से भी कम खर्च आता है। वेचुर प्रजाति की अन्य गायों में भी सींग छोटे होते हैं। इनकी लंबाई 124 सेमी और ऊंचाई 85 सेमी तक होती है तथा इनका वजऩ 130 किलोग्राम तक होता है। इस प्रजाति की गायें केरल के कोट्टायम जिले के वायक्कम क्षेत्र में पाई जाती हैं। इनके प्रजनन क्षेत्र केरल के कोट्टाय, अलप्पुझा, कासरगोड और कन्नूर जिले हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर है दूध
इस प्रजाति की गायों की खास बात यह है कि ये बीमार बहुत कम होती हैं। इन गायों के दूध में सबसे ज़्यादा औषधीय गुण भी होते हैं। ये हल्के लाल, सफेद और काले रंग की होती हैं। इनका सिर लंबा और संकरा होता है और पूंछ लंबी व कान सामान्य होते हैं। इन गायों के सींग छोटे, पतले और नीचे की ओर मुड़े होते हैं।
ये गायें गर्म और आद्र दोनों ही प्रकार की जलवायु में आसानी से रह सकती हैं। इन गायों की रोग प्रतिरोध क्षमता और हर मौसम को सहन करने की क्षमता भी बहुत अच्छी होती है। इतना ही नहीं, इनकी त्वचा से पसीने के रूप में जो द्रव निकलता है, उससे कीट दूर रहते हैं। अब वेचुर प्रजाति केवल सौ शुद्ध नस्लें बची हैं। ये गायें रोजाना दो से तीन लीटर दूध देती हैं। केरल में इनके दूध का उपयोग औषधियां बनाने के लिए किया जाता है। इन गायों के दूध में वसा 4.7-5.8 प्रतिशत होती है, वसा कम होने की वज़ह से इनका दूध सुपाच्य होता है।