दीपावली मानी जाती है साधना के अनुकूल रात

Spread the love

तांत्रिक महत्व भी है दीपावली का


जयपुर.

दीपावली महापर्व पर तंत्र साधना विशेष

जयपुर के प्रसिद्ध तंत्र गुरु स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज की कलम से, संपर्क- (9828031606)

दीपावली की रात क्यों है साधना की रात

दीपावली उपनाम दिवाली और अमावस्या अर्थात काली रात हिंदू पंचांग के अनुसार मां के 30 दिन को चंद्रकला के आधार पर 15 – 15 दिन में दो पक्षों में बांटा गया शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं।
मान्यता है कि शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं अर्थात वैष्णवी शक्तियां सक्रिय होती है और कृष्ण पक्ष में तामसी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती है।
वैसे यह भी मान्यता है कि दिवाली पर्व के दौरान दिन में आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती है और इस कारण मनुष्य में भी राक्षसी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसलिए सनातन परंपरा से ही उक्त दिनों में व्यक्ति के मन मस्तिष्क को इस त्योहार के माध्यम से धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है वहीं यह भी माना जाता है कि अमावस्या के दिन भूत प्रेत पितृ पिशाच निशाचर जीव जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय उन्मुक्त रहते हैं। तंत्र साधना से जुड़े हुए व्यक्ति को या साधक को इन दिनों विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
वैज्ञानिकों के अनुसार दिवाली के दिनों में प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत इथरिक एटम होता है। इसी प्रकार पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत इथ्रिक एटम और 75 प्रतिशत एस्टल एटम होता है। इथ्रिक एटम सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र भी लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है।
वही ज्योति सिद्धांत के अनुसार ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है। दिवाली एवं अमावस्या के दिन चंद्रमा कभी दिखाई नहीं देता है। ऐसे में मनुष्य के शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है और इस दौरान जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नेगेटिव एनर्जी नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है और वह इस दौरान कई बार सुसाइड करने की भी कोशिश करने लग जाता है।

किन तांत्रिक सिद्धियों के लिए तांत्रिक करते हैं साधना


विशेषकर दीपावली की रात को तांत्रिक लोग तामसी शक्तियों का विशेष रूप से आह्वान करते हैं ताकि अपनी पूजा करके अपनी शक्तियों को बढ़ा सकें और अपने शरीर में बहुत मात्रा में शक्तियों को धारण कर सके। तंत्र दिवस के रूप में तांत्रिक शाक्त साधक लोग दिवाली के दिन को अपना विशेष उत्साह पर्व भी मानते हैं।

तांत्रिकों के लिए दसमहाविद्या या महा शक्तियां प्रमुख बताई गई है-

महाकाली आर्दपाटेश्वरी, मां तारा, मां षोडशी, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिका, मां त्रिपुर, भैरवी मां, धूमावती माता, श्री बगलामुखी, मां मातंगी, मां कमला। सनातन परंपरा के अनुसार मान्यता है कि दीपावली के पर्व पर साधक आधार तांत्रिक गुरु के द्वारा या साधक के द्वारा इन विद्याओं की साधना करने पर आत्मज्ञान बढ़ जाता है। और गूढ़ रहस्य आसानी से मिल जाते हैं। वर्तमान में इन दिनों में भैरव साधना एवं मां बगलामुखी साधना तथा मां पाटेश्वरी काली साधना विशेष चलन में है जिनके अधिकतर साधक मिल जाते हैं।
वैसे वैष्णव परंपरा के अनुसार सनातनियों की मान्यता है कि दीपावली के 5 दिनों के भीतर हनुमत साधना और लक्ष्मी साधना करने पर भी विशेष फल प्राप्त होता है।

साधना कितने प्रकार की

यक्षिणी साधना महा यक्षिणी साधना धनदा यक्षिणी साधना पुत्रदा यक्षिणी साधना महालक्ष्मी साधना शव साधना अघोर साधना जैसी कई साधना है शास्त्रों एवं मान्यता के अनुसार रावण के द्वारा रचित उड़ीस तंत्र बुक में बताई गई है।


श्मशान साधना क्या है, किसके लिए है

यह तांत्रिकों का विशेष स्थान होता है वैसे तो तांत्रिक लोग अधिकतर समय श्मशानों एवं नदी के तटों पर सुनसान जगह ही व्यतीत करते हुए साधना करते हैं।
तांत्रिकों के अनुसार श्मशान साधना थोड़ी कठोर साधना होती है उससे खुद के शरीर को भी नुकसान पहुंचने का डर रहता है वहीं दूसरी ओर कुछ तंत्र गुरुओं का मानना है कि श्मशान तो बाबा भोलेनाथ का स्थान है अत: वार्डन जैसी कोई चीज नहीं होती आम आदमी भी शमशान साधना कर सकता है।
बिल्कुल साधना कोई भी कर सकता है चाहे वह श्मशान हो या मंदिर हो या नदी का तट हो एवं चाहे वटवृक्ष हो साधना साधक पर निर्भर करती है।

सामान्य जन की साधना

सामान्य जन के लिए विकल्प यही है कि आप एकांत जगह जाकर गांव या शहर के बाहर किसी सुनसान जगह जाकर आप साधना कर सकते हैं।
सामान्य जन के लिए दीपावली के तांत्रिक अनुष्ठान-भैरव दीपदान बगलामुखी अनुष्ठान नवचंडी एवं शतचंडी अनुष्ठान हनुमत शत्रुंजय अनुष्ठान सहित कई अनुष्ठान शास्त्रों में सामान्य जन के लिए भी बताए गए हैं।
आम गृहस्थ को किस साधना से कौन सी सिद्धि प्राप्त हो सकती है-मान्यता के अनुसार अगर गृहस्थ व्यक्ति साधक बंध कर दीपावली की रात्रि को हनुमत बजरंग बाण के लगातार 1108 करता है तो उसको बहुत बड़ी पॉजिटिव एनर्जी सकारात्मक शक्ति प्राप्त कर सकता है।
धनबल, बुद्धि, विद्या, शत्रु विजय, नौकरी के लिए सबसे सरल तांत्रिक क्रिया है-भैरव दीपदान शत्रुंजय नवचंडी एवं शतचंडी अनुष्ठान।

यह लेखक के अपने विचार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *